मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अक्षय कुमार ने शुक्रवार को एक बेहद चौंकाने वाली और व्यक्तिगत घटना साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनकी 13 वर्षीय बेटी नितारा ऑनलाइन गेमिंग के दौरान यौन उत्पीड़न का शिकार हुई। यह खुलासा उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस मुख्यालय में आयोजित ‘साइबर सुरक्षा जागरूकता माह’ के उद्घाटन समारोह के दौरान किया।
अभिनेता ने बताया कि यह घटना कुछ महीने पहले हुई थी। उनकी बेटी एक ऑनलाइन गेम खेल रही थी, जिसमें अजनबियों से बातचीत करने की सुविधा थी। इसी दौरान एक व्यक्ति ने उससे दोस्ती की और शुरुआत में बहुत विनम्र संदेश भेजे।
अक्षय कुमार ने उस भयावह अनुभव को याद करते हुए कहा, “उस व्यक्ति ने ‘धन्यवाद’, ‘बहुत अच्छा खेला’, और ‘शानदार’ जैसे विनम्र संदेशों के साथ बातचीत शुरू की। वह एक अच्छा इंसान लग रहा था। कुछ समय बाद, उसने पूछा कि वह लड़का है या लड़की, और जब मेरी बेटी ने जवाब दिया कि वह ‘लड़की’ है, तो बातचीत का लहजा पूरी तरह से बदल गया।”
इसके बाद उस अजनबी ने उनकी बेटी से उसकी नग्न तस्वीरें भेजने की मांग की।
अक्षय ने राहत की सांस लेते हुए कहा, “मेरी बेटी ने तुरंत गेम बंद कर दिया और मेरी पत्नी को इस बारे में सूचित किया। शुक्र है, उसने जो कुछ हुआ उसे साझा करने में कोई झिझक नहीं दिखाई।”
अभिनेता ने इस घटना को साइबर अपराध के एक पैटर्न के रूप में उजागर किया, जहाँ शिकारी पहले विश्वास बनाते हैं और फिर नाबालिगों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह एक ऐसा तरीका है जो अक्सर जबरन वसूली और कुछ दुखद मामलों में आत्महत्या पर समाप्त होता है।
इस कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साइबर अपराध की रिपोर्टिंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी साइबर धोखाधड़ी के तुरंत बाद यानी ‘गोल्डन आवर’ के भीतर हेल्पलाइन 1930 और 1945 पर शिकायत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से चोरी हुए पैसे की वसूली की संभावना काफी बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार साइबर अपराध के बारे में स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने की योजना बना रही है। इस जागरूकता अभियान के तहत, फडणवीस ने दो महत्वपूर्ण संसाधन भी लॉन्च किए – साइबर सुरक्षा पर एक डॉक्यूमेंट्री और बच्चों के लिए ‘साइबर वॉरियर’ नामक एक कॉमिक बुक।
फडणवीस ने डीपफेक जैसी नई तकनीकों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि धोखेबाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके फिशिंग, ओटीपी घोटाले, डीपफेक, और आवाज व चेहरे की क्लोनिंग के माध्यम से लोगों को फंसाते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी, “हम सोशल मीडिया पर और ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते हैं। एक बार जब कुकीज़ स्वीकार कर ली जाती हैं, तो व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग हो सकता है, जिससे धोखाधड़ी, जबरन वसूली और साइबरबुलिंग हो सकती है।”
इस समारोह में अभिनेत्री रानी मुखर्जी, वीजेटीआई के आरएंडडी और कंसल्टेंसी के डीन डॉ. फारूक काजी, आईआईटी बॉम्बे के एसोसिएट प्रोफेसर मंजेश हनवाल और कई वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी मौजूद थे। इस अवसर पर साइबर अपराध पर जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया।
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