नई दिल्ली: लाल किला ब्लास्ट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों के हाथ चौंकाने वाले सुराग लगे हैं। जांचकर्ताओं ने खुलासा किया है कि फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से जुड़े तीन विदेशी हैंडलर्स में से एक ने, गिरफ्तार किए गए डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनाई को एनक्रिप्टेड ऐप्स के जरिए बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे। गनाई, धमाके को अंजाम देने वाले 36 वर्षीय उमर नबी का साथी और सहयोगी था।
जांच एजेंसियां अब इन हैंडलर्स की भूमिका और पहचान की गहराई से जांच कर रही हैं। माना जा रहा है कि इन्होंने ही मॉड्यूल को बम बनाने में मदद की और उन्हें आत्मघाती हमले की राह पर धकेला। कर्नाटक के सूत्रों के मुताबिक, इस मामले के तार हाल ही में भारत में हुए ‘डू-इट-योरसेल्फ’ (DIY) बम धमाकों के पैटर्न से काफी मिलते-जुलते हैं।
कौन हैं वो तीन संदिग्ध हैंडलर्स?
दिल्ली मामले में जिन तीन हैंडलर्स की पहचान हुई है, उनके कोड नेम ‘हंजुल्लाह’, ‘निसार’ और ‘उकासा’ बताए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि ये उनके असली नाम नहीं बल्कि छद्म नाम (Pseudonyms) हो सकते हैं।
शुरुआती जांच से जुड़े पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘हंजुल्लाह’ नाम की पहचान वाले शख्स ने ही 35 वर्षीय डॉ. गनाई को बम बनाने के 40 से ज्यादा वीडियो भेजे थे। आरोप है कि डॉ. गनाई ने ही मॉड्यूल के लिए विस्फोटकों को स्टोर करने का इंतजाम किया था। गनाई को ब्लास्ट से 10 दिन पहले गिरफ्तार किया गया था और उसके परिसर से 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट सहित कुल 2,500 किलो से अधिक विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी।
दक्षिण भारत के धमाकों से जुड़ रहे तार
इस केस में मोहम्मद शाहिद फैसल नाम का एक विदेशी हैंडलर भी एजेंसियों के रडार पर है। वह ‘कर्नल’, ‘लैपटॉप भाई’ और ‘भाई’ जैसे कोड नामों का इस्तेमाल करता है। माना जाता है कि उसने 2020 से कर्नाटक और तमिलनाडु में बम धमाकों को अंजाम देने के लिए आतंकी मॉड्यूल के साथ समन्वय किया था।
फैसल का लिंक 23 अक्टूबर 2022 के कोयंबटूर कार सुसाइड ब्लास्ट, 20 नवंबर 2022 के ‘एक्सीडेंटल’ मंगलुरु ऑटो रिक्शा ब्लास्ट और 1 मार्च 2024 के बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट से बताया जा रहा है।
जांचकर्ताओं के अनुसार, फैसल उर्फ जाकिर उस्ताद बेंगलुरु का एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है। वह 2012 में 28 साल की उम्र में तब लापता हो गया था, जब बेंगलुरु में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकी साजिश का पर्दाफाश हुआ था। पुलिस द्वारा मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचान किए जाने के बाद वह कथित तौर पर पाकिस्तान भाग गया था। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में फैसल सीरिया-तुर्की सीमा पर सक्रिय था और रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट की एनआईए जांच में उसकी पहचान एक फरार आरोपी के रूप में की गई है।
गौर करने वाली बात यह है कि लाल किला टेरर मॉड्यूल का एक हैंडलर ‘उकासा’ भी तुर्की में ही बताया जा रहा है। कर्नाटक के सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि “संभावना है कि दिल्ली की घटना रिमोट हैंडलर के जरिए कर्नाटक और तमिलनाडु की हालिया घटनाओं से जुड़ी हो, क्योंकि ऑपरेशन का तरीका काफी मिलता-जुलता है।”
कोयंबटूर कार ब्लास्ट जैसी समानताएं
दक्षिण भारत में हाल ही में हुई घटनाओं में से, लाल किला ब्लास्ट की साजिश 23 अक्टूबर 2022 के कोयंबटूर सुसाइड कार ब्लास्ट से सबसे ज्यादा मेल खाती है। कोयंबटूर में 28 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट जेमशा मुबिन ने एक मंदिर के बाहर कार में धमाका किया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। मुबिन एक पुरानी मारुति 800 कार चला रहा था, जिसे विशेष रूप से धमाके के लिए खरीदा गया था। जांचकर्ताओं का मानना है कि उसने कार में रखे एलपीजी सिलेंडर में विस्फोट करने के लिए आईईडी (IED) का इस्तेमाल किया था।
मुबिन के ठिकानों की तलाशी में पोटेशियम नाइट्रेट, रेड फास्फोरस, पीईटीएन पाउडर और बैटरी जैसी चीजें मिली थीं, जो आमतौर पर एनक्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताए जाने वाले ‘DIY बम बनाने के तरीकों’ में इस्तेमाल होती हैं।
कॉमन हैंडलर का संदेह
एनआईए की जांच में यह बात सामने आई थी कि मुबिन को रिमोट हैंडलर्स द्वारा ‘जिहाद’ के लिए कट्टरपंथी बनाया गया था। तमिलनाडु और कर्नाटक में 2022 के बम धमाकों में शामिल मॉड्यूल्स के लिए एक ही ‘कॉमन हैंडलर’ होने का संदेह था, लेकिन उसकी पहचान रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के बाद ही हो पाई।
सूत्रों ने बताया कि 2020-2025 की अवधि के दौरान दिल्ली, पडघा और पुणे में भी इसी तरह के मॉड्यूल संचालित थे। ये सभी मॉड्यूल एक ही तरीके से काम कर रहे थे—ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन के बाद आम घरेलू सामानों का उपयोग करके खुद आईईडी (IED) बनाने की कोशिश करना।
डिजिटल तकनीक और क्रिप्टो का इस्तेमाल
फैसल पर आरोप है कि उसने 2020 से दक्षिण भारत में आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए एक आईटी इंजीनियर, ताहा को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए हजारों रुपये और बम बनाने के दर्जनों वीडियो भेजे थे।
दिल्ली लाल किला की घटना और कर्नाटक-तमिलनाडु की पिछली घटनाओं के बीच एक और बड़ी समानता है—कम्युनिकेशन के लिए सिग्नल, सेशन और टेलीग्राम जैसे एनक्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल। इन्ही प्लेटफॉर्म्स के जरिए विदेशी हैंडलर्स ने बम बनाने की तकनीक और वीडियो साझा किए।
फिलहाल, 10 नवंबर को हुए दिल्ली ब्लास्ट के बाद से सुरक्षा एजेंसियां कर्नाटक और तमिलनाडु की जेलों में बंद इस्लामिक स्टेट से जुड़े संदिग्धों से पूछताछ कर रही हैं, ताकि दिल्ली ब्लास्ट में शामिल असली हैंडलर्स की पहचान पुख्ता की जा सके।
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