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अहमदाबाद रियल एस्टेट में मंदी की मार: रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की रफ्तार थमी, बिल्डर्स के पास अनसोल्ड इन्वेंट्री का अंबार

| Updated: November 22, 2025 13:09

बिल्डर्स की बढ़ी चिंता: 25% मकान बिकने का इंतजार, नई डील्स पर लगा ब्रेक

अहमदाबाद: अहमदाबाद के रियल एस्टेट बाजार में छाई सुस्ती का असर अब शहर में चल रहे रिडेवलपमेंट (पुनर्विकास) प्रोजेक्ट्स पर भी भारी पड़ने लगा है। प्रॉपर्टी बाजार की धीमी चाल ने जहां नए सौदों की संख्या में भारी गिरावट ला दी है, वहीं कई पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स भी अनसोल्ड इन्वेंट्री (बिना बिके मकानों) के बोझ से जूझ रहे हैं।

आंकड़े बता रहे मंदी की कहानी

‘अर्बन रिडेवलपमेंट हाउसिंग सोसाइटी वेलफेयर एसोसिएशन’ के आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति चिंताजनक नजर आती है। पिछले छह महीनों में शहर में रिडेवलपमेंट के लिए केवल 20 के आसपास एमओयू (MoUs) साइन किए गए हैं। यह आंकड़ा काफी कम है, क्योंकि इसी कैलेंडर वर्ष के शुरुआती चार महीनों में करीब 80 एमओयू साइन किए गए थे।

इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, शहर में अब तक लगभग 150 रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। हालांकि, पिछले 18 महीनों में जो प्रोजेक्ट तैयार हुए हैं, उनमें अभी भी करीब 25% स्टॉक बिना बिके पड़ा है। इसी अनसोल्ड स्टॉक के डर से अब बिल्डर्स नए प्रोजेक्ट हाथ में लेने से कतरा रहे हैं।

क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?

एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाह ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, “कुल मिलाकर रियल एस्टेट सेक्टर अभी एक सुस्त दौर से गुजर रहा है और इसका सीधा असर रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ा है।”

शाह ने आगे बताया, “पिछले छह महीनों में केवल 20-25 नई रिडेवलपमेंट डील्स ही फाइनल हो पाई हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में अच्छी तेजी थी और 2025 की शुरुआत भी धमाकेदार रही थी, लेकिन अब मंदी ने नई गतिविधियों पर ब्रेक लगा दिया है। हाल ही में पूरे हुए प्रोजेक्ट्स में 20-25% अनसोल्ड इन्वेंट्री होने की वजह से डेवलपर्स के मार्जिन (मुनाफे) पर सीधा असर पड़ा है।”

क्यों अटक रहे हैं प्रोजेक्ट्स?

रिडेवलपमेंट के गणित को समझें तो इसमें बनने वाले नए यूनिट्स की संख्या पुराने मकानों से ज्यादा होती है। पुराने निवासियों को उनके नए घर देने के बाद, जो फ्लैट्स बचते हैं, उन्हें बिल्डर ओपन मार्केट में बेचते हैं। लेकिन मार्केट में डिमांड कमजोर होने के कारण डेवलपर्स इस सरप्लस स्टॉक को निकाल नहीं पा रहे हैं, जिससे उनका कैश फ्लो और प्रॉफिटेबिलिटी प्रभावित हो रही है।

जितेंद्र शाह ने चिंता जताते हुए कहा, “इसी वजह से कई बिल्डर्स नई रिडेवलपमेंट डील्स साइन करने से बच रहे हैं। कई मामलों में तो एमओयू साइन हो चुके हैं, लेकिन डिमोलिशन (ध्वस्तीकरण) या कंस्ट्रक्शन का काम शुरू नहीं हुआ है, जिससे वहां रहने वाले लोगों में बेचैनी बढ़ रही है।”

उम्मीद की किरण बाकी है

बाजार में सुस्ती के बावजूद, स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि आने वाले समय में सेंटिमेंट सुधरेगा। शाह ने नोट किया कि कुछ साल पहले की तुलना में आज लोग रिडेवलपमेंट के लिए ज्यादा खुले विचारों वाले हो गए हैं, जिससे प्रक्रियाओं में तेजी आई है।

सोसाइटी रिडेवलपमेंट से जुड़े बिल्डर जिगर भरवाड़ का कहना है, “कन्वर्जन रेश्यो (डील फाइनल होने की दर) में सुधार आया है क्योंकि अब निवासियों और डेवलपर्स दोनों को इससे मिलने वाले फायदों और रिटर्न की बेहतर समझ है।” उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के कारण शहर के मध्य इलाकों (Central areas) में रिडेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

इन इलाकों में बढ़ी सप्लाई

डेवलपर कार्तिक सोनी ने बताया कि शहर के नारनपुरा, नवरंगपुरा, पालड़ी और वासना जैसे इलाकों में रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से घरों की सप्लाई बढ़ी है। उन्होंने कहा, “नए खरीदारों के पास अब कई विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में जिन डेवलपर्स का ब्रांड मजबूत है और जो बेहतर सुविधाएं (amenities) दे रहे हैं, उनके प्रोजेक्ट्स दूसरों की तुलना में जल्दी बिक रहे हैं।”

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