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अहमदाबाद बना ‘गैस चैंबर’: हवा में घुला जहर, AQI 300 के पार; इन इलाकों में हालात सबसे खराब

| Updated: November 28, 2025 15:32

अहमदाबाद में सांसों पर संकट: AQI 300 के पार, थलतेज और बोपल में 'गैस चैंबर' जैसे हालात, डॉक्टरों ने दी चेतावनी

भारत एक बार फिर प्रदूषण के उस दौर से गुजर रहा है, जहाँ खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। देश के कई शहरों में आसमान साफ दिखने के बजाय धुंधला नजर आ रहा है। सूरज की रोशनी मद्धम पड़ गई है और हवा में एक अजीब सा भारीपन महसूस हो रहा है। अलग-अलग राज्यों में प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ से लेकर ‘खतरनाक’ श्रेणी तक झूल रहा है और हर किसी की जुबान पर बस एक ही चर्चा है— वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)।

नई दिल्ली के बाद अब गुजरात का प्रमुख शहर अहमदाबाद भी मौसम की इस मार को झेल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहर का AQI स्तर 300 के पार चला गया है, जो एक चिंताजनक स्थिति है।

इन इलाकों में सांस लेना हुआ दूभर

अहमदाबाद के कई पॉश और रिहायशी इलाके प्रदूषण की चपेट में बुरी तरह आए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, थलतेज, साउथ बोपल, शाहीबाग, घुमा और बोदकदेव सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं।

शहर के मध्य और पुराने इलाकों की स्थिति थोड़ी बेहतर जरूर थी, लेकिन वहां भी बहुत राहत नहीं है। यहाँ तक कि एयरपोर्ट और सैटेलाइट जैसे क्षेत्र, जिन्हें आमतौर पर साफ-सुथरा माना जाता है, वहां भी प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिली। कुल मिलाकर पूरे शहर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है।

क्या है इस जहरीली हवा का कारण?

प्रदूषण के स्तर में आए इस उछाल ने खतरे की घंटी बजा दी है। PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों की सांद्रता (concentration) हवा में खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। AQI.in के डेटा से साफ है कि यह धुंध केवल विजिबिलिटी (दृश्यता) की समस्या नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

मौसम विभाग के अधिकारियों ने उन अफवाहों का खंडन किया है जिनमें कहा जा रहा था कि यह स्थिति इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख के कारण है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ज्वालामुखी की राख भारत के ऊपर से गुजरी जरूर थी, लेकिन वह ऊपरी वायुमंडल में ही रह गई।

जमीनी स्तर पर हवा खराब होने का असली कारण आर्द्रता (humidity), नमी, तापमान, हवा की गति और उसकी दिशा है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ दिन बदलाव (transition) के रहे हैं, जहाँ हवाओं का रुख उत्तर-पूर्वी से बदलकर पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हो गया है।

आंखों में जलन और गले में खराश की शिकायतें

स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें हवा में एक अजीब सा बदलाव महसूस हो रहा है। सर्दियों की जो आम ठंडक हुआ करती थी, उसकी जगह अब हवा में एक ‘मैटेलिक’ (धातु जैसा) भारीपन आ गया है। सुबह के वक्त सूरज किसी चमकदार गोले की तरह नहीं, बल्कि एक धुंधले डिस्क जैसा दिखाई दे रहा है।

अब लोगों की आपसी बातचीत ट्रैफिक या सर्दियों के कार्यक्रमों के बारे में नहीं, बल्कि आंखों में जलन और गले में खराश को लेकर हो रही है। फैमिली वॉट्सऐप ग्रुप्स में लोग एक-दूसरे को AQI के स्क्रीनशॉट भेजकर सचेत कर रहे हैं।

डॉक्टरों की चेतावनी और बचाव

प्रदूषण का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। मौसम में जरा सा बदलाव होते ही बच्चों को सर्दी-जुकाम हो रहा है, जिसके चलते वे स्कूल जाते समय और बाहर निकलते वक्त मास्क पहनने को मजबूर हैं।

डॉक्टरों ने बताया है कि सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें बढ़ रही हैं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों में। वहीं, सुखद तापमान के कारण जो लोग सुबह और शाम की सैर पर निकल रहे हैं, उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूरत है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जिन्हें पहले से ही अस्थमा या एलर्जी जैसी श्वसन संबंधी बीमारियां हैं, उनकी समस्या बढ़ सकती है (flare-ups)। डॉक्टरों का कहना है कि हो सकता है फेफड़ों की जांच में कुछ मरीजों में लक्षण तुरंत न दिखें, लेकिन लंबे समय तक इस जहरीली हवा में रहने से श्वसन स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है।

सर्दियों में PM10 और PM2.5 कण हवा में नीचे ही लटके रह जाते हैं, जिससे समस्याएं और ज्यादा दिखाई देने लगती हैं। पल्मोनोलॉजिस्ट (फेफड़ों के डॉक्टर) के अनुसार, लगातार खांसी और गले में जलन की शिकायतें आम हो गई हैं। सलाह दी जा रही है कि लोग डॉक्टर से परामर्श लें और N95 जैसे उचित मास्क का ही उपयोग करें।

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