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एयर इंडिया AI-171 हादसा: ईंधन कंट्रोल स्विच पर जांच केंद्रित, पायलट त्रुटि की आशंका

| Updated: July 9, 2025 15:39

एक प्रतिष्ठित एविएशन जर्नल की रिपोर्ट में दावा, ईंधन कंट्रोल स्विच के संचालन में गड़बड़ी ने 12 जून की भयावह दुर्घटना में अहम भूमिका निभाई हो सकती है जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी।

नई दिल्ली: एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की भयावह दुर्घटना की जांच अब इंजन के ईंधन कंट्रोल स्विच की हरकतों पर केंद्रित हो गई है। प्रतिष्ठित एविएशन जर्नल द एयर करंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी जांच से जुड़े कई सूत्रों के हवाले से मिली है।

यह हादसा 12 जून को हुआ था, जिसमें कुल 260 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 241 यात्री और चालक दल के सदस्य विमान में सवार थे, जबकि 19 लोग जमीन पर मारे गए। अहमदाबाद से लंदन-गैटविक जा रहा यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के महज 35 सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। चमत्कारिक रूप से एक यात्री इस हादसे में बच गया।

यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब भारत की विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (AAIB) से इस दुर्घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट जल्द जारी होने की उम्मीद है। हालांकि अभी तक AAIB या नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कोई तारीख आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं की है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के नियमों के तहत 30 दिन के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट जारी करना जरूरी है। इस हिसाब से 11 जुलाई तक रिपोर्ट आ सकती है।

द एयर करंट की रिपोर्ट सीधे तौर पर मानवीय त्रुटि को कारण नहीं बताती, लेकिन ईंधन कंट्रोल स्विच पर जांच का फोकस इस ओर इशारा करता है कि पायलट से कोई गंभीर गलती हुई हो सकती है।

हादसे की जांच से जुड़े नहीं रहे कुछ एविएशन विशेषज्ञों ने बताया कि अगर टेकऑफ के तुरंत बाद विमान के एक इंजन में खराबी आई हो, तो हो सकता है पायलट ने गलती से चालू इंजन का ईंधन सप्लाई भी बंद कर दिया हो।

आमतौर पर अगर कोई इंजन खराब हो जाए तो उसकी ईंधन आपूर्ति बंद करना सुरक्षित संचालन प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन अगर पायलट ने गलती से दोनों इंजनों की ईंधन सप्लाई बंद कर दी, तो यह विनाशकारी साबित हो सकता है—खासतौर पर टेकऑफ के तुरंत बाद की स्थिति में जहां ऊंचाई और समय दोनों नहीं होते।

इन हालात में इंजन को दोबारा चालू करना (‘रिलाइट’) कोई तात्कालिक प्रक्रिया नहीं है। इसमें कुछ चरण होते हैं जिन्हें पायलट को पूरा करना होता है। AI-171 के मामले में इतना समय और ऊंचाई उपलब्ध नहीं थी कि पायलट इस गलती को सुधार पाते।

द एयर करंट ने यह भी रेखांकित किया कि 25 जून को दिल्ली में AAIB द्वारा ब्लैक बॉक्स का शुरुआती डेटा पढ़े जाने के 13 दिन बाद तक भी न तो बोइंग और न ही जनरल इलेक्ट्रिक ने किसी तरह की चेतावनी (जैसे मल्टी-ऑपरेटर मैसेज या ऑल-ऑप्स वायर) जारी की है। ऐसी चेतावनी तब दी जाती है जब किसी यांत्रिक खामी की व्यापक संभावना हो।

फिलहाल इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है और यह भी नहीं कह सकता कि पायलट की गलती AI-171 हादसे का प्राथमिक कारण थी।

यह भी साफ नहीं है कि जल्द आने वाली प्रारंभिक रिपोर्ट इस पहले बोइंग 787 हादसे के वास्तविक कारणों पर कोई ठोस जानकारी दे पाएगी या नहीं।

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