बेंगलुरु से सामने आई एक कहानी ने उन तमाम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जो यह मानते हैं कि ‘अर्ली रिटायरमेंट’ (जल्दी रिटायरमेंट) के लिए सुख-सुविधाओं का त्याग करना पड़ता है। 3.2 लाख रुपये मासिक आय वाले एक पति-पत्नी ने चुपचाप अपने 40वें दशक के लिए करोड़ों रुपये का फंड तैयार करने का खाका खींच लिया है। मजे की बात यह है कि उन्होंने इसके लिए न तो अपनी लाइफस्टाइल से कोई बड़ा समझौता किया है और न ही बहुत ज्यादा कंजूसी की है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) नितिन कौशिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनकी इस रणनीति को साझा किया है। यह कहानी साबित करती है कि हाई-रिस्क वाले दांव या अचानक मिले बड़े पैसे के बजाय, सिर्फ निरंतरता (consistency) से कैसे बड़ी जीत हासिल की जा सकती है।
विरासत का फायदा और ईएमआई (EMI) से आजादी
सीए नितिन कौशिक बताते हैं कि इस कपल की सफलता की नींव एक महत्वपूर्ण लाभ पर टिकी है— वे एक पैतृक घर (inherited home) में रहते हैं। इसका सीधा मतलब है कि उनके सिर पर होम लोन की ईएमआई का कोई बोझ नहीं है। मासिक देनदारियों से मिली यह आजादी उन्हें भविष्य की योजना बनाने के लिए एक स्पष्ट नजरिया देती है।
अक्सर आय बढ़ने पर लोग अपनी जीवनशैली को तुरंत अपग्रेड कर लेते हैं, लेकिन इस कपल ने अलग रास्ता चुना। वे हर महीने एक बहुत ही सधा हुआ फैसला लेते हैं: वे बिना कोई भी चक्र चूके, हर महीने एसआईपी (SIP) के जरिए 1.8 लाख रुपये का निवेश करते हैं।
4 करोड़ के कॉर्पस का गणित
पूरे एक साल में उनका यह अनुशासित निवेश 21.6 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। उनकी योजना इस सिलसिले को 50 साल की उम्र तक जारी रखने की है। सीए नितिन कौशिक समझाते हैं कि अगर हम 11 प्रतिशत सीएजीआर (CAGR) का एक रूढ़िवादी (conservative) अनुमान भी लेकर चलें, तो सिर्फ यह रूटीन अगले एक दशक में उनके लिए लगभग 3.9 से 4.3 करोड़ रुपये का बड़ा फंड तैयार कर देगा।
इसमें कोई जटिल रणनीति या रॉकेट साइंस नहीं है— यह केवल कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) की ताकत है, जो अपना काम खामोशी से कर रही है।
मकसद अमीर बनना नहीं, सुकून पाना है
इस कपल को जो चीज प्रेरित करती है, वह ‘जल्दी अमीर’ बनने का सपना नहीं है। उन्होंने सीए नितिन कौशिक को बताया कि उनके लिए अर्ली रिटायरमेंट का मतलब ‘वित्तीय चिंता’ (Financial anxiety) से दूर जाना है। उनकी प्राथमिकताएं बिल्कुल साफ हैं— जीवन में स्थिरता, स्पष्टता और अपने समय पर खुद का नियंत्रण।
उनकी प्रेरणा को अगर टुकड़ों में समझा जाए, तो वे अनिश्चितता से मुक्ति, स्थिरता की चाहत और अपने लिए अधिक व्यक्तिगत समय चाहते हैं। उनके लिए दौलत कमाना इस समीकरण का सबसे छोटा हिस्सा है।
क्या वे खुशियों से समझौता करते हैं?
इतने आक्रामक निवेश के बावजूद, वे खुद को किसी भी चीज से वंचित नहीं रख रहे हैं। वे अभी भी वीकेंड पर बाहर घूमने का आनंद लेते हैं, साल में एक बार छुट्टियों (vacations) पर जाते हैं और घर पर एक शांत, आरामदायक जीवन जीते हैं। उनकी रणनीति यह साबित करती है कि भविष्य के लिए बचत करना कोई सजा नहीं है, बल्कि दबाव के बजाय शांति को चुनने का एक सचेत निर्णय है।
निवेश का सरल मंत्र
उन्होंने अपने निवेश को बहुत संतुलित रखा है। इसमें इक्विटी म्यूचुअल फंड एसआईपी, एनपीएस (NPS) में छोटा हिस्सा और एक मजबूत इमरजेंसी फंड शामिल है। कुछ भी बहुत ज्यादा जोखिम भरा या पेचीदा नहीं— बस इतना डायवर्सिफिकेशन जो उन्हें स्थिर रख सके।
इस पूरी यात्रा के माध्यम से, सीए नितिन कौशिक एक साधारण सी सच्चाई को उजागर करते हैं: आर्थिक आजादी कोई जैकपॉट लगने जैसा नहीं है। यह उन आदतों के जरिए धीरे-धीरे और लगभग चुपचाप बढ़ती है, जो बाहर से देखने में बहुत बोरिंग लग सकती हैं।
उनका फॉर्मूला सीधा है: जल्दी शुरुआत करें, अनावश्यक कर्ज से बचें, लगातार निवेश करें और कंपाउंडिंग को अपना काम करने दें। यह एक ऐसा रास्ता है जिस पर कोई भी चल सकता है, और बेंगलुरु के इस कपल की कहानी बताती है कि महीने-दर-महीने इसे दोहराना कितना शक्तिशाली हो सकता है।
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