अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की गूंज अब अमेरिका की अदालतों तक पहुंच गई है। इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले चार यात्रियों के परिवारों ने विमान बनाने वाली अमेरिकी कंपनी बोइंग और उसके लिए फ्यूल स्विच बनाने वाली कंपनी हनीवेल के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
यह इस मामले में अमेरिका में दायर किया गया पहला मुकदमा है, जिसने विमानन उद्योग में सुरक्षा मानकों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
इस हादसे में 260 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि एयर इंडिया की फ्लाइट 171 के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में लगा फ्यूल स्विच का डिज़ाइन बेहद खतरनाक था।
डेलावेयर सुपीरियर कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, यह स्विच कॉकपिट में ऐसी जगह पर था कि यह गलती से या किसी अज्ञात कारण से बंद हो सकता था। ऐसा होने पर इंजन को मिलने वाली ईंधन की आपूर्ति रुक गई, जिससे विमान को उड़ान भरने के लिए जरूरी ताकत नहीं मिल सकी और यह भीषण हादसा हो गया।
मुकदमे में कहा गया है कि बोइंग और हनीवेल, दोनों ही कंपनियां इस स्विच से जुड़े जोखिमों से वाकिफ थीं। यहाँ तक कि अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने भी पहले बोइंग विमानों में लॉकिंग मैकेनिज्म को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि, “बोइंग ने कॉकपिट में सामान्य गतिविधियों के दौरान भी ईंधन आपूर्ति के अचानक बंद हो जाने की स्थिति पैदा कर दी थी।”
इस मामले पर बोइंग और हनीवेल, दोनों ही कंपनियों ने फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
यह मुकदमा कांताबेन धीरूभाई पघादल, नव्या चिराग पघादल, कुबेरभाई पटेल और बाबीबेन पटेल के परिवारों की ओर से दायर किया गया है, जो इस हादसे में मारे गए 229 यात्रियों में शामिल थे। इस दुर्घटना में विमान के 12 क्रू सदस्यों के अलावा, विमान के गिरने की जगह पर मौजूद एक मेडिकल कॉलेज परिसर के 19 लोगों की भी जान चली गई थी।
इस हादसे की जांच भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) कर रही है, जिसमें अमेरिकी और ब्रिटिश जांच एजेंसियां भी सहयोग कर रही हैं। जुलाई में जारी हुई शुरुआती जांच रिपोर्ट में इस बात के संकेत मिले थे कि हादसे से ठीक पहले कॉकपिट में पायलटों के बीच फ्यूल स्विच को लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी।
हालांकि, रिपोर्ट आने के तुरंत बाद अमेरिकी अधिकारियों ने यह दावा किया था कि हादसे के लिए तकनीकी खराबी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जिसे कई लोग बोइंग को बचाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।
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