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अंबुजा सीमेंट्स ने रचा इतिहास: ग्लोबल सीमेंट सेक्टर में पहले इंडो-स्वीडिश CCU पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया

| Updated: December 10, 2025 14:43

आईआईटी बॉम्बे और स्वीडन की इको टेक के साथ साझेदारी; कार्बन उत्सर्जन को ग्रीन फ्यूल में बदलने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल।

अहमदाबाद: अडानी पोर्टफोलियो का हिस्सा और दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी बिल्डिंग मटीरियल सॉल्यूशंस प्रदाता कंपनी, अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड (Ambuja Cements Limited) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी को कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU) के लिए प्री-पायलट टेक्नोलॉजी फिजिबिलिटी स्टडी के लिए इंडो-स्वीडिश ग्रांट (अनुदान) प्राप्त हुआ है।

यह प्रोजेक्ट आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay) और स्वीडन की इको टेक (Eco Tech) के सहयोग से पूरा किया जाएगा। अंबुजा सीमेंट्स यह ग्रांट प्राप्त करने वाली पहली सीमेंट कंपनी बन गई है।

क्या है यह प्रोजेक्ट?

इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) और स्वीडन की स्वीडिश एनर्जी एजेंसी (Swedish Energy Agency) द्वारा ‘इंडस्ट्री ट्रांजिशन पार्टनरशिप प्रोग्राम’ के तहत प्रायोजित किया गया है।

इस स्टडी का मुख्य उद्देश्य सीमेंट सेक्टर, जहां कार्बन उत्सर्जन कम करना कठिन माना जाता है, वहां से CO2 को कैप्चर करना है। इसके बाद, कैप्चर की गई कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग ईंधन (Fuels) और मटीरियल्स में बदलने के लिए किया जाएगा। यह पहल पारंपरिक ‘कार्बन कैप्चर और स्टोरेज’ तकनीक से आगे बढ़कर एक ‘सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी’ की ओर बदलाव का प्रतीक है।

सीईओ का बयान

अडानी ग्रुप के सीमेंट बिजनेस के सीईओ, श्री विनोद बाहेती ने कहा, “यह ग्रांट जिम्मेदार इनोवेशन और वैश्विक सहयोग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। टिकाऊ निर्माण (Sustainable construction) को फिर से परिभाषित करने के लिए CCU एक रणनीतिक कदम है। आईआईटी बॉम्बे और इको टेक, स्वीडन के साथ हमारी साझेदारी जलवायु-लचीले और वैल्यू-क्रिएटिंग समाधानों में तेजी लाएगी।”

उन्होंने आगे कहा कि CCU उनके नेट-जीरो (Net-zero) महत्वाकांक्षा की दिशा में अंतिम कदम होगा। कंपनी रिन्यूएबल एनर्जी एकीकरण और वैकल्पिक ईंधन के विस्तार के माध्यम से अपने रोडमैप को आगे बढ़ा रही है।

तकनीकी विवरण और भविष्य की योजनाएं

इस स्टडी के तहत, सीमेंट परिचालन से CO2 कैप्चर करने की तकनीकी और आर्थिक व्यवहार्यता का मूल्यांकन किया जाएगा। कैप्चर की गई CO2 का उपयोग कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate) जैसे मटीरियल बनाने या ग्रीन हाइड्रोजन के जरिए ग्रीन मेथनॉल (Green Methanol) के उत्पादन में किया जाएगा।

  • आईआईटी बॉम्बे की भूमिका: संस्थान का ‘नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज’ अपनी उन्नत तकनीकों का उपयोग करेगा।
  • इको टेक (स्वीडन) की भूमिका: यह ऊर्जा की मांग को अनुकूलित करने, वेस्ट हीट को रिकवर करने और रिन्यूएबल इलेक्ट्रिसिटी और हीट को एकीकृत करने में मदद करेगा।

अंबुजा सीमेंट्स की नेट-जीरो प्रतिबद्धता

यह ग्रांट कंपनी के उस नेट-जीरो रोडमैप को मजबूती देती है, जिसे ‘साइंस बेस्ड टारगेट्स इनिशिएटिव’ (SBTi) द्वारा मान्य किया गया है। कंपनी लो-कार्बन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कूलब्रुक (Coolbrook) की रोटोडायनामिक हीटर (RDH) तकनीक की कमर्शियल तैनाती कर रही है।

इसके अलावा, अंबुजा सीमेंट्स 1 गीगावाट (GW) की कैप्टिव सोलर-विंड क्षमता और 376 मेगावाट (MW) वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम्स के माध्यम से रिन्यूएबल पावर का विस्तार कर रही है। कंपनी 2050 तक नेट-जीरो हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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