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गुजरात के इतिहास में पहली बार: गोहत्या के मामले में अमरेली कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, तीन दोषियों को आजीवन कारावास

| Updated: November 13, 2025 13:11

अमरेली कोर्ट ने पेश की नजीर: 6 लाख का जुर्माना और उम्रकैद, गृह मंत्री बोले- 'गौ माता के दोषियों को नहीं बख्शेंगे'

अमरेली: गुजरात की न्यायिक व्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ गया है। अमरेली सेशंस कोर्ट ने गोहत्या के एक मामले में ऐतिहासिक नजीर पेश करते हुए तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका है जब गोहत्या के जुर्म में इतनी सख्त सजा दी गई है। अदालत ने तीनों दोषियों पर 6.08 लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया है।

इस फैसले को राज्य सरकार ने गो-संरक्षण कानूनों को लागू करने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया है। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे असामाजिक तत्वों के लिए एक “कड़ा संदेश” करार दिया है।

अमरेली में गूंजा न्याय का हथौड़ा

सेशंस जज रिज़वानाबेन बुखारी द्वारा सुनाया गया यह फैसला एक साल तक चले उस मुकदमे का परिणाम है, जिसने अमरेली जैसे छोटे शहर को हिलाकर रख दिया था और पूरे गुजरात में पशु संरक्षण अधिनियम पर बहस छेड़ दी थी। अदालत ने सबूतों के आधार पर अकरम हाजी सोलंकी, सत्तार इस्माइल सोलंकी और कासिम सोलंकी को गायों की हत्या और गोमांस की तस्करी का दोषी पाया।

क्या था पूरा मामला?

इस घटना के तार पिछले साल 6 नवंबर, 2023 से जुड़े हैं। पुलिस अधिकारी वनराज मंजरिया को मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए, अमरेली सिटी पुलिस के एएसआई आर.एन. मालकिया ने अपनी टीम के साथ खटकीवाड इलाके में छापा मारा था।

यह रेड मुख्य आरोपी अकरम सोलंकी के घर पर की गई थी। वहां का दृश्य दिल दहलाने वाला था—रसोईघर में काटे गए पशुओं के अवशेष बिखरे पड़े थे, जिनमें पूंछ, खाल और पैर शामिल थे। पुलिस ने मौके से ही कासिम सोलंकी को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि अकरम और सत्तार मौके का फायदा उठाकर भाग निकले थे, जिन्हें बाद में पुलिस ने दबोच लिया था।

सरकारी वकील की दलील और सजा का गणित

इस केस की पैरवी कर रहे सरकारी वकील (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) चंद्रेश बी. मेहता ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह फैसला न केवल अमरेली बल्कि पूरे राज्य के लिए ऐतिहासिक है। पहली बार गोहत्या के एक ही मामले में तीन अभियुक्तों को उम्रकैद मिली है। यह साबित करता है कि नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए बनाया गया गुजरात का गो-संरक्षण कानून केवल दिखावटी नहीं है, बल्कि यह पूरी ताकत से न्याय करता है।”

मुकदमे के दौरान मेहता द्वारा पेश किए गए गवाहों और सबूतों ने यह साबित कर दिया कि आरोपियों ने अवैध मांस व्यापार के लिए जानबूझकर गायों को काटा था।

अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत सजा निर्धारित की:

  • गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम की धारा 5: आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना।
  • धारा 6(बी): सात साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना।
  • आईपीसी की धारा 429: पांच साल की कैद और 5,000 रुपये जुर्माना।
  • आईपीसी की धारा 295: तीन साल की सजा और 3,000 रुपये जुर्माना।

कोर्ट ने आदेश दिया है कि ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। यदि दोषी जुर्माना भरने में विफल रहते हैं, तो उनकी जेल की अवधि और बढ़ा दी जाएगी।

फैसले पर प्रतिक्रिया

जैसे ही जज ने फैसला पढ़ना शुरू किया, अदालत कक्ष में सन्नाटा पसर गया। फैसला आते ही वहां मौजूद पशु कल्याण कार्यकर्ताओं के चेहरों पर राहत दिखाई दी, जो लंबे समय से इस केस पर नजर बनाए हुए थे।

फैसले के बाद गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा: “देश के इतिहास में पहली बार गोहत्या के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह सिर्फ एक फैसला नहीं, बल्कि एक संदेश है। हमारी आस्था और संस्कृति की प्रतीक ‘गौ माता’ के साथ अन्याय करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”

यह फैसला गुजरात के कानूनी और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है, जो यह संकेत देता है कि राज्य में गो-संरक्षण कानून अब अपनी पूरी सख्ती के साथ लागू किए जाएंगे।

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