अहमदाबाद: अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों के लिए स्थापित राष्ट्रीय अत्याचार विरोधी हेल्पलाइन (NHAA) 14566 पर गुजरात से बीते पांच वर्षों में कुल 15,303 शिकायतें दर्ज हुई हैं।
यह टोल-फ्री हेल्पलाइन शिकायत निवारण और कानूनी सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है, लेकिन इसमें लगातार मामलों की संख्या में तेज़ी देखी जा रही है। 2022 में 3,755 शिकायतें दर्ज हुई थीं, जो 2023 में लगभग दोगुनी होकर 7,432 तक पहुंच गईं। यह स्थिति राज्य में व्याप्त गहरी समस्याओं की ओर इशारा करती है।
यह जानकारी केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रंधीप सुरजेवाला के सवाल के जवाब में दी, जिन्होंने NHAA के जरिए प्राप्त राज्यवार शिकायतों का डाटा मांगा था।
गुजरात की चिंता बढ़ाने वाली स्थिति
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में 2020 में शिकायतें केवल 191 थीं, जो 2021 में लगभग चार गुना बढ़कर 705 हो गईं। इसके बाद 2022 में यह संख्या 3,755 तक पहुंच गई, और 2023 में यह 7,432 हो गई। हालांकि 2024 में शिकायतें घटकर 2,144 और 2025 में (31 जुलाई तक) 1,076 रह गईं, फिर भी पांच वर्षों के कुल आंकड़े एक गंभीर संकट की कहानी बयान करते हैं।
31 जुलाई 2025 तक गुजरात से मिली इन शिकायतों में 223 प्राथमिकी (FIR) दर्ज हुईं, जिनमें से 221 मामलों का निपटान हो चुका है, जबकि दो मामले अभी भी लंबित हैं। यह सवाल खड़ा करता है कि निपटान की गति और न्याय की गुणवत्ता कितनी प्रभावी है।
देशभर में स्थिति का मुआयना
केंद्र ने यह भी बताया कि भारत भर में NHAA को 30 जुलाई 2021 तक कुल 6.34 लाख कॉल प्राप्त हुए थे। इस व्यापक तस्वीर में गुजरात में शिकायतों की इतनी तेज़ी से बढ़ती संख्या एक चेतावनी है। यह दर्शाता है कि भले ही जागरूकता और शिकायत दर्ज कराने की प्रवृत्ति बढ़ी हो, लेकिन अत्याचारों और अन्याय की जड़ें अभी भी गहरी हैं।
गुजरात में NHAA शिकायतें (2020 से 2025 तक):
- 2020: 191 शिकायतें
- 2021: 705 शिकायतें
- 2022: 3,755 शिकायतें
- 2023: 7,432 शिकायतें
- 2024: 2,144 शिकायतें
- 2025 (31 जुलाई तक): 1,076 शिकायतें
हालांकि हाल के वर्षों में शिकायतों में कमी आई है, लेकिन पांच सालों में कुल 15,303 शिकायतें गुजरात में व्याप्त गंभीर सामाजिक न्याय की समस्या को उजागर करती हैं, जिसे तत्काल और प्रभावी तरीके से संबोधित करने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें- भुला दिए गए कैडेट्स: NDA और IMA से घायल होकर लौटे पूर्व प्रशिक्षु, बिना पूर्व सैनिक का दर्जा पाए झेल रहे अपंगता और बढ़ते..










