इस साल सोने और चांदी की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है, और दोनों ही कीमती धातुओं ने भारत में नए रिकॉर्ड बनाए हैं। धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहारों पर सोना खरीदने वाले परिवारों के लिए यह तेजी उत्साहजनक भी है और थोड़ी चिंताजनक भी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बढ़ती हुई महंगाई के बीच अपनी बचत को जोखिम में डाले बिना निवेश कैसे किया जाए?
क्यों बढ़ रही है सोने-चांदी की चमक?
दुनिया भर के निवेशक इस समय महंगाई, करेंसी में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनावों के कारण सुरक्षित निवेश के विकल्प तलाश रहे हैं, और सोना हमेशा से एक ‘सेफ हेवन’ माना जाता रहा है। इसके अलावा, भारत में त्योहारों और शादियों के सीजन की मांग ने इस आग में घी का काम किया है।
वहीं, चांदी, जिसे अक्सर “गरीबों का सोना” कहा जाता है, भी इसी राह पर है। इलेक्ट्रॉनिक्स और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने से इसकी कीमतों को और सहारा मिला है।
गहने खरीदें या निवेश वाला सोना?
अगर आप त्योहार के लिए गहने खरीद रहे हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि मेकिंग चार्ज और जीएसटी के कारण यह निवेश वाले सोने से कहीं ज्यादा महंगा पड़ता है। अगर आपका मकसद सिर्फ निवेश करना है, तो सोने के सिक्के और बिस्कुट खरीदना एक बेहतर विकल्प है। जो लोग झंझटों से बचना चाहते हैं, उनके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) और गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) सबसे अच्छे हैं, क्योंकि इनमें स्टोरेज की चिंता नहीं होती।
चांदी का आकर्षण क्यों बढ़ रहा है?
चांदी अब सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं है। इसका इस्तेमाल सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों में तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से चांदी की दोहरी मांग है – औद्योगिक भी और निवेश के लिए भी। निवेशक चांदी के सिक्के, बिस्कुट या ETFs खरीद सकते हैं, लेकिन उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि चांदी की कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा अस्थिर होती हैं।
ज्यादा निवेश करने से बचें
जब कीमतें बढ़ रही हों, तो अक्सर लोग और ज्यादा निवेश करने के लिए उत्साहित हो जाते हैं। लेकिन विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आपको अपने कुल पोर्टफोलियो का केवल 10 से 15 प्रतिशत ही सोने और चांदी में लगाना चाहिए। इन धातुओं में बहुत ज्यादा पैसा लगाने से आप इक्विटी जैसे ज्यादा रिटर्न देने वाले विकल्पों से चूक सकते हैं।
खरीददारी का सही समय क्या है?
बाजार का सटीक अनुमान लगाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। इसलिए, एक ही बार में सारा पैसा लगाने की बजाय, किश्तों में खरीदारी करना एक बेहतर रणनीति है। आप कुछ हफ्तों या महीनों के अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी खरीदारी कर सकते हैं। इससे आपकी खरीद की औसत कीमत बेहतर हो जाती है और एक ही बार में सबसे ऊंचे दाम पर खरीदने का जोखिम कम हो जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. अभी फिजिकल सोना खरीदना बेहतर है या गोल्ड ETFs?
अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का निवेश है, तो ETFs या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ज्यादा फायदेमंद हैं। इनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता और इन्हें बेचना भी आसान होता है।
2. क्या मुझे सोने की जगह चांदी में निवेश करना चाहिए?
चांदी अच्छा रिटर्न दे सकती है, लेकिन यह सोने से कहीं ज्यादा अस्थिर है। इसे सोने का विकल्प समझने की बजाय, अपने पोर्टफोलियो में थोड़ी मात्रा में शामिल करना बेहतर है।
3. मुझे अपने पोर्टफोलियो में कितना सोना या चांदी रखना चाहिए?
विशेषज्ञ आमतौर पर आपके कुल निवेश का 10-15% हिस्सा ही इन कीमती धातुओं में रखने की सलाह देते हैं ताकि पोर्टफोलियो में संतुलन बना रहे।
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