नई दिल्ली/वाशिंगटन: अमेरिका के H-1B वीजा पर निर्भर सैकड़ों भारतीय पेशेवर, अपने H-4 वीजा धारक जीवनसाथी और बच्चों के साथ भारत में ही फंस कर रह गए हैं। हालात यह हैं कि कई परिवार बिछड़ गए हैं—कुछ सदस्य अमेरिका में हैं, तो कुछ भारत में वापस लौटने के अंतहीन इंतजार में बैठे हैं। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर लोगों का गुस्सा और पीड़ा साफ देखी जा सकती है। कइयों की नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और वे अपने माता-पिता से दूर रहने को मजबूर हैं।
इंटरव्यू स्लॉट्स रद्द, नियुक्तियां 2026 तक टलीं
10 दिसंबर की रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों (US Consulates) ने दिसंबर 2025 के मध्य से अंत तक निर्धारित इंटरव्यू स्लॉट्स को रद्द कर दिया है। कई नियुक्तियों को अगले साल मार्च तक और कुछ को तो जून 2026 तक आगे बढ़ा दिया गया है।
इस बड़े व्यवधान का मुख्य कारण अमेरिकी विदेश विभाग (DoS) की एक नई नीति है, जिसके तहत 15 दिसंबर से सभी H-1B और H-4 आवेदकों के लिए सोशल मीडिया स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी गई है। इस अतिरिक्त जांच प्रक्रिया के कारण हर दिन होने वाले इंटरव्यू की संख्या में भारी गिरावट आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर नियुक्तियां रद्द करनी पड़ी हैं।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर स्पष्ट किया:
“यदि आपको कोई ईमेल मिला है जिसमें बताया गया है कि आपकी वीजा नियुक्ति (अपॉइंटमेंट) को पुनर्निर्धारित किया गया है, तो मिशन इंडिया आपकी नई तारीख पर सहायता करने के लिए तत्पर है। अपनी पुरानी निर्धारित तारीख पर आने पर आपको प्रवेश नहीं दिया जाएगा।”
परिवारों का दर्द: “हम यहां फंस गए हैं…”
वीजा रद्द होने से प्रभावित परिवारों की प्रतिक्रियाएं दिल दहला देने वाली हैं। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर गुहार लगाई:
“कृपया उन लोगों के बारे में सोचें जो अपॉइंटमेंट में बदलाव होने से पहले ही भारत आ चुके थे। हम यहां फंस गए हैं और हमें रोजगार व हमारे अमेरिकी नागरिक बच्चों की शिक्षा से जुड़ी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हम आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि हमें जल्द से जल्द अपॉइंटमेंट दिया जाए।”
एक अन्य पीड़ित ने लिखा: “हफ्तों की कोशिश के बाद मैंने सितंबर में अपना H-1B वीजा स्लॉट बुक किया था। मेरा 18 दिसंबर का अपॉइंटमेंट अचानक 30 मार्च 2026 कर दिया गया। हमें जनवरी की शुरुआत में अमेरिका लौटना है और मेरे अमेरिकी नागरिक बच्चों को स्कूल जाना है। तत्काल मदद की दरकार है।”
विशेषज्ञों की राय: “यह क्रूर अराजकता है”
Immigration.com के मैनेजिंग अटॉर्नी राजीव एस. खन्ना ने मौजूदा स्थिति को “क्रूर अराजकता” (brutal chaos) करार दिया है। उन्होंने बताया कि हालांकि आवेदक ऑनलाइन तारीख बदल सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करने का केवल एक ही मौका मिलता है। साथ ही, एक साल से पुरानी फीस रसीदों को एक्सपायर्ड माना जा रहा है, जिससे मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
इमिग्रेशन अटॉर्नी एलेन फ्रीमैन ने चेतावनी दी है कि कई H-1B कर्मचारी अब अपनी नौकरी खो देंगे। उन्होंने कहा, “हमें नियोक्ताओं (Employers) से विनती करनी पड़ रही है कि वे कर्मचारियों को भारत से काम करने दें या पांच महीने तक की लंबी छुट्टी मंजूर करें। लेकिन इस आर्थिक माहौल और काम के दबाव में, कई कंपनियां इतना लंबा इंतजार नहीं कर पाएंगी।”
फ्रीमैन ने इसके जमीनी असर की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोग अपने अपार्टमेंट की लीज, बिजली के बिल और कार की किश्तें अमेरिका में छोड़ आए हैं। इन लंबी देरी का हमारे समुदाय और अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। हर वीजा रद्दीकरण के पीछे एक मानवीय कहानी है।
“छुट्टियों में यात्रा न करें”: कानूनी सलाह
Reddy, Neumann, Brown के संस्थापक भागीदार राहुल रेड्डी ने उन सभी लोगों को छुट्टियों में यात्रा न करने की सलाह दी है जिन्हें वीजा स्टैम्पिंग की आवश्यकता है। अपने ब्लॉग में उन्होंने आगाह किया कि यात्री चार से छह महीने के लिए विदेश में फंस सकते हैं।
रेड्डी ने कहा, “कंपनियां किसी H-1B पद को आधे साल तक खाली नहीं रख सकतीं। निर्यात-नियंत्रण, पेरोल और कर प्रतिबंधों के कारण कई लोग कानूनी रूप से अमेरिका के बाहर से रिमोट वर्क की अनुमति नहीं दे सकते। इसका सीधा मतलब है: यदि कोई H-1B कर्मचारी अभी यात्रा करता है, तो हो सकता है कि वह अपनी नौकरी पर नहीं, बल्कि बेरोजगारी में वापस लौटे। H-4 जीवनसाथी और बच्चों को भी इसी देरी का सामना करना पड़ेगा, जिससे लंबा अलगाव और भारी तनाव पैदा होगा।”
इस नीति परिवर्तन को “खराब योजना” और “खराब कार्यान्वयन” बताते हुए उन्होंने कहा,
“आप H-1B परिवारों को छह महीने की देरी के अंधेरे में रखकर यह दावा नहीं कर सकते कि आप कानूनी आप्रवासन का समर्थन करते हैं। इसे ‘परिचालन आवश्यकता’ (operational necessity) का नाम देने से सच नहीं बदलता: यह प्रक्रिया तैयारी, पारदर्शिता और दूरदर्शिता की कमी को दर्शाती है। जांच बढ़ाना ठीक है, लेकिन इसे इस तरह लागू करना कि कांसुलर प्रोसेसिंग ही ठप हो जाए, यह लापरवाही है। नियमित वीजा नवीनीकरण को आधे साल के निर्वासन में नहीं बदलना चाहिए।”










