नई दिल्ली/गुवाहाटी/रायपुर: देश भर में क्रिसमस के जश्न के बीच एक अजीब विडंबना देखने को मिली। 25 दिसंबर की सुबह, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल चर्च में मोमबत्ती जलाकर करुणा और शांति का संदेश दे रहे थे, ठीक उसी वक्त देश के कई हिस्सों में नफरत की आग सुलग रही थी। प्रधानमंत्री की यह तस्वीर एक ऐसे भारत का प्रतीक थी जो हर धर्म को सुरक्षा का वादा करता है, लेकिन मैदानी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आई।
क्रिसमस से ठीक पहले और उस दिन, संघ परिवार से जुड़े संगठनों और असामाजिक तत्वों ने देश के अलग-अलग कोनों में गिरजाघरों और प्रार्थना सभाओं को निशाना बनाया। ‘धर्मांतरण’ के नाम पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए और सोशल मीडिया का इस्तेमाल डर फैलाने के लिए किया गया।
असम से लेकर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तक, भीड़ ने कानून को अपने हाथ में लिया, जबकि प्रशासन कई जगहों पर इसे महज ‘मामूली घटना’ बताकर पल्ला झाड़ता नजर आया।
असम: स्कूल में तोड़फोड़ और सांता की टोपियां जलाई गईं
असम के नलबाड़ी में क्रिसमस की पूर्व संध्या (बुधवार) पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने गुंडागर्दी की हदें पार कर दीं। यह भीड़ पानीगांव स्थित सेंट मैरीज इंग्लिश स्कूल में घुस गई। स्कूल में उस समय शीतकालीन छुट्टियां थीं और वहां कोई मौजूद नहीं था।
बोंगाईगांव डायोसीज के फादर जेम्स वडकेयिल ने बताया, “दोपहर करीब 3 बजे भीड़ प्रिंसिपल को ढूंढते हुए आई। जब वे नहीं मिले, तो उन्होंने स्कूल में बनी यीशु मसीह के जन्म की झांकी (नेटिविटी क्रिब) और सजावट को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने वहां लगे बैनरों को फाड़ दिया और नारेबाजी करते हुए आगजनी की।”
इतना ही नहीं, नलबाड़ी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बिबेकानंद दास के अनुसार, इसी समूह के लगभग 9 लोगों ने बाजार में एक दुकान पर भी धावा बोला, जहाँ सांता क्लॉज की टोपियां और मास्क बेचे जा रहे थे। उन्होंने इन सामानों को भी जला दिया। वीडियो फुटेज में उपद्रवियों को ‘जय श्री राम’ और ‘जय हिंदू राष्ट्र’ के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें विहिप के जिला सचिव भास्कर डेका, उपाध्यक्ष मानस ज्योति पाटगिरी, सहायक सचिव बीजू दत्ता और बजरंग दल के जिला संयोजक नयन तालुकदार शामिल हैं।
छत्तीसगढ़: मॉल में लाठियों के साथ घुसी भीड़
असम जैसी ही तस्वीर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी देखने को मिली। यहाँ ‘सर्व हिंदू समाज’ ने कथित धर्मांतरण के खिलाफ बुधवार को ‘छत्तीसगढ़ बंद’ का आह्वान किया था। इसी दौरान लाठियों से लैस 80-90 लोगों की भीड़ मैग्नेटो मॉल में घुस गई और वहां क्रिसमस की सजावट को तोड़ दिया।
मॉल के एक कर्मचारी ने बताया कि उपद्रवियों ने वहां जमकर उत्पात मचाया। रायपुर के एसएसपी लाल उम्मेद सिंह ने पुष्टि की है कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आरोपियों की पहचान की जा रही है, हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मध्य प्रदेश: भाजपा नेता की बदसलूकी और दृष्टिबाधित महिला का दर्द
मध्य प्रदेश के जबलपुर में नफरत का एक और चेहरा सामने आया। यहाँ भाजपा की जिला उपाध्यक्ष अंजू भार्गव पर आरोप है कि उन्होंने कटंगा क्षेत्र के एक चर्च में हंगामा किया और एक दृष्टिबाधित महिला के साथ बदसलूकी की। भार्गव का दावा था कि वहां बच्चों का धर्मांतरण कराया जा रहा है।
पीड़ित दृष्टिबाधित महिला ने मीडिया को बताया, “सिर्फ इसलिए कि मैं क्रिसमस मनाने आई हूँ, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने अपना धर्म बदल लिया है।”
हालांकि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है, लेकिन जबलपुर भाजपा इकाई ने शर्मिंदगी से बचने के लिए भार्गव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है।
जबलपुर में ही रविवार को माढ़ोताल के एक चर्च में हिंदू सेवा परिषद के 15-20 लोगों ने प्रार्थना सभा में घुसकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और दहशत फैला दी। पुलिस ने कुछ युवकों को हिरासत में लिया है।
दिल्ली और राजस्थान: सांता पर ‘बैन’ और बदसलूकी
देश की राजधानी दिल्ली भी इससे अछूती नहीं रही। लाजपत नगर में सांता क्लॉज की टोपी पहने महिलाओं के एक समूह को बजरंग दल के सदस्यों ने कथित तौर पर परेशान किया और उन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया। हालांकि, पुलिस ने इसे ‘दो व्यक्तियों के बीच की मामूली बहस’ बताकर खारिज कर दिया और कहा कि मामला मौके पर ही सुलझा लिया गया था।
वहीं, राजस्थान के श्रीगंगानगर में शिक्षा विभाग ने 22 दिसंबर को एक आदेश जारी कर स्कूलों में बच्चों को सांता क्लॉज बनाने पर रोक लगा दी। यह आदेश ‘भारत तिब्बत सहयोग मंच’ के एक पत्र के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि यह क्षेत्र हिंदू और सिख बहुल है और बच्चों पर सांता बनने का दबाव डालना गलत है।
कथनी और करनी का अंतर
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा था, “क्रिसमस की भावना हमारे समाज में सद्भाव और सद्भावना को प्रेरित करे।” लेकिन, जमीनी स्तर पर जो डर और धमकी का माहौल है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
यदि प्रधानमंत्री का संदेश वास्तव में मायने रखता है, तो उन तत्वों के खिलाफ सख्त और दिखाई देने वाली कार्रवाई होनी चाहिए जो संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं—चाहे वे उनकी अपनी पार्टी या परिवार का हिस्सा ही क्यों न हों।
जब तक ऐसे उपद्रवियों को कानून का पाठ नहीं पढ़ाया जाएगा, तब तक ‘दया और करुणा’ की साझा प्रतिबद्धता केवल शब्दों तक ही सीमित रह जाएगी।
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