सैन फ्रांसिस्को: प्रतिभा और दृढ़ संकल्प का एक शानदार उदाहरण पेश करते हुए, भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों वरुण वम्मादी और ईशा मणिदीप ने इतिहास रच दिया है। आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) के इन पूर्व छात्रों ने अपने सैन फ्रांसिस्को स्थित एआई स्टार्टअप, ‘गीगा’ (Giga) के लिए सीरीज ए फंडिंग राउंड में 61 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी-भरकम राशि जुटाई है।
इस महत्वपूर्ण निवेश का नेतृत्व रेडपॉइंट वेंचर्स ने किया, जिसमें प्रतिष्ठित वाई कॉम्बिनेटर और नेक्सस वेंचर पार्टनर्स ने भी अपनी भागीदारी दर्ज कराई।
लाखों डॉलर के ऑफर्स को कहा ‘ना’
वरुण और ईशा की कहानी सिर्फ फंडिंग तक सीमित नहीं है; यह जोखिम लेने के उनके साहस की कहानी है, जिसने इंटरनेट पर सबका दिल जीत लिया है। ‘गीगा’ को शुरू करने के लिए इन दोनों ने अपने करियर के सबसे सुरक्षित और आकर्षक रास्तों को छोड़ दिया था।
दो साल पहले वरुण ने लिंक्डइन पर साझा किया था कि उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी का ऑफर और एक अंतरराष्ट्रीय एचएफटी (HFT) फर्म में बतौर क्वांट ट्रेडर 525,000 डॉलर का मोटा पैकेज ठुकरा दिया था। इसी तरह, उनकी सह-संस्थापक ईशा मणिदीप ने भी भारत की एक प्रमुख एचएफटी फर्म में 150,000 डॉलर की सिस्टम इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी थी।
उनका लक्ष्य मशीन लर्निंग की चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हल करना था। आज, 2023 में ‘गीगा’ के लॉन्च से ठीक पहले किया गया वह पोस्ट सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो रहा है और लोग इसे “दीर्घकालिक सोच का मास्टरक्लास” बता रहे हैं।
क्या है ‘गीगा’ का मिशन?
‘गीगा’ का उद्देश्य व्यवसायों के लिए वॉयस-बेस्ड एआई एजेंट तैयार करना है। कंपनी का मिशन कस्टमर सपोर्ट को पूरी तरह से ऑटोमेट करना है, ताकि उनके बुद्धिमान एआई एजेंट हर दिन लाखों बातचीत को संभाल सकें।
फंडिंग की घोषणा के दौरान साझा किए गए एक वीडियो में, संस्थापकों ने बताया कि उनकी तकनीक का उपयोग पहले से ही ‘डोरडैश’ (DoorDash) जैसी बड़ी कंपनी द्वारा किया जा रहा है और जल्द ही कई फॉर्च्यून 100 कंपनियां भी इसकी ग्राहक बनेंगी।
सफलता के बीच झेलनी पड़ी नस्लीय टिप्पणियां
फोर्ब्स की ’30 अंडर 30′ सूची में शामिल इन दोनों युवाओं ने जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी इस उपलब्धि की घोषणा की, तो उन्हें कुछ कड़वे अनुभवों का भी सामना करना पड़ा। उनकी नवाचार की तारीफ करने के बजाय, कुछ यूजर्स ने उनके भारतीय लहजे (एक्सेंट) और रंग-रूप का मजाक उड़ाया।
एक यूजर ने अपमानजनक टिप्पणी करते हुए लिखा, “भारतीय सामान्य तौर पर बदसूरत होते हैं।”
वहीं एक अन्य ने लिखा, “अगर आपने $61 मिलियन जुटाए हैं, तो शायद डेमो के लिए आकर्षक लोगों को काम पर रखें।”
समर्थकों ने दिया करारा जवाब
हालांकि, इंटरनेट पर मौजूद समझदार लोगों ने इन ट्रोल्स को तुरंत आड़े हाथों लिया। उनके समर्थन में एक यूजर ने लिखा, “जब लोग बुद्धिमत्ता में मुकाबला नहीं कर पाते, तो वे दिखावे पर हमला करते हैं। यह हास्य नहीं, असुरक्षा है।”
एक अन्य समर्थक ने सटीक जवाब दिया, “उनके पास एक आकर्षक प्रोडक्ट है और यही मायने रखता है। आप ‘एक्स’ का उपयोग इसलिए नहीं करते कि एलन मस्क आकर्षक हैं; आप इसका उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि यह एक बेहतरीन प्रोडक्ट है।”
वरुण और ईशा की यह सफलता दर्शाती है कि कैसे युवा भारतीय इंजीनियर अब पारंपरिक रास्तों से हटकर एआई जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
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