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अहमदाबाद एयरपोर्ट पर ‘बर्ड हिट’ का खतरा: 5 सालों में हुई 373 घटनाएं; हर महीने खर्च हो रहे 20 लाख रुपये

| Updated: December 23, 2025 17:34

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बढ़ता बर्ड स्ट्राइक का खतरा: 5 सालों में 373 हादसे और सुरक्षा पर उड़ते लाखों रुपये—पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट।

अहमदाबाद: अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल (SVPI) एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या और यात्रियों की आवाजाही में भारी बढ़ोतरी के साथ-साथ एक गंभीर सुरक्षा चुनौती भी खड़ी हो गई है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां ‘बर्ड स्ट्राइक’ (विमान से पक्षियों का टकराना) की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। बीते 5 सालों में इस एयरपोर्ट पर कुल 373 बर्ड हिट की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

हर महीने औसतन 5 घटनाएं

एयरपोर्ट अथॉरिटी से प्राप्त डेटा के अनुसार, अहमदाबाद में औसतन हर महीने पक्षियों के विमान से टकराने की लगभग पांच घटनाएं सामने आती हैं। हालांकि, पिछले एक साल में इन आंकड़ों में डराने वाला उछाल देखा गया है।

वर्ष-वार बर्ड हिट का विवरण:

  • 2019–20: 73 घटनाएं
  • 2020–21: 41 घटनाएं
  • 2021–22: 29 घटनाएं
  • 2022–23: 38 घटनाएं
  • 2023–24: 80 से अधिक घटनाएं
  • मौजूदा साल (नवंबर 2025 तक): 65 घटनाएं

बढ़ते ट्रैफिक के बीच बढ़ती चुनौती

वर्तमान में अहमदाबाद एयरपोर्ट से रोजाना 250 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित होती हैं, जिनमें लगभग 40,000 यात्री सफर करते हैं। जानकारों का कहना है कि बर्ड हिट की अधिकांश घटनाएं ‘टेक-ऑफ’ के दौरान होती हैं। रनवे के पास पक्षियों और कभी-कभी बंदरों की मौजूदगी उड़ान के सबसे संवेदनशील समय में बड़े खतरे का सबब बनती है।

जब भी कोई विमान पक्षी से टकराता है, तो सुरक्षा कारणों से उसे तुरंत ग्राउंडेड (उड़ान रोकने) कर दिया जाता है। इंजीनियरों द्वारा इंजन की गहन जांच और क्लियरेंस मिलने के बाद ही विमान दोबारा उड़ान भर पाता है, जिससे उड़ानों में देरी और परिचालन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।

पटाखों पर खर्च हो रहे हैं लाखों रुपये

पक्षियों को रनवे से दूर रखने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। रनवे की निगरानी के लिए 24 घंटे ग्राउंड स्टाफ तैनात रहता है। पक्षियों को डराने के लिए लगातार पटाखों और शोर करने वाले उपकरणों (Noise Deterrents) का उपयोग किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, एयरपोर्ट प्रबंधन केवल पटाखों पर ही हर महीने 15 लाख से 20 लाख रुपये खर्च कर रहा है।

इसके अलावा, नियमित रूप से घास की कटाई, खाद्य पदार्थों को हटाने और स्थानीय नागरिक निकायों के साथ तालमेल बिठाकर एयरपोर्ट के आसपास कचरा डंपिंग रोकने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय: कचरा है मुख्य समस्या

पर्यावरण कार्यकर्ता महेश पंड्या ने वाइब्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्रों के लिए सख्त नियम और दिशानिर्देश तय हैं, जिनका कड़ाई से पालन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई मामलों में लोग खुले में कचरा फेंक देते हैं, जिससे पक्षी वहां आकर्षित होते हैं और विमानों के लिए खतरा पैदा होता है।

वहीं, पर्यावरण शिक्षक मयूर राठौड़ ने कचरा प्रबंधन की खामियों को मुख्य वजह बताया। उन्होंने पिराना डंपिंग साइट का जिक्र करते हुए कहा कि भले ही वह एयरपोर्ट से कुछ किलोमीटर दूर है, लेकिन पक्षी वहां रात में बसेरा करने जाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि एयरपोर्ट के पास खुले में नॉन-वेज वेस्ट (मांसाहारी कचरा) फेंकना और आसपास की झुग्गी बस्तियों में उचित कचरा प्रबंधन न होना भी एक बड़ा कारण है।

बढ़ते विमानन क्षेत्र के बीच, अहमदाबाद एयरपोर्ट पर सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करने के लिए वन्यजीव प्रबंधन की दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम करना अब अनिवार्य हो गया है।

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