नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) परिषद ने अपनी 56वीं बैठक में व्यापक कर सुधारों को मंजूरी दी। यह बैठक बुधवार को करीब 10 घंटे चली और इसमें आठ साल पुराने अप्रत्यक्ष कर ढांचे में अगली पीढ़ी के बदलाव का रास्ता साफ हुआ। अब टैक्स प्रणाली को दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% – में सरल बनाया गया है, जबकि सुपर लग्ज़री, सिगरेट, पान मसाला और अन्य डिमेरिट सामानों पर 40% का टैक्स लागू रहेगा।
इस कदम का उद्देश्य आम नागरिकों पर टैक्स का बोझ कम करना, छोटे कारोबारों की कार्यशील पूंजी की दिक्कत दूर करना और व्यवसायों के लिए रिफंड व पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाना है।
नए नियम कब से लागू होंगे?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद जानकारी दी कि तंबाकू और तंबाकू से जुड़े उत्पादों को छोड़कर बाकी सभी बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे, जो नवरात्रि का पहला दिन होगा। बैठक की अध्यक्षता सीतारमण ने की, जिसमें 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्री शामिल हुए।
दिलचस्प बात यह रही कि यह बैठक दो दिन तक चलने की उम्मीद थी, लेकिन राजस्व हानि पर राज्यों की चिंता के बावजूद चर्चा एक ही दिन में पूरी कर ली गई।
प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी परिषद के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि इन सुधारों से आम आदमी, किसान, एमएसएमई, मध्यम वर्ग, महिलाएं और युवा सभी को फायदा होगा। उन्होंने कहा, “ये व्यापक सुधार नागरिकों का जीवन आसान बनाएंगे और छोटे कारोबारियों सहित सभी के लिए बिज़नेस करना सरल होगा।”
किन वस्तुओं पर सस्ता हुआ GST?
परिषद ने रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाले कई सामानों पर टैक्स घटाया है।
- पैक्ड व ब्रांडेड खाद्य पदार्थ: फलों का जूस, बटर, चीज़, कंडेंस्ड मिल्क, पास्ता, पैकेज्ड नारियल पानी, सोया मिल्क ड्रिंक, ड्राई फ्रूट्स, खजूर, सॉसेज आदि पर टैक्स 12% से घटाकर 5% किया गया।
- दूध व डेयरी प्रोडक्ट्स: अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध, छेना/पनीर, पिज़्ज़ा ब्रेड, खाखरा और साधारण रोटी पर जीएसटी अब शून्य रहेगा।
- घरेलू उपयोग की वस्तुएं: हेयर ऑयल, साबुन, शैम्पू, टूथब्रश, टूथपेस्ट, साइकिल, टेबलवेयर, किचनवेयर और अन्य घरेलू सामान पर टैक्स 18% या 12% से घटाकर 5% कर दिया गया।
- व्हाइट गुड्स: एसी, टीवी और डिशवॉशर पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया।
- वाहन: छोटे पेट्रोल कार (1200 सीसी तक) और डीज़ल कार (1500 सीसी तक, लंबाई 4 मीटर तक) अब 18% स्लैब में आएंगी। 350 सीसी से छोटे इंजन वाली मोटरसाइकिलों और ऑटो पार्ट्स पर भी टैक्स 18% रहेगा। वहीं, बड़ी कारों पर 40% टैक्स लगेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स 5% ही रहेगा।
- बीमा और स्वास्थ्य सेवाएं: जीवन बीमा (टर्म, एंडॉवमेंट, ULIP) और स्वास्थ्य बीमा (फैमिली फ्लोटर व सीनियर सिटीजन पॉलिसी) को जीएसटी से पूरी तरह छूट मिली।
- जिम व पर्सनल केयर सेवाएं: जिम, सैलून, नाई और योगा केंद्र जैसी सेवाओं पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया।
संरचना में बड़ा बदलाव
अब तक जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% की चार स्लैब थीं। सुधार के बाद यह ढांचा सरल होकर दो प्रमुख स्लैब – 5% और 18% – में बदल गया है। सुपर लग्ज़री और सिगरेट जैसे डिमेरिट सामानों पर 40% टैक्स बरकरार रहेगा।
इससे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या (जहां आउटपुट पर टैक्स इनपुट से कम होता है) खत्म होगी और व्यापारियों की नकदी प्रवाह में सुधार आएगा।
वित्त मंत्री का बयान
सीतारमण ने कहा, “प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले से जिस अगली पीढ़ी के सुधार की बात कही थी, यह उसी दिशा में बड़ा कदम है। हमने टैक्स ढांचे को सरल बनाया है, वर्गीकरण संबंधी विवाद सुलझाए हैं और स्थिरता व पूर्वानुमान सुनिश्चित किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “आम आदमी की ज़रूरत वाली हर वस्तु की गहन समीक्षा की गई और अधिकांश मामलों में टैक्स दरें घटाई गईं। श्रम-प्रधान उद्योगों, कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य सेवाओं को विशेष राहत दी गई है।”
राजस्व पर असर
बैठक के दौरान कई राज्यों ने राजस्व हानि को लेकर चिंता जताई और अनुमान लगाया कि इसका असर 80,000 करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। हालांकि, अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ और वोटिंग की नौबत नहीं आई।
राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि इस सुधार का “नेट राजस्व प्रभाव 48,000 करोड़ रुपये के आसपास होगा। इसे हम राजस्व हानि नहीं बल्कि राजकोषीय प्रभाव मानते हैं।”
वस्त्र और उर्वरक क्षेत्र में सुधार
लंबे समय से लंबित इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का समाधान वस्त्र और उर्वरक क्षेत्र में भी किया गया। मैनमेड फाइबर पर टैक्स 18% से घटाकर 5% और मैनमेड यार्न पर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया। उर्वरक क्षेत्र में सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया।
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
उद्योग जगत ने इन सुधारों का स्वागत किया। सीआईआई (CII) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “जीएसटी दरों को 22 सितंबर से दो स्लैब (5% और 18%) में लाना, रिफंड और एमएसएमई प्रक्रियाओं को सरल बनाना और जीवन व स्वास्थ्य बीमा को टैक्स से मुक्त करना ऐतिहासिक फैसला है। इससे अनुपालन आसान होगा, विवाद घटेंगे और व्यवसायों को स्थिरता मिलेगी। उद्योग इन लाभों को तुरंत उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगा।”
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