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हर आंदोलन का खुलेगा ‘कच्चा-चिट्ठा’, अमित शाह का सीक्रेट ‘मास्टरप्लान’ तैयार!

| Updated: September 15, 2025 13:34

आज़ादी के बाद हुए सभी आंदोलनों की होगी जांच, फंडिंग से लेकर 'पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों' तक का खुलेगा राज।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार भविष्य में “निहित स्वार्थों द्वारा किए जाने वाले बड़े आंदोलनों” को रोकने के लिए एक बड़ी और अभूतपूर्व रणनीति पर काम कर रही है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) को एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है।

BPR&D को आज़ादी के बाद देश में हुए सभी प्रमुख आंदोलनों का गहराई से अध्ययन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

यह निर्देश जुलाई के आखिरी हफ्ते में खुफिया ब्यूरो (IB) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन-2025’ के दौरान दिया गया।

आंदोलनों की ‘जन्म-कुंडली’ होगी तैयार

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, BPR&D को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह देश में हुए, विशेषकर 1974 के बाद के, सभी बड़े आंदोलनों का विश्लेषण करे। इस अध्ययन में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  • आंदोलन क्यों शुरू हुए? (कारण)
  • उनके पीछे कौन लोग या संगठन थे? (पर्दे के पीछे के खिलाड़ी)
  • इन आंदोलनों को पैसा कहाँ से मिला? (वित्तीय पहलू)
  • आंदोलनों का अंतिम परिणाम क्या निकला? (नतीजा)

अधिकारी ने बताया, “इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का निर्देश दिया गया है, ताकि भविष्य में निहित स्वार्थों द्वारा होने वाले जन आंदोलनों को रोका जा सके।”

जांच में शामिल होंगी कई बड़ी एजेंसियां

गृह मंत्री के निर्देशों के बाद, BPR&D ने एक विशेष टीम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह टीम पुराने मामलों की फाइलों और अपराध जांच विभागों (CID) की रिपोर्टों के लिए सभी राज्यों के पुलिस विभागों के साथ समन्वय स्थापित करेगी।

सबसे अहम बात यह है कि इन आंदोलनों के “वित्तीय पहलुओं” की तह तक जाने के लिए गृह मंत्री ने BPR&D को प्रवर्तन निदेशालय (ED), वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) जैसी बड़ी वित्तीय जांच एजेंसियों को भी साथ लेने का निर्देश दिया है। ये एजेंसियां आंदोलनों के मनी ट्रेल का पता लगाएंगी।

आतंकवाद की फंडिंग पर भी होगा प्रहार

केवल आंदोलन ही नहीं, बल्कि आतंकी फंडिंग नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भी एक ठोस योजना बनाई गई है। ED, FIU-IND और CBDT को वित्तीय अनियमितताओं का विश्लेषण करके अज्ञात आतंकी नेटवर्क, उनके संबंधों और उनके मंसूबों की पहचान करने के लिए एक विशेष SOP विकसित करने को कहा गया है।

धार्मिक आयोजनों से लेकर पंजाब तक, हर मोर्चे पर नज़र

  • धार्मिक समागमों की निगरानी: अमित शाह ने BPR&D को देश में होने वाले विभिन्न धार्मिक समागमों का अध्ययन करने के लिए भी कहा है। इसका मकसद भगदड़ जैसी दुखद घटनाओं के पीछे के कारणों को समझना और ऐसी सभाओं की निगरानी व रेगुलेशन के लिए एक SOP तैयार करना है।
  • पंजाब पर विशेष फोकस: सूत्रों के मुताबिक, शाह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), सीमा सुरक्षा बल (BSF) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को पंजाब में खालिस्तानी उग्रवाद और सामान्य आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए अलग-अलग कार्यप्रणाली तैयार करने का निर्देश दिया है।
  • अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने की नई तरकीब: NIA को आतंकी-आपराधिक गठजोड़ के घरेलू नेटवर्क को तोड़ने के लिए “आउट-ऑफ-द-बॉक्स” यानी लीक से हटकर सोचने को कहा गया है। इसमें जेल से अपना नेटवर्क चलाने वाले खूंखार अपराधियों को देश के दूसरे हिस्सों की जेलों में शिफ्ट करना भी शामिल है, ताकि उनके स्थानीय नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सके।

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