अहमदाबाद: आखिर क्यों अचानक दिल का दौरा पड़ने से लोगों की मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं? अहमदाबाद स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) के एक पोस्टमॉर्टम-आधारित अध्ययन में सामने आया है कि मृत्यु के कारण से इतर, 40% मृतकों के दिल की धमनियों में उन्नत एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण संकुचन था।
एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों के अंदर कोलेस्ट्रॉल, वसा और अन्य पदार्थों से बनी पट्टिका (प्लाक) जमा हो जाती है। इससे धमनियां सख्त और संकरी हो जाती हैं, रक्त प्रवाह बाधित होता है और दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
यह अध्ययन “कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस बाय मॉडिफाइड अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन क्लासिफिकेशन – एन ऑटॉप्सी स्टडी” शीर्षक से प्रकाशित हुआ है। इसे बीजेएमसी के पैथोलॉजी विभाग के डॉ. एस.आर. पारिख, डॉ. यू.आर. पारिख और डॉ. एच.एम. गोस्वामी ने किया और बीजे किनेस – नेशनल जर्नल ऑफ बेसिक एंड एप्लाइड साइंसेज (एनजेबीएएस) में प्रकाशित किया गया।
अध्ययन में जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच ऑटॉप्सी से प्राप्त 131 दिलों की जांच की गई। इनमें से 58 दिलों (करीब 44%) में उन्नत स्तर की पट्टिका—जैसे थिन कैप एथेरोमा, फाइब्रोस कैप एथेरोमा और कैल्सिफिक नोड्यूल—पाई गई। इसके अलावा, 40 दिलों (लगभग 30%) में रोग की प्रारंभिक अवस्था, जिसे पैथोलॉजिक इंटीमल थिकनिंग (PIT) कहा जाता है, देखी गई।
डॉ. यू.आर. पारिख ने बताया कि इस अध्ययन के दो अहम बिंदु हैं—लिंग आधारित आंकड़े और उम्र का प्रभाव। उन्होंने कहा, “करीब दो-तिहाई एथेरोस्क्लेरोसिस के मामले पुरुषों में मिले। 40 साल से कम उम्र के मरीजों में 31% में प्रारंभिक लक्षण और 15% में उन्नत अवस्था पाई गई।”
विशेषज्ञों ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि 2013 में किए गए एक राज्य-स्तरीय अध्ययन में 40 साल से कम उम्र वालों में PIT की दर केवल 10% थी।
शहर के हृदय रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि धमनियों में पट्टिका बनना जीवन भर की प्रक्रिया है। वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर दानी ने कहा, “यह प्रक्रिया किशोरावस्था में ही शुरू हो जाती है और उम्र के साथ बढ़ती रहती है। इसकी मुख्य वजह अनियमित जीवनशैली, वसायुक्त भोजन और शारीरिक सक्रियता की कमी है। इलाज में दवाइयों के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है।”
इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जय शाह ने कहा, “करीब दस साल पहले 45 की उम्र में हस्तक्षेप (इंटरवेंशन) को जल्दी माना जाता था। अब यह उम्र घटकर 35 हो गई है क्योंकि 40 से कम उम्र के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। सभी वसा जमाव खतरनाक नहीं होते, बल्कि उनका स्वरूप भी मायने रखता है। यदि ये कैल्सिफाइड होकर रक्त प्रवाह को रोक दें तो यह हृदय में एरिदमिया या अनियमित धड़कनें पैदा कर सकता है, जो जानलेवा हो सकती हैं।”
यू.एन. मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर (UNMICRC) के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य डॉ. कमल शर्मा ने कहा, “धमनियों में फैटी स्ट्रिक्स का पाया जाना आम है, लेकिन उनकी गंभीरता का पता कई अन्य परीक्षणों से चलता है। ये आंकड़े जीवनशैली में बदलाव के लिए स्पष्ट चेतावनी हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से दिल की सेहत बनाए रखना जरूरी है। युवाओं में इस बीमारी की गंभीर शुरुआत को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए।”
अध्ययन करने वाले डॉक्टरों और शहर के विशेषज्ञों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे एथेरोस्क्लेरोसिस की चुपचाप बढ़ने वाली प्रक्रिया को समझें और समय रहते एहतियाती कदम उठाएं, ताकि भारत में हृदय रोग के बढ़ते बोझ को कम किया जा सके।
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