नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने सोमवार को यह जानकारी दी है कि मतदाता सूची में संशोधन का दूसरा चरण अगले महीने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद शुरू किया जाएगा। यह प्रक्रिया देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित होगी।
आयोग ने बताया कि इस राष्ट्रव्यापी ‘विशेष गहन संशोधन’ (Special Intensive Revision) का पहला चरण बिहार में जून और जुलाई के दौरान संचालित किया गया था। यह प्रक्रिया 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुई। चुनाव आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया कि पहले चरण के दौरान ‘गलत तरीके से नाम हटाने’ (wrongful deletions) के खिलाफ “शून्य अपीलें” (zero appeals) दर्ज की गईं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा, “कानून के अनुसार, प्रत्येक चुनाव से पहले या आवश्यकता के आधार पर मतदाता सूचियों को संशोधित किया जाना अनिवार्य है।”
उन्होंने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि विपक्ष, जिसने बिहार चुनाव से छह महीने से भी कम समय पहले मतदाता सूची संशोधन के समय पर सवाल उठाया था, “स्वयं भी मतदाता सूचियों की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे उठाता रहा है।”
सीईसी कुमार ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा, “मतदाता सूचियों का विशेष गहन संशोधन (SIR) 1951 से लेकर 2004 तक पहले ही आठ बार किया जा चुका है। पिछला SIR 21 साल से भी अधिक समय पहले, साल 2002 से 2004 के बीच किया गया था।”
उन्होंने मतदाता सूची को अद्यतन (refresh) करने की आवश्यकता के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया, “(पिछले संशोधन के बाद से) लोगों के लगातार प्रवासन (migration) के कारण मतदाता सूचियों में कई बदलाव हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हो सकते हैं।”
इसके अतिरिक्त, मतदाता सूची को ताज़ा करने के अन्य कारणों में उन लोगों के नाम हटाना शामिल है जिनकी मृत्यु हो चुकी है, या उन लोगों के नाम हटाना जो गलत तरीके से शामिल हो गए हों, जैसे कि विदेशी नागरिक। आयोग का लक्ष्य इस प्रक्रिया के माध्यम से एक स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करना है।
यह भी पढ़ें-











