अहमदाबाद: अहमदाबाद में 12 जून को हुए लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट 171 के दुखद हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में 130 से अधिक पीड़ितों के परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही अमेरिकी लॉ फर्म ‘बीसली एलेन’ के एविएशन अटॉर्नी माइक एंड्रयूज ने ‘पायलट द्वारा आत्महत्या’ की शुरुआती थ्योरी पर गंभीर संदेह जताया है।
बुधवार को हादसे वाली जगह के अपने तीसरे दौरे के बाद अहमदाबाद में बात करते हुए एंड्रयूज ने एक तार्किक सवाल पूछा। उनका कहना है कि अगर पायलट की आत्महत्या ही एकमात्र वजह थी, तो फिर ब्लैक बॉक्स के डेटा को विश्लेषण के लिए अमेरिका क्यों भेजा गया? एंड्रयूज इस समय वॉशिंगटन डीसी में होने वाली एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB), अमेरिकी जांच एजेंसी NTSB और अमेरिकी जांचकर्ताओं की बैठक पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।
जांच की दिशा पर उठाए सवाल
एंड्रयूज ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय का AAIB और स्वतंत्र अमेरिकी एजेंसी NTSB कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) की फॉरेंसिक जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बहुत दिलचस्प है। अगर कहानी सिर्फ पायलट की आत्महत्या तक सीमित होती, तो डेटा को वॉशिंगटन ले जाकर उसका विश्लेषण करने की क्या जरूरत थी? यह स्पष्ट करता है कि जांचकर्ता कुछ और भी तलाश रहे हैं।”
एंड्रयूज का मानना है कि कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के डेटा का मिलान करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “अगर मैं उनकी जगह होता, तो सबसे पहले यह देखता कि RAT (Ram Air Turbine) कब तैनात हुआ। मैं फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में 3, 5 या 10 सेकंड पीछे जाकर यह देखता कि इलेक्ट्रिकल सिस्टम में ऐसी कौन सी घटना हुई जिसने RAT को एक्टिवेट किया। यह समझना इस पहेली को सुलझाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।”
क्या है RAT और क्यों है यह अहम?
रैम एयर टर्बाइन (RAT) एक छोटा आपातकालीन पावर जनरेटर होता है, जो विमान के मुख्य सिस्टम के फेल होने पर जरूरी बिजली और हाइड्रोलिक पावर देने के लिए अपने आप खुल जाता है। इथियोपियन एयरलाइंस क्रैश जैसे मुकदमों का अनुभव रखने वाले एंड्रयूज ने समझाया कि RAT का खुलना इस बात का संकेत है कि विमान में कुछ गंभीर तकनीकी खराबी आई थी।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि कॉकपिट में कई तरह के चेतावनी अलार्म बज रहे होंगे। मैं उन आवाजों को सुनना चाहूंगा। विमान के इलेक्ट्रिकल आर्किटेक्चर को देखते हुए, यह पूरी तरह संभव है कि फ्यूल स्विच की स्थिति में बदलाव मैन्युअल (हाथ से) नहीं, बल्कि कंप्यूटर द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया हो।”
‘क्लिक’ की आवाज़ का रहस्य
एंड्रयूज ने एक बहुत ही तकनीकी बिंदु पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वह AAIB बैठक के नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। “अगर डेटा में फ्यूल स्विच में बदलाव दिखता है, लेकिन रिकॉर्डिंग में स्विच को दबाने की कोई ‘क्लिक’ जैसी आवाज नहीं है, तो यह एक बहुत बड़ा सुराग होगा। मुझे हमेशा से लगता रहा है कि RAT का शुरू होना ही असली चाबी है। कुछ तो ऐसा हुआ है जिसने इसे ट्रिगर किया।”
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, उड़ान भरने के तीन सेकंड बाद ही इंजन फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ स्थिति में चले गए थे, जिससे इंजन बंद हो गए। हालांकि, इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA) ने सुसाइड थ्योरी को “लापरवाह और आधारहीन” बताते हुए खारिज कर दिया है।
पायलट के पिता ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निष्पक्ष जांच की मांग की है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। एंड्रयूज ने कोर्ट और जजों की टिप्पणियों का स्वागत करते हुए कहा कि केवल एक छोटे से संदर्भहीन जानकारी के आधार पर पायलट को दोषी ठहराना गलत है।
जीवित बचे एकमात्र यात्री की गवाही और ‘हरी बत्तियां’
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद हुए इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी, जबकि जमीन पर 19 लोग मारे गए। कुल मृतकों की संख्या 260 है। दीव के रहने वाले ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश इस हादसे में अकेले जीवित बचे हैं।
जांच की गति पर संतोष जताते हुए एंड्रयूज ने कहा कि विश्वास का बयान बहुत अहम है। “विश्वास ने विमान के अंदर लाइटों के बारे में जो कहा, वह एक बड़ा सबूत है। उन्होंने ‘हरी बत्तियों’ का जिक्र किया, जो आमतौर पर इमरजेंसी बैकअप सिस्टम का संकेत होती हैं। इसका मतलब है कि विमान का सिस्टम प्राइमरी से बैकअप पावर पर शिफ्ट हो रहा था। सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ?”
पानी के रिसाव का पुराना इतिहास
एंड्रयूज ने बोइंग के 229 पन्नों के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए विमान में पानी के रिसाव (Water Leaks) के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कॉकपिट और उस क्षेत्र के नीचे जहां कंप्यूटर और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स रखे जाते हैं, वहां से पानी की लाइनें गुजरती हैं।
उन्होंने विस्तार से बताया, “इन लाइनों को जोड़ने के लिए क्लैंप का इस्तेमाल होता है। कभी-कभी इन पर लगा कवर (स्प्लिट श्राउड) क्लिप्स के संचालन में बाधा डालता है, जिससे वे खुल सकते हैं और पानी लीक हो सकता है। अगर पानी इन संवेदनशील उपकरणों पर गिरता है, तो सिस्टम फेल हो सकता है। यह समस्या 2016 में भी चर्चा में आई थी।”
अंत में, एंड्रयूज ने बताया कि पीड़ित परिवार अभी भी घटनास्थल से इकट्ठा किए गए अपने प्रियजनों के निजी सामान का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन सामानों की पहचान (जैसे बैग टैग या पासपोर्ट) आसानी से हो सकती है, उन्हें जल्द ही लौटा दिया जाना चाहिए।
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