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गुजरात से मिजोरम तक फैला ड्रग्स का काला कारोबार: ED की जांच में हुआ बड़ा खुलासा

| Updated: November 29, 2025 13:38

गुजरात की फर्मों से सप्लाई हुए केमिकल, म्यांमार में बनी 'Meth' ड्रग्स; ED की रेड में हवाला और क्रॉस-बॉर्डर तस्करी के बड़े नेटवर्क का खुलासा, 21 बैंक खाते फ्रीज।

अहमदाबाद/आइजोल: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ड्रग्स तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जांच में सामने आया है कि मिजोरम में पकड़े गए ड्रग्स के मामले के तार सीधे तौर पर गुजरात से जुड़े हुए हैं। एजेंसी की तफ्तीश में पता चला है कि गुजरात की कुछ फर्मों ने ‘मेथामफेटामाइन’ (Meth) यानी ‘आइस’ ड्रग्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल प्रिकर्सर्स की सप्लाई की थी।

इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ED ने 27 नवंबर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत कई राज्यों में छापेमारी की। जांच एजेंसी ने मिजोरम के आइजोल और चम्फाई, असम के श्रीभूमि (करीमगंज) और गुजरात के अहमदाबाद में एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया।

कैसे हुई इस बड़े रैकेट की शुरुआत?

इस पूरे मामले की जड़ें तब खुलीं जब मिजोरम पुलिस ने एनडीपीएस (NDPS) एक्ट, 1985 के तहत एक एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने छह लोगों के पास से 4.724 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी, जिसकी बाजार में कीमत करीब 1.41 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस मामले में कार्रवाई करते हुए अब तक कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

गुजरात की फर्म ‘कृषिव एंटरप्राइजेज’ का नाम आया सामने

ED ने जब आरोपियों के वित्तीय लेन-देन और खुफिया जानकारियों को खंगाला, तो मिजोरम और गुजरात की फर्मों के बीच संदिग्ध लिंक मिले। जांच में पाया गया कि गुजरात स्थित फर्म ‘कृषिव एंटरप्राइजेज’ (Krishiv Enterprises) ने साल 2024-25 के दौरान मिजोरम की फर्मों को 4.54 करोड़ रुपये के केमिकल सप्लाई किए थे।

इन केमिकल्स में स्यूडोएफेड्रिन टैबलेट्स (जो NDPS-RCS आदेश 2013 के तहत शेड्यूल A, B, C पदार्थ हैं) और कैफीन एनहाइड्रस शामिल हैं। ये दोनों ही रसायन मेथामफेटामाइन (Meth) के उत्पादन में बतौर कच्चा माल (Pre-precursor) इस्तेमाल किए जाते हैं।

भारत से म्यांमार: ड्रग्स की तस्करी का पूरा खेल

जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि इस रैकेट में हवाला ऑपरेटरों और तस्करों का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा है, जिसके तार कोलकाता की फर्जी (Shell) कंपनियों से भी जुड़े हैं।

साजिश का तरीका बेहद शातिर है। भारत से इन रसायनों (Precursors) को खुली सीमाओं के जरिए तस्करी करके म्यांमार भेजा जाता है। वहां इन रसायनों का इस्तेमाल करके ‘मेथामफेटामाइन’ तैयार किया जाता है और फिर तैयार ड्रग्स को वापस मिजोरम के रास्ते भारत में तस्करी कर लाया जाता है।

हवाला के जरिए करोड़ों का खेल

ED की रिपोर्ट में वित्तीय लेन-देन के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जांच में पता चला कि अबू सालेह सैफ उद्दीन के खातों में 11 करोड़ रुपये और कथित नार्को-हवाला ऑपरेटर लालरामपरी (Lalrampari) के खातों में 52.8 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम क्रेडिट हुई है।

हैरानी की बात यह है कि कैश डिपॉजिट का यह नेटवर्क असम, मिजोरम, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली तक फैला हुआ है।

छापेमारी में मिली नकदी और सबूत

ED द्वारा की गई तलाशी के दौरान 46.7 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, डिजिटल डिवाइसेज और कई संदिग्ध खाता-बही (Account Books) भी जब्त की गई हैं। जांच में एक और बड़ा फ्रॉड सामने आया कि म्यांमार स्थित ऑपरेटरों ने ड्रग्स बनाने के लिए कच्चा माल खरीदने हेतु भारतीय नागरिकों के जीएसटी (GST) क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग किया।

एजेंसी के मुताबिक, सबूत बताते हैं कि भारतीयों ने म्यांमार के नागरिकों के इशारे पर स्यूडोएफेड्रिन टैबलेट और कैफीन एनहाइड्रस की खरीद की थी, जिससे सीमा पार ड्रग्स निर्माण और तस्करी का नेटवर्क खड़ा किया गया। कार्रवाई करते हुए जांचकर्ताओं ने इस मामले से जुड़े 21 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है।

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