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अयोध्या फैसला: 6 साल बाद भी मस्जिद निर्माण का इंतजार, नया नक्शा तैयार; जानें कब शुरू होगा काम

| Updated: December 6, 2025 18:22

नई डिजाइन और फंड की कमी: बाबरी के बदले मिली जमीन पर मस्जिद बनने में क्यों हो रही है देरी?

अयोध्या: बाबरी मस्जिद विध्वंस को 34 साल बीत चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को आए हुए 6 साल हो गए हैं। जहाँ एक ओर विवादित स्थल पर बने भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुए करीब दो साल होने को हैं, वहीं मुस्लिम पक्ष को मिली वैकल्पिक जमीन पर बनने वाली मस्जिद का काम अभी भी फाइलों और नक्शों में उलझा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मिली 5 एकड़ जमीन पर अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। हालांकि, अब एक नई डिजाइन फाइनल कर ली गई है और जल्द ही इसका स्ट्रक्चरल मैप मंजूरी के लिए सौंपा जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि मार्च 2026 के बाद ही धन्नीपुर में निर्माण कार्य धरातल पर शुरू हो पाएगा।

धन्नीपुर में अभी भी खाली पड़ा है मैदान

इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF), जिसे मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह अयोध्या शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गाँव में मिले 5 एकड़ के प्लॉट पर मस्जिद बनाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन फाउंडेशन के अध्यक्ष जफर अहमद फारुकी ने स्वीकार किया कि “जमीन पर अभी कुछ भी नहीं है।”

उन्होंने बताया कि मस्जिद की पहली डिजाइन को चर्चा के बाद बदल दिया गया था। अब नई डिजाइन के आधार पर स्ट्रक्चरल मैप तैयार किया जा रहा है, जिसे इस महीने के अंत तक अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) को सौंपने की योजना है। सूत्रों के मुताबिक, नक्शा जमा होने के बाद उसकी मंजूरी में कम से कम तीन महीने का समय लग सकता है।

‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ और फंड की कमी

प्रस्तावित मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ रखा गया है। मस्जिद के निर्माण में देरी की एक बड़ी वजह फंड की कमी भी रही है। 2021 में जो पिछला डिजाइन पेश किया गया था, वह काफी आधुनिक और ‘फ्यूचरिस्टिक’ था, जिसमें कांच का गुंबद शामिल था। बताया जाता है कि समुदाय के लोगों को यह डिजाइन बहुत रास नहीं आया, जिसके चलते दान (डोनेशन) में भी कमी देखी गई।

अब तैयार किए गए नए डिजाइन में पारंपरिक वास्तुकला को अहमियत दी गई है, जिसमें पांच मीनारें और पारंपरिक गुंबद शामिल हैं। फारुकी के मुताबिक, नया डिजाइन तय होने के बाद से लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। उन्होंने कहा, “फंड आ तो रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार अभी काफी धीमी है।”

सिर्फ मस्जिद नहीं, सेवा का केंद्र भी

ज्यादा से ज्यादा लोगों को दान के लिए प्रेरित करने के मकसद से फाउंडेशन ने इस प्रोजेक्ट में मस्जिद के अलावा जनहित से जुड़ी अन्य सुविधाओं को भी शामिल किया है। इसमें एक अस्पताल, कम्युनिटी किचन (लंगर), इंडो-इस्लामिक कल्चरल रिसर्च सेंटर, आर्काइव और एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा।

फाउंडेशन अपनी वेबसाइट के जरिए लोगों से अपील कर रहा है कि यह सिर्फ एक मस्जिद नहीं, बल्कि करुणा, एकता और सेवा का केंद्र होगा, जिससे आने वाली पीढ़ियों को स्वास्थ्य और शिक्षा का लाभ मिलेगा।

दूसरी ओर राम मंदिर का काम पूरा

जहाँ मस्जिद का निर्माण अभी शुरू होना बाकी है, वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर का मुख्य ढांचा पूरा हो चुका है। करीब 10 दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां धार्मिक ध्वज फहराकर इसकी पूर्णता को चिह्नित किया था।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने जानकारी दी कि मुख्य मंदिर का काम पूरा हो गया है, जबकि लैंडस्केपिंग, चारदीवारी और ऑडिटोरियम का काम 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया कि मंदिर निर्माण के लिए शुरुआती दौर में 3,000 करोड़ रुपये का दान मिला था, जिसमें से अब तक लगभग 1,800 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

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