अहमदाबाद: गुजरात में कोविड के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 21 मई से 4 जून के बीच कोविड मामलों में चार गुना वृद्धि देखी गई है। यह 5 से 19 जून के दौरान बढ़कर 2,249 हो गई है। राज्य में रविवार को 114 दिनों में सबसे अधिक 244 मामले दर्ज किए गए। इस बढ़ोतरी के पीछे विशेषज्ञ ऑमिक्रॉन के सबवेरिएंट बीए.2.38 को मान रहे हैं। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (जीबीआरसी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने कोविड रोगियों के 431 नमूनों में से 223 यानी 52% में बीए.2.38 पाए गए।
राज्य में बीए.2.38 वैरिएंट का पहला केस मई में मिला था। जून में इसका प्रसार हुआ। बता दें कि मई तक बीए.2.38 ने भारत और दुनिया के कई देशों को गिरफ्त में ले चुका था। राज्य में पिछले एक महीने के आंकड़ों में इसका अनुक्रमण में 145 या 34% हिस्सा था।
विशेषज्ञों ने बताया कि महाराष्ट्र ने बीए.2.38 को कोविड के एक तेजी से फैलने वाले सब-वेरिएंट को भी दर्ज किया है, जिससे दैनिक मामलों में वृद्धि हुई है। रिपोर्टों ने दिल्ली और केरल में भी इसकी उपस्थिति का संकेत दिया।
जीबीआरसी द्वारा गुजरात में सब-वेरिएंट के विश्लेषण ने 7 नमूनों में बीए.5 और 3 में बीए.4 की उपस्थिति का भी संकेत दिया। दोनों को कुछ यूरोपीय देशों में कोविड के मामलों के बढ़ने का कारण माना जाता है।
राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अधिकारियों ने कहा कि पिछले एक महीने में गुजरात से ओमिक्रॉन के कुल 15 सब-वेरिएंट पाए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर बीए.2 वंश के हैं।
जीसीएस मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ उर्वेश शाह ने कहा कि बीए 2.38 में 5 उत्परिवर्तन हैं, जिनमें 2 स्पाइक प्रोटीन पर इसके मूल संस्करण बीए.2 जैसे हैं। उन्होंने कहा, “ये म्यूटेशन अपने मूल संस्करण की तुलना में किसी भी महत्वपूर्ण परिवर्तन में योगदान नहीं करते हैं। लेकिन इसका महामारी विज्ञान महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि वैश्विक डेटाबेस के अनुसार, भारत में सब-वेरिएंट का अधिक प्रसार है, इसके बाद ब्रिटेन का नंबर है।.
हाल की बढ़ोतरी के बावजूद बूस्टर खुराक को अभी तक अनुकूल नहीं पाया गया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि 18 से 60 साल के बीच की 4.93 करोड़ आबादी में से केवल 1.5 फीसदी ने बूस्टर खुराक ली है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए कवरेज 68% है।
अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) के अध्यक्ष डॉ किरीट गढ़वी ने कहा कि हर्ड इम्युनिटी का असर 3-4 महीने तक होता है। उन्होंने कहा, “इस प्रकार एक बूस्टर खुराक जरूरी है। इसलिए हम पात्र होने की स्थिति में इसे नागरिकों से इसे लेने की अपील करते हैं। वैसे तो दो खुराक निश्चित रूप से गंभीर संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन बूस्टर डोज अतिरिक्त सुरक्षा दे सकता है।”
उन्होंने कहा कि शहर के कुछ डॉक्टर मौजूदा मामलों में संक्रमित हो गए हैं। डॉ महर्षि देसाई राज्य कोविड टास्क फोर्स के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि सिरदर्द, शरीर में दर्द और हल्के बुखार के साथ सुस्ती के लक्षण लगभग ओमिक्रॉन के समान ही रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हालात को देखते हुए पिछले कुछ दिनों में कुछ रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई थी। वैसे कुल मिलाकर अस्पताल में भर्ती कम रही है, फिर भी सावधानी बरतने का समय तो है ही।”











