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सक्सेस स्टोरी: कभी 20 रुपये प्रति घंटे पर साफ कीं टेबल, फिर ठुकराया 1 करोड़ का पैकेज; आज 325 करोड़ की कंपनी के हैं मालिक

| Updated: December 3, 2025 13:31

मैकडॉनल्ड्स से शुरू हुआ संघर्ष, 1 करोड़ की नौकरी छोड़ी और शार्क टैंक के जज अमन गुप्ता के भरोसे से बदली तकदीर; पढ़ें 'Let’s Try' की पूरी कहानी।

सफलता किसी जादुई छड़ी या शॉर्टकट से नहीं मिलती। यह मिलती है भीड़ से हटकर सोचने, जोखिम उठाने और अपनी कमियों को ताकत में बदलने से। दिल्ली के नितिन कालरा की कहानी इसका जीता-जागता सबूत है। एक वक्त था जब नितिन महज 20 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से टेबल और वॉशरूम साफ करने का काम करते थे। लेकिन अपने जुनून के दम पर उन्होंने न सिर्फ 1 करोड़ रुपये सालाना की नौकरी को ठोकर मारी, बल्कि महज चार साल में 325 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी।

नितिन कालरा ने यह मुकाम हेल्दी स्नैक्स (healthy snacks) के बाजार में उस कमी को पहचान कर हासिल किया, जिसे बाकी लोग नजरअंदाज कर रहे थे।

मैकडॉनल्ड्स में नौकरी और शुरुआती संघर्ष

नितिन कालरा का सफर आसान नहीं था। अपने कॉलेज के दिनों में, उन्होंने मैकडॉनल्ड्स में काम करना शुरू किया था। वहां उन्हें टेबल और वॉशरूम साफ करने की जिम्मेदारी मिली थी, जिसके बदले उन्हें 20 रुपये प्रति घंटे का भुगतान मिलता था।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ में एक इंटरव्यू के दौरान नितिन ने उन दिनों को याद करते हुए बताया कि उन शुरुआती नौकरियों ने ही उनके भीतर काम के प्रति नैतिकता (work ethic) और अनुशासन पैदा किया।

फूड इंडस्ट्री में एक दशक से अधिक समय बिताने और बड़ी कंपनियों के साथ काम करने के बाद, नितिन को एक बात समझ आ गई थी। बाजार में पैकेटबंद स्नैक्स की भरमार तो थी, लेकिन उनमें से शायद ही कोई ऐसा था जिसे वाकई ‘हेल्दी’ कहा जा सके। इसी गैप ने उन्हें अपना खुद का कुछ शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

घर की एक घटना ने बदल दी सोच

नितिन के उद्यमी बनने के पीछे सिर्फ बाजार की समझ नहीं, बल्कि एक निजी कारण भी था। कंपनी के यूट्यूब वीडियो में साझा की गई जानकारी के मुताबिक, नितिन की बहन के बेटे को थैलेसीमिया (Thalassemia) डायग्नोस हुआ था। इस खबर ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया और उन्हें अपनी रसोई में मौजूद खाने-पीने की चीजों पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया।

उन्होंने महसूस किया कि बाजार में मिलने वाले ज्यादातर स्नैक्स में न तो अच्छी गुणवत्ता वाली सामग्री होती है, न ही उनकी लेबलिंग ईमानदार होती है। इसी चिंता ने ‘Let’s Try’ ब्रांड की नींव रखी। नितिन और उनकी पत्नी चित्रा ने तय किया कि वे ऐसे स्नैक्स बनाएंगे जो साफ-सुथरे हों और जिन्हें वे खुद बिना किसी डर के खा सकें।

1 करोड़ की नौकरी छोड़ी और शार्क टैंक तक पहुंचे

अपने सपने को पूरा करने के लिए नितिन ने एक बहुत बड़ा जोखिम उठाया। उन्होंने अपनी 1 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी। साल 2021 में ‘Let’s Try’ ने आकार लिया और इसी साल वे ‘शार्क टैंक इंडिया’ के पहले सीजन में भी नजर आए।

शो में अपनी पिच के दौरान, उन्होंने 2 प्रतिशत इक्विटी के बदले 45 लाख रुपये की मांग की थी। शुरुआत में शार्क अमन गुप्ता और अनुपम मित्तल ने दिलचस्पी दिखाई, लेकिन बाद में अनुपम इस डील से पीछे हट गए। अंत में, boAt के को-फाउंडर अमन गुप्ता ने उन पर भरोसा जताया और कंपनी में 12 लाख रुपये का निवेश किया।

शार्क टैंक इतिहास का सबसे बेहतरीन निवेश

अमन गुप्ता ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि जब दूसरे निवेशक इस ब्रांड को नकार रहे थे, तब उन्होंने नितिन का साथ क्यों दिया। अमन के मुताबिक, कई लोगों को लगा कि स्नैक्स का बाजार पहले से ही बड़ी कंपनियों से भरा हुआ है, लेकिन उन्हें नितिन की स्पष्टता और दृढ़ विश्वास पर भरोसा था।

अमन का वह भरोसा आज सोने में बदल चुका है। उनका 12 लाख रुपये का निवेश बढ़कर अब 40 करोड़ रुपये हो गया है। अमन गुप्ता इसे शार्क टैंक इंडिया के इतिहास में अपना ‘सबसे बेहतरीन निवेश’ मानते हैं। Tracxn के आंकड़ों के अनुसार, आज इस कंपनी की वैल्यूएशन 324 करोड़ रुपये (लगभग 325 करोड़) तक पहुंच चुकी है।

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