पशुओं में लंपी रोगः भारी पड़ सकती है वैक्सीन की दो कंपनियों पर निर्भरता

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पशुओं में लंपी रोगः भारी पड़ सकती है वैक्सीन की दो कंपनियों पर निर्भरता

| Updated: September 30, 2022 10:34

राजकोटः अभी तक 15 राज्यों में लंपी रोग लगभग एक लाख मवेशियों (cattle) को मार चुका है और 20 लाख से अधिक को संक्रमित (infected) कर चुका है। इसके बावजूद, वैक्सीन के लिए सरकारें सिर्फ दो कंपनियों पर निर्भर हैं। मवेशियों में वायरस को फैलने से रोकने के लिए वैक्सीन बनाने का काम  इन दो कंपनियों को ही दिया गया है। इस समय अहमदाबाद स्थित हेस्टर बायोसाइंसेज लिमिटेड और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की हैदराबाद स्थित सहायक इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ही गोटपॉक्स नामक वैक्सीन बनाती है। दरअसल गोटपॉक्स, शीपपॉक्स और लंपी स्किन रोग के वायरस एक ही कैप्रिपोक्सवायरस जाति (capripoxvirus genus) से संबंधित हैं। पहले दो के लिए विकसित और पहले से ही देश में व्यावसायिक रूप से बनाए जा रहे टीके मवेशियों में लंपी रोग के खिलाफ 60-70 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

लंपी रोग के खिलाफ इस्तेमाल के लिए पहले केवल गोटपॉक्स के टीके को अधिकृत (authorised) किया गया। 2 सितंबर 2021 को राज्यों को जारी एक एडवाइजरी में पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने कहा कि “मवेशी और भैंसों को उपलब्ध गोटपॉक्स के टीके से लगाया जाना चाहिए।” मंजूरी के समय हेस्टर बायोसाइंसेज (Hester Biosciences) देश में गोटपॉक्स टीके का एकमात्र निर्माता था। जबकि IIL ने दिसंबर 2021 में अपना गोटपॉक्स वैक्सीन लॉन्च किया।

दूसरी ओर, शीपपॉक्स के टीके के लगभग एक दर्जन निर्माता हैं। इनमें से छह सरकारी (state-owned manufacturers) हैं। इनमें जहां हेस्टर बायोसाइंसेज और आईआईएल के अलावा, हैदराबाद स्थित ब्रिलियंट बायो फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में बायो-मेड प्राइवेट लिमिटेड हैं। वहीं सरकारी निर्माताओं में और हैदराबाद स्थित पशु चिकित्सा जैविक और अनुसंधान संस्थान (Veterinary Biological & Research Institute ), बेंगलुरु और महू (मध्य प्रदेश) स्थित पशु स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा जीवविज्ञान (the Institutes of Animal Health & Veterinary Biologicals), बरेली (यूपी) के पास इज्जतनगर में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान या आईवीआरआई (Indian Veterinary Research Institute or IVRI),  हिसार में हरियाणा पशु चिकित्सा वैक्सीन संस्थान (Haryana Veterinary Vaccine Institute), और ज़कुरा (श्रीनगर) में पशु स्वास्थ्य और जैविक उत्पाद संस्थान (the Institute of Animal Health & Biological Products) हैं।

यह पूछे जाने पर कि लंपी स्किन रोग की रोकथाम के लिए केवल गोटपॉक्स के वैक्सीन के उपयोग को ही क्यों अधिकृत (authorised) किया गया है, डीएएचडी के पशुपालन आयुक्त (Animal Husbandry Commissioner at DAHD) प्रवीण मलिक ने कहा कि यह निर्णय आईवीआरआई की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था। वहां के वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि गोटपॉक्स का टीका (उत्तरकाशी स्ट्रेन) लंपी स्किन रोग के खिलाफ प्रभावी है। अब यह IVRI या NIHSAD के वैज्ञानिकों के लिए है कि वे यह सिफारिश करें कि क्या शीपपॉक्स के टीके का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

हिसार के संदीप कुमार गुप्ता द्वारा दायर एक आरटीआई (RTI query) के जवाब में आईवीआरआई-इज्जतनगर में सेंटर फॉर एनिमल डिजीज रिसर्च एंड डायग्नोसिस ने कहा कि “कोई भी (सेंटर का) वैज्ञानिक मवेशियों और भैंसों में गोटपॉक्स वैक्सीन के इस्तेमाल की सलाह देने में शामिल नहीं था।”

आईवीआरआई और राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल (एनआईएचएसएडी) दोनों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन हैं।

आईसीएआर के अपने दो संस्थानों- हिसार (हरियाणा) और आईवीआरआई में नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स ने संयुक्त रूप से लुंपी-प्रोवैकइंड विकसित किया है। यह समजातीय (homologous) है और यह दावा किया जाता है कि यह मवेशियों में लंपी रोग के वायरस से 100 प्रतिशत सुरक्षित रखता है। ये गोटपॉक्स और शीपपॉक्स के टीकों के विपरीत  विषमलैंगिक (heterologous) हैं और लंपी स्किन रोग के खिलाफ केवल 60-70 प्रतिशत ही सुरक्षा मुहैया कराते हैं।

12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राज्यों में लंपी रोग के कारण पशुओं के नुकसान पर चिंता जताई थी। दिल्ली में आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट (IDF World Dairy Summit) में उन्होंने उल्लेख किया कि “हमारे वैज्ञानिकों ने लंपी रोग के लिए एक स्वदेशी टीका (indigenous vaccine) विकसित किया है।”

ICAR ने 15 सितंबर को एक समझौते के जरिये Lumpi-ProVacInd के निर्माण के लिए Biovet Private Limited (BPL) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की। भारत बायोटेक (‘कोवैक्सिन’ के डेवलपर) के सहयोगी और बेंगलुरु मुख्यालय वाले BPL ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ((DCGI)  से पशुओं के लिए Lumpi-ProVacInd को मंजूरी देने की मांग की। इसने इस परीक्षण के लिए वैक्सीन बनाने का लाइसेंस  पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत नियामक संस्था (regulatory body)- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation) से ले लिया है। DAHD से एनओसी भी जारी हो चुका है।

बीपीएल ने मवेशियों पर टीके के परीक्षण के लिए एनओसी की मांग करते हुए DAHD से संपर्क किया है। बदले में DGCI ने DAHD को पत्र लिखकर वैक्सीन परीक्षणों पर डेटा मांगा है।

मलिक ने कहा, ‘हमारी ओर से चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं। हम व्यावसायीकरण (commercialisation) की प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, आईसीएआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इस स्तर पर और परीक्षणों की आवश्यकता पर सवाल उठाया। वैज्ञानिक ने कहा, “हमने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार आईवीआरआई के मुक्तेश्वर परिसर में 15 नर मवेशियों पर लंपी-प्रोवैकइंड का प्रायोगिक परीक्षण (experimental trials) किया। बाद में वैक्सीन को पांच राज्यों में 12,000 जानवरों के लिए फील्ड ट्रायल के लिए भेजा गया, जहां लंपी रोग व्यापक रूप से फैला हुआ है। वैक्सीन को शत-प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।

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