अहमदाबाद: शहर के खोखरा इलाके में स्थित 45 साल पुराना स्कूल शुक्रवार को 43 दिनों के लंबे अंतराल के बाद फिर से खुल गया। स्कूल के गेट पर एक बैनर लगा था, जिस पर लिखा था, “हमारे सभी प्रिय छात्रों का हार्दिक और गर्मजोशी से स्वागत है। ईश्वर आपको शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में ज्ञान और सफलता प्रदान करें।”
लेकिन इस स्वागत के पीछे एक अनजाना डर और भारी सुरक्षा का साया था। छात्रों को मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा की कई परतों से गुजरकर अपनी कक्षाओं तक पहुंचना पड़ रहा था। माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए शिक्षक बच्चों को चॉकलेट बांटते नजर आए।
यह वही स्कूल है जहां 20 अगस्त को एक दर्दनाक घटना घटी थी। स्कूल के ही एक छात्र ने अपने सहपाठी पर कथित तौर पर चाकू से हमला कर दिया था, जिसके अगले दिन पीड़ित छात्र की अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने स्कूल में तोड़फोड़ की, जिसके चलते जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के आदेश पर स्कूल को बंद कर दिया गया था। तब से स्कूल के 10,000 से अधिक छात्र ऑनलाइन क्लास ले रहे थे।
शुक्रवार को जब स्कूल दोबारा खुला, तो माहौल काफी गमगीन था। सुबह की प्रार्थना सभा में छात्रों ने उस 16 वर्षीय छात्र की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर उसे श्रद्धांजलि दी। इस मामले में आरोपी छात्र फिलहाल सुधार गृह में है। बताया जा रहा है कि जानलेवा हमले से एक हफ्ते पहले दोनों छात्रों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम, अभिभावकों ने ली राहत की सांस
पहले दिन स्कूल प्रशासन कोई भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं था। परिसर में अहमदाबाद शहर पुलिस और दो निजी एजेंसियों के सुरक्षाकर्मी हर कोने पर तैनात थे। स्कूल के चार में से केवल दो गेट खोले गए थे, और वहां से आने-जाने वाले हर व्यक्ति से कड़ी पूछताछ की जा रही थी। स्कूल में 60 नए सीसीटीवी कैमरे, एक नर्स के साथ डिस्पेंसरी और एक एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। इसके अलावा 35 अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड भी तैनात किए गए हैं।
बोर्ड परीक्षाओं में अब केवल छह महीने बचे हैं, ऐसे में स्कूल के फिर से खुलने पर कक्षा 10 और 12 के छात्रों के माता-पिता ने राहत की सांस ली। उन्होंने स्कूल द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों पर संतोष व्यक्त किया। एक छात्र के पिता ने कहा, “मैं खुश हूं कि कक्षाएं फिर से शुरू हो गईं। ऑनलाइन पढ़ाई कभी भी क्लासरूम की पढ़ाई की जगह नहीं ले सकती। बच्चों की बोर्ड की परीक्षाएं हैं और उन्हें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।”
हालांकि, अभिभावक पढ़ाई के नुकसान को लेकर भी चिंतित दिखे। कुछ माता-पिता ने सुझाव दिया कि दिवाली की छुट्टियों को छोटा करके अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएं ताकि छूटा हुआ पाठ्यक्रम पूरा हो सके।
पहले दिन कम रही उपस्थिति, विश्वास बहाली एक बड़ी चुनौती
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रोहित चौधरी के अनुसार, गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के बाद फिलहाल केवल कक्षा 10 और 12 के लिए ही ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि पहले दिन उपस्थिति केवल 20% रही, जिसका कारण घटना का मनोवैज्ञानिक प्रभाव, सप्ताहांत और हाल ही में समाप्त हुए नवरात्रि उत्सव हो सकते हैं।
डीईओ चौधरी ने कहा, “छात्रों को वापस स्कूल लाने के लिए और अधिक विश्वास बहाली के उपाय करने की आवश्यकता है। एक सप्ताह बाद पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर अन्य कक्षाओं को शुरू करने पर निर्णय लिया जाएगा।”
गौरतलब है कि अगस्त में छात्र की मौत के बाद लगभग 500 छात्रों ने स्कूल से अपना नाम कटवाकर स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र (LC) ले लिया था।
जांच अभी भी जारी
इस मामले में पुलिस ने तीन प्राथमिकी (FIR) दर्ज की हैं – एक किशोर आरोपी के खिलाफ हत्या की, दूसरी दंगा करने वाली भीड़ के खिलाफ, और तीसरी घटना की सूचना अधिकारियों को न देने के लिए प्रिंसिपल के खिलाफ। डीईओ ने यह भी बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज स्कूल ने अभी तक जमा नहीं किए हैं और तीसरा नोटिस भेजने के बाद कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
स्कूल प्रशासन अब इस दुखद घटना से उबरकर छात्रों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने और उनकी पढ़ाई को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है।
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