अहमदाबाद: जेंडर, मर्दानगी, सेक्सुअलिटी और विविधता जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर आयोजित होने वाला समभाव इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अब पहली बार अहमदाबाद पहुंच रहा है। इस दो दिवसीय यात्रा करने वाले फिल्म फेस्टिवल का सातवां संस्करण शनिवार से शुरू हो रहा है।
आलियांस फ्रांसैस अहमदाबाद और Men Against Violence and Abuse (MAVA), मुंबई आधारित एक स्वैच्छिक संस्था, के सहयोग से आयोजित यह उत्सव एक नि:शुल्क और स्वतंत्र फिल्म फेस्टिवल है, जिसमें विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र, युवा फिल्म निर्माता, सिनेमा प्रेमी और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भाग ले सकते हैं।
फेस्टिवल में दुनियाभर से चुनी गई 25 फिल्में दिखाई जाएंगी, जिनमें फिक्शन, डॉक्यूमेंट्री और एक्सपेरिमेंटल शैलियों की फिल्में शामिल हैं। प्रमुख फिल्मों में जापान की Black Box Diaries, अमेरिका और ब्रिटेन की Call Me Dancer, और भारत की We The Puffcorns of India शामिल हैं।
दो दिवसीय यह फिल्म फेस्टिवल सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि श्रीलंका और ब्रिटेन जैसे पांच अंतरराष्ट्रीय देशों में और भारत के 23 शहरों—जैसे मुंबई, पुणे, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और कई ग्रामीण जिलों—में भी आयोजित किया जाएगा।
फेस्टिवल के संस्थापक और निदेशक हरीश सादानी ने The Indian Express से बातचीत में कहा:
“प्रेरित युवाओं और शिक्षकों के सहयोग से हम सिनेमा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बना रहे हैं। यह फेस्टिवल जेंडर, पहचान, समानता और न्याय जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श, आत्मचिंतन और संवाद की एक सुरक्षित जगह प्रदान करता है।”
अहमदाबाद में फेस्टिवल का आयोजन 12 और 13 जुलाई को द फ्रेंच गैलरी, आलियांस फ्रांसैस अहमदाबाद में दोपहर 2 बजे से शाम 8 बजे तक होगा। सादानी ने बताया कि प्रतिभागियों की सुविधा के लिए यह समय तय किया गया है।
फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली फिल्में जेंडर आधारित भेदभाव, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, ट्रांसफोबिया, जेंडर बाइनरी को तोड़ने और टॉक्सिक मर्दानगी जैसे मुद्दों को उठाती हैं।
सादानी ने कहा,
“यह यात्रा करने वाला फेस्टिवल युवाओं को संवाद के माध्यम से गहराई से जोड़ता है और समाज में जेंडर से जुड़े अहम सवालों को उठाता है।”
फेस्टिवल में भाग लेने वाले प्रमुख वक्ताओं और प्रतिभागियों में रेनू खन्ना, सेजल डांड, कुनथु बंथिया, हिरवा थांकी, कुनाल, सुमित वेकोस, फिल्म निर्माता अरस्तु जकिया, लेखक देबोयेंदु गांगुली, प्रो. नवदीप माथुर और प्रो. चिराग त्रिवेदी शामिल हैं।
2017-18 से अब तक MAVA संस्था देश के कोने-कोने में समभाव फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर चुकी है। अब तक 52 शहरों और 18 ग्रामीण जिलों में 18,000 से अधिक युवाओं और सामाजिक संगठनों को इस फेस्टिवल से जोड़ा गया है।
सादानी ने कहा, “ये फिल्में केवल कलात्मक अभिव्यक्तियां नहीं हैं, बल्कि वे समाज में दखल देती हैं, मुख्यधारा की सोच को चुनौती देती हैं और करुणा, आत्ममंथन और सामूहिक परिवर्तन के लिए स्थान बनाती हैं। समभाव सिर्फ एक फिल्म फेस्टिवल नहीं, बल्कि यह सहानुभूति, प्रतिरोध और आशा का जीवंत संग्रह है।”
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