अहमदाबाद: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा हाल ही में देश भर में भूकंपीय क्षेत्रों (Seismic Zoning) में किए गए बड़े बदलावों का सीधा असर अब अहमदाबाद के रियल एस्टेट और आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है। केंद्र सरकार के इस फैसले के तहत अहमदाबाद को भूकंप के जोखिम के लिहाज से अब अधिक संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। शहर को सिस्मिक जोन-3 से अपग्रेड करके सिस्मिक जोन-4 में डाल दिया गया है।
विशेषज्ञों और शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, यह नया वर्गीकरण 3 मई 2026 से प्रभावी होगा। इस तारीख के बाद मंजूर होने वाली सभी नई इमारतों के स्ट्रक्चरल डिजाइन में बड़े बदलाव अनिवार्य होंगे, जिसका सीधा असर निर्माण लागत पर पड़ेगा।
प्रॉपर्टी के दामों में 20 से 25% की उछाल संभव
इस नए नियम के लागू होने के बाद स्ट्रक्चरल इंजीनियरों को ऐसी इमारतें डिजाइन करनी होंगी जो भूकंप के और अधिक शक्तिशाली झटकों को झेल सकें। इसके लिए निर्माण सामग्री का उपयोग बढ़ाना होगा। इंडस्ट्री के जानकारों का अनुमान है कि इससे अहमदाबाद में नई संपत्तियों की कीमतों में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
शहरी विकास विभाग के विशेषज्ञों ने अहमदाबाद को “भूकंप के प्रति संवेदनशील” (seismic sensitive) करार दिया है। गौरतलब है कि 2001 में आए विनाशकारी भूकंप ने शहर को गहरा जख्म दिया था, जिसमें 900 से अधिक लोगों की जान गई थी और कई इमारतें धराशायी हो गई थीं। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नींव से लेकर पिलर तक… सब कुछ होगा मजबूत
अधिकारियों का कहना है कि सिस्मिक जोन में बदलाव से पूरे रियल एस्टेट सेक्टर की प्लानिंग और प्रोजेक्ट की लागत प्रभावित होगी। अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (AMC) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “AMC नई इमारतों के नक्शे पास करता है और ये नक्शे BIS द्वारा घोषित सिस्मिक जोन के आधार पर तैयार किए जाते हैं।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया, “फिलहाल डिजाइन जोन-3 के आधार पर बनते हैं। लेकिन, नवंबर 2025 में BIS द्वारा किए गए संशोधन के बाद, अहमदाबाद अब जोन-4 में आ गया है। इसका मतलब है कि नई इमारतों के बेस (आधार), पिलर और अन्य सपोर्टिंग एलिमेंट्स को अब और ज्यादा मजबूत स्पेसिफिकेशन्स की जरूरत होगी। जब डिजाइन मजबूत होगा, तो निर्माण सामग्री की खपत बढ़ेगी, जिससे प्रोजेक्ट की कुल लागत का बढ़ना तय है।”
इंजीनियर्स की राय: सुरक्षा बढ़ेगी, तो दाम भी बढ़ेंगे
एक वरिष्ठ स्ट्रक्चरल इंजीनियर ने भी नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि यह बदलाव इमारत की नींव (foundation) से लेकर ऊपरी ढांचे तक असर डालेगा। उन्होंने कहा, “अहमदाबाद के सिस्मिक जोन-4 में जाने से भविष्य के सभी प्रोजेक्ट्स के स्ट्रक्चरल डिजाइन को पूरी तरह से बदलना होगा। अब ज्यादा रीइन्फोर्समेंट (लोहा/सरिया) और मजबूत घटकों की आवश्यकता होगी। हमारे अनुमान के मुताबिक, इससे कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में सीधे तौर पर 20% से 25% की बढ़ोतरी होगी।”
क्या है IS 1893 मानक?
शहरी विकास विभाग के विशेषज्ञों ने जानकारी दी है कि इस संशोधन का आधार IS 1893 है, जो भारत में भूकंप-रोधी संरचनाओं के डिजाइन का मुख्य मानदंड है। यह मानक उन न्यूनतम डिजाइन लोड और इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि इमारतें भूकंप के झटकों को सुरक्षित रूप से झेल सकें।
चूंकि BIS ने लागू होने की तारीख की औपचारिक घोषणा कर दी है, इसलिए अहमदाबाद के निर्माण क्षेत्र के पास तैयारी के लिए अब एक साल से भी कम समय बचा है। सूत्रों का कहना है कि डेवलपर्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियर और नगर निगम के अधिकारियों को 3 मई 2026 से पहले ही नए प्रस्तावों को जोन-4 की आवश्यकताओं के अनुसार ढालना शुरू करना होगा।
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