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अडानी का ‘महा-बैटरी’ प्लान: भारत में बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा BESS प्रोजेक्ट, क्या 24 घंटे बिजली का सपना होगा पूरा?

| Updated: November 11, 2025 14:55

क्या है अडानी का यह मेगा BESS प्रोजेक्ट?

अहमदाबाद। अडानी समूह ने मंगलवार को बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) सेक्टर में एंट्री का ऐलान किया है, जिसमें समूह 1,126 मेगावाट/3,530 मेगावाट-घंटे (एमडब्ल्यूएच) की क्षमता वाले प्रोजेक्ट को तैयार कर रहा है, जिसे मार्च 2026 तक चालू किया जाएगा।

अडानी समूह इस प्रोजेक्ट के तहत 700 से अधिक बीईएसएस कंटेनर्स स्थापित करेगा, जो इसे भारत में सबसे बड़ा और दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-लोकेशन बीईएसएस प्रोजेक्ट बनाता है।

इस बीईएसएस प्रोजेक्ट की एनर्जी क्षमता 1,126 मेगावाट होगी और एनर्जी स्टोरेज क्षमता 3,530 मेगावाट होगी।

अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा, “एनर्जी स्टोरेज रिन्यूएबल एनर्जी के भविष्य की आधारशिला है। इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के साथ, हम न केवल वैश्विक मानक स्थापित कर रहे हैं, बल्कि भारत की एनर्जी स्वतंत्रता और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी मजबूत कर रहे हैं। यह पहल हमें बड़े पैमाने पर विश्वसनीय, स्वच्छ और किफायती एनर्जी सॉल्यूशंस प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।”

इस रणनीतिक प्रवेश के साथ, अडानी समूह बड़े पैमाने पर स्टोरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने वाले ग्लोबल एनर्जी लीडर्स की श्रेणी में शामिल हो गया है।

कंपनी ने बताया कि इस रणनीतिक पहल से भारत को एनर्जी सिक्योरिटी और 24 घंटे स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

बीईएसएस पीक लोड दबाव को कम करने, ट्रांसमिशन कंजेशन को कम करने और सौर ऊर्जा कटौती को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे ग्रिड की विश्वसनीयता और दक्षता में सुधार होगा।

यह प्रोजेक्ट दुनिया के सबसे बड़े रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट खावड़ा में स्थापना के एडवांस स्टेज में है, और इसे अत्याधुनिक लिथियम-आयन बैटरी तकनीक के साथ विकसित किया जा रहा है और मजबूत प्रदर्शन और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एडवांस एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम के साथ एकीकृत किया जा रहा है।

अडानी समूह ने कहा कि यह प्रोजेक्ट पीक लोड मैनेजमेंट और एनर्जी शिफ्टिंग में सहायक होगी, जिससे पावर सेक्टर को कार्बन-मुक्त करने में मदद मिलेगी।

अडानी समूह की योजना मार्च 2027 तक अतिरिक्त 15 गीगावाट घंटा बीईएसएस क्षमता स्थापित करने की है, जिसका लंबी अवधि का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में कुल 50 गीगावाट घंटा क्षमता प्राप्त करना है।

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