अहमदाबाद: अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की सहायक कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड (KCL) और ऑस्ट्रेलिया की कैरावेल मिनरल्स लिमिटेड (ASX: CVV) ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में कैरावेल कॉपर प्रोजेक्ट के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह रणनीतिक सहयोग 2026 में फाइनल इन्वेस्टमेंट डिसीजन (FID) की दिशा में प्रोजेक्ट के विकास में तेजी लाने के लिए किया गया है.
समझौते की मुख्य बातें
इस गैर-बाध्यकारी (non-binding) MoU के तहत, दोनों कंपनियां निवेश और ऑफटेक के अवसरों का पता लगाएंगी. यह साझेदारी प्रोजेक्ट के कॉपर कंसन्ट्रेट (तांबा सांद्र) उत्पादन का 100% तक कवर करने वाले ‘लाइफ-ऑफ-माइन ऑफटेक’ समझौते पर बातचीत के लिए एक विशेष ढांचा तैयार करती है. शुरुआती वर्षों में यहां से सालाना लगभग 62,000 से 71,000 टन पेयेबल कॉपर (payable copper) के उत्पादन की उम्मीद है.
यह कॉपर कंसन्ट्रेट सीधे भारत के गुजरात में स्थित कच्छ कॉपर के अत्याधुनिक स्मेल्टर को सप्लाई किया जाएगा. 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.8 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर) की लागत से बना यह स्मेल्टर दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-लोकेशन कॉपर फैसेलिटी है.
अधिकारियों ने क्या कहा
अडानी समूह के नेचुरल रिसोर्सेज के सीईओ डॉ. विनय प्रकाश ने कहा, “तांबा वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की रीढ़ है, और कैरावेल मिनरल्स के साथ हमारी साझेदारी इस महत्वपूर्ण धातु के लिए एक लचीली और जिम्मेदार आपूर्ति श्रृंखला बनाने में भारत और ऑस्ट्रेलिया की भूमिका को मजबूत करती है.”
कैरावेल मिनरल्स के प्रबंध निदेशक डॉन हाइमा ने कहा, “अडानी की कच्छ कॉपर के साथ यह सहयोग कैरावेल कॉपर प्रोजेक्ट की पूरी क्षमता को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह अडानी की डाउनस्ट्रीम विशेषज्ञता और कैरावेल के विश्व स्तरीय संसाधन जैसी पूरक ताकतों को एक साथ लाता है.”
प्रोजेक्ट विवरण
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से लगभग 150 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित कैरावेल कॉपर प्रोजेक्ट, ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े अविकसित तांबा संसाधनों में से एक है. इसकी संभावित खदान का जीवन 25 वर्ष से अधिक है और इसमें लगभग 1.3 मिलियन टन पेयेबल कॉपर का अनुमानित भंडार है. प्रोजेक्ट का शुरुआती पूंजीगत व्यय (Capex) 1.7 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है.
इस समझौते के हिस्से के रूप में, कच्छ कॉपर को MoU की अवधि के दौरान सीधे इक्विटी या प्रोजेक्ट-स्तर के निवेश में भाग लेने का पहला अधिकार दिया गया है.
भविष्य की संभावनाएं
यह सहयोग ऐसे समय में हुआ है जब 2040 तक वैश्विक तांबे की मांग में 50% की वृद्धि का अनुमान है. यह साझेदारी भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का लाभ उठाते हुए दोनों देशों के लिए सतत आर्थिक विकास को अनलॉक करने और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में योगदान देने के लिए तैयार है.
यह भी पढ़ें-
राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ दावे वाली ‘रहस्यमयी मॉडल’ की सच्चाई: वो ब्राज़ील की हेयरड्रेसर हैं, बोल…









