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अहमदाबाद: छात्र की हत्या के बाद शिक्षा विभाग ने बुलाई विशेष बैठक, सुरक्षा पर गहन मंथन

| Updated: August 27, 2025 13:17

अहमदाबाद में छात्र की हत्या के बाद शिक्षा विभाग का ऐतिहासिक कदम, अभिभावक शिक्षा और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर जोर

गुजरात: अहमदाबाद के मणिनगर स्थित Seventh Day Adventist Higher Secondary School में कक्षा 10 के छात्र की हत्या की घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। इस गंभीर मामले के बाद अहमदाबाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रोहित चौधरी ने शहर के प्रमुख स्कूलों के प्राचार्यों और प्रशासकों के साथ एक विशेष बैठक बुलाई। इस बैठक का उद्देश्य ऐसे हादसों की रोकथाम के लिए ठोस उपायों पर चर्चा करना था।

मनोवैज्ञानिकों और शिक्षा विशेषज्ञों की राय

बैठक की शुरुआत मनोवैज्ञानिकों और शिक्षा विशेषज्ञों के विचार-विमर्श से हुई। उन्होंने घटना के पीछे की संभावित परिस्थितियों का विश्लेषण किया और भविष्य में सुरक्षा मजबूत करने के लिए सुझाव दिए। विशेषज्ञों में प्रशांत भीमानी, नवोदिता गांगुली और निश्‍चल भट्ट शामिल थे। इन सभी ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी केवल स्कूल की नहीं, बल्कि अभिभावकों की भी समान रूप से है।

‘स्वजन मित्र’ की पहल का सुझाव

विशेषज्ञ प्रशांत भीमानी ने प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक कक्षा में एक ‘स्वजन मित्र’ या ‘पीयर गार्डियन’ नियुक्त किया जाए। यह छात्र अपने साथियों के लिए विश्वासपात्र मित्र की तरह होगा, जिससे बच्चे अपनी समस्याएं साझा कर सकेंगे। इस तरह कठिनाइयों की पहचान समय रहते हो सकेगी और उनका समाधान भी प्रारंभिक स्तर पर किया जा सकेगा।

अभिभावक शिक्षा अनिवार्य बनाने की वकालत

नवोदिता गांगुली ने कहा कि जिस तरह शिक्षक या अन्य पेशेवरों को डिग्री की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार अभिभावकों के लिए भी एक संरचित प्रशिक्षण होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि नर्सरी प्रवेश से पहले अभिभावकों को कम से कम 10 घंटे का ‘पेरेंटिंग प्रोग्राम’ अनिवार्य रूप से पूरा करना चाहिए। उनका तर्क था कि बच्चे की परवरिश और सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल और अभिभावक दोनों की समान होती है।

अभिभावक-शिक्षक बैठकों का नया दृष्टिकोण

निश्‍चल भट्ट ने यह कहा कि अभिभावक-शिक्षक बैठकें केवल बच्चों की गलतियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अभिभावकों को यह सिखाने पर केंद्रित हों कि वे अपने बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन कैसे कर सकते हैं।

शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासकों की सहभागिता

चर्चा के दौरान शिक्षा अधिकारी रोहित चौधरी के साथ कई ट्रस्टी और प्राचार्य भी शामिल हुए। प्रशासक भास्कर पटेल ने याद दिलाया कि उनकी संस्था ने 1992 के दंगों के बाद शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए थे।

वहीं राजा पाठक, आर्चित भट्ट, कमल मंगल, आल्केश पटेल, मुबीन काज़ी और राकेश पंड्या ने यह सुझाव दिया कि स्कूल छुट्टी के समय कड़ी निगरानी होनी चाहिए। इसके लिए शिक्षकों और कर्मचारियों को निर्धारित स्थानों पर तब तक मौजूद रहना चाहिए, जब तक कि हर छात्र सुरक्षित रूप से अपने परिवहन वाहन में सवार न हो जाए।

सामूहिक जिम्मेदारी ही समाधान

इस विशेष बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि छात्र सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है, जिसमें प्रशासन, शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थी सभी की सहभागिता आवश्यक है। विशेषज्ञों और प्रशासकों के सुझाव जैसे पीयर गार्डियन की नियुक्ति, पेरेंटिंग कोर्स की अनिवार्यता और स्कूल छुट्टी के समय कड़ी निगरानी को अब औपचारिक रूप से लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

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