नई दिल्ली: अगर आपको दो स्नैक्स में से एक को चुनने के लिए कहा जाए, जिसमें एक में 7 ग्राम चीनी हो और दूसरे में 30 ग्राम से ज़्यादा, तो आप निश्चित रूप से कम चीनी वाला विकल्प ही चुनेंगे, है ना? लेकिन शायद आपका यह फ़ैसला सेहत के लिए उतना फ़ायदेमंद न हो, जितना आप सोचते हैं। एक नई स्टडी से पता चला है कि कम चीनी का मतलब हमेशा ज़्यादा सेहतमंद होना नहीं होता।
संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 10 करोड़ वयस्क प्री-डायबिटीज के साथ जी रहे हैं। उनके लिए, यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि आम जैसा एक मीठा उष्णकटिबंधीय फल डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है।
आम तौर पर, उष्णकटिबंधीय फलों में 10 से 50 ग्राम तक चीनी होती है, और आम इस स्पेक्ट्रम के ऊपरी सिरे पर आता है। सिर्फ़ चीनी की मात्रा को देखें तो यह एक खराब स्नैक विकल्प लगता है।
लेकिन जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के पोषण और खाद्य अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर और नैदानिक पोषण शोधकर्ता, रेदेह बसीरी द्वारा किए गए एक शोध से पता चलता है कि आम, कई कम चीनी वाले स्नैक्स की तुलना में ज़्यादा मीठा होने के बावजूद, प्री-डायबिटीज वाले वयस्कों के लिए सुरक्षात्मक कारक प्रदान कर सकता है।
रेदेह बसीरी कहती हैं, “सिर्फ़ चीनी की मात्रा ही मायने नहीं रखती, बल्कि भोजन का समग्र संदर्भ भी महत्वपूर्ण है।”
यह अध्ययन अपनी तरह का पहला दीर्घकालिक क्लिनिकल परीक्षण है जिसने प्री-डायबिटीज में आम के चयापचय (metabolic) और शरीर संरचना (body composition) दोनों पर होने वाले लाभों को प्रदर्शित किया है।
सरल शब्दों में कहें तो, भोजन में मौजूद चीनी से ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप उसे किस रूप में ले रहे हैं। आम और अन्य फलों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली चीनी फाइबर, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों के साथ आती है, जो अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
इसके विपरीत, अतिरिक्त चीनी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि ब्रेकफास्ट सीरियल या कम चीनी वाले स्नैक बार, में वह पोषण मूल्य नहीं होता और वे डायबिटीज के खतरे को बढ़ा भी सकते हैं।
बसीरी ने कहा, “हमारा लक्ष्य लोगों को स्वस्थ खान-पान की आदतों के हिस्से के रूप में आम जैसे संपूर्ण फलों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि डायबिटीज की रोकथाम के लिए व्यावहारिक आहार रणनीति अपनाई जा सके।”
उन्होंने आगे कहा, “डायबिटीज के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को केवल खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि वह चीनी शरीर तक कैसे पहुँच रही है।”
कैसे किया गया अध्ययन?
इस अध्ययन के लिए, बसीरी और उनकी टीम ने प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया। एक समूह को छह महीने तक रोजाना एक ताज़ा आम दिया गया, जबकि दूसरे समूह को हर दिन एक कम चीनी वाला ग्रेनोला बार दिया गया। इस दौरान, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के रक्त शर्करा (blood glucose) के स्तर, इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया और शरीर में वसा (body fat) की मात्रा को मापा।
चौंकाने वाले नतीजे
छह महीने के अंत में, अध्ययन के निष्कर्षों ने एक आश्चर्यजनक तस्वीर पेश की। ज़्यादा चीनी वाला आम (32 ग्राम चीनी) कम चीनी वाले ग्रेनोला बार (11 ग्राम चीनी) की तुलना में कहीं ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित हुआ। जिस समूह ने रोज़ाना आम का सेवन किया, उनमें बेहतर रक्त शर्करा नियंत्रण, बेहतर इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin sensitivity) और शरीर की चर्बी में कमी देखी गई।
यह अध्ययन “डेली मैंगो इनटेक इम्प्रूव्स ग्लाइसेमिक एंड बॉडी कंपोजिशन आउटकम्स इन एडल्ट्स विद प्रीडायबिटीज: ए रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड स्टडी” शीर्षक के तहत अगस्त 2025 में ‘फूड्स’ (Foods) नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
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