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बंकाई ग्रुप के CEO बंकिम ब्रह्मभट्ट का एक तरफ ‘पॉवर 100’ का सम्मान, दूसरी तरफ $500 मिलियन की धोखाधड़ी का मुकदमा

| Updated: November 1, 2025 13:22

ब्लैकरॉक समेत कई उधारदाताओं ने बंकाई ग्रुप के संस्थापक पर फर्जी खाते बनाकर $500 मिलियन का लोन लेने का आरोप लगाया है। जानें कैसे गुजरात का यह दिग्गज उद्यमी कानूनी मुश्किलों में फंसा।

गुजरात टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड से शिक्षा प्राप्त करने वाले बंकिम ब्रह्मभट्ट आज वैश्विक दूरसंचार जगत में एक जाना-माना नाम और बंकाई ग्रुप (Bankai Group) के प्रेसिडेंट और सीईओ हैं।

लेकिन, कुछ ही दिनों के भीतर, एक ओर, जहाँ उन्हें कैपेसिटी मीडिया (Capacity Media) की प्रतिष्ठित ‘पॉवर 100 लिस्ट’ में मान्यता दी गई है, वहीं दूसरी ओर, वह कथित तौर पर एक व्यवस्थित धोखाधड़ी के लिए $500 मिलियन से अधिक के कानूनी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

ब्रह्मभट्ट अमेरिका स्थित बंकाई ग्रुप के संस्थापक हैं। यह ग्रुप 1989 से टेलीकॉम और फिनटेक क्षेत्र में सक्रिय है, जिसमें 1100 से अधिक कर्मचारी और 20 से ज्यादा वैश्विक कार्यालय हैं। वे सालाना 180+ डायरेक्ट ऑपरेटर नेटवर्कों पर अरबों वॉयस मिनट और संदेशों को टर्मिनेट करते हैं। साथ ही, 150 से अधिक वैश्विक ग्राहक उनके कन्वर्ज्ड बिलिंग सॉल्यूशन, रेवेन्यू और फ्रॉड मैनेजमेंट सॉल्यूशंस, SMS फ़ायरवॉल और स्विचिंग सॉल्यूशंस जैसे उत्पादों का उपयोग करते हैं।

$500 मिलियन की धोखाधड़ी का आरोप

रिपोर्टों के अनुसार, ब्लैकरॉक (BlackRock) के प्राइवेट-क्रेडिट इन्वेस्टिंग डिवीज़न और कई अन्य उधारदाताओं के एक समूह ने ब्रह्मभट्ट की कंपनियों से $500 मिलियन से अधिक की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने दावा किया है कि वे ब्रह्मभट्ट के स्वामित्व वाली टेलीकॉम-सेवा कंपनियों (ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉयस) द्वारा की गई धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं।

उधारदाताओं ने अगस्त में ब्रह्मभट्ट के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें उन पर ‘फर्जी अकाउंट्स रिसीवेबल’ (यानी, ऐसे बिल जो असल में थे ही नहीं) बनाने का आरोप लगाया गया, जिनका इस्तेमाल लोन हासिल करने के लिए कोलैटरल (गारंटी) के तौर पर किया गया था।

उधारदाताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों ने लिखा, “ब्रह्मभट्ट ने संपत्तियों की एक विस्तृत बैलेंस शीट बनाई जो केवल कागजों पर मौजूद थी।”

इसके अलावा, उन्होंने ब्रह्मभट्ट पर उन संपत्तियों को भारत और मॉरीशस में ऑफशोर (विदेशी) खातों में ट्रांसफर करने का भी आरोप लगाया, जिन्हें मूल रूप से कोलैटरल के तौर पर गिरवी रखा जाना था।

‘वाइब्स ऑफ इंडिया’ की जानकारी के अनुसार, ब्रह्मभट्ट ने अपने वकील के माध्यम से इन धोखाधड़ी के आरोपों से पहले ही इनकार कर दिया है।

कैसे सामने आया यह कथित घोटाला?

मीडिया के एक वर्ग ने रिपोर्ट दी है कि प्रमुख बैंक बीएनपी पारिबा (BNP Paribas) ने ब्लैकरॉक के एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स (HPS Investment Partners) द्वारा ब्रह्मभट्ट की टेलीकॉम कंपनियों के लिए लोन को वित्तपोषित करने के फैसले का समर्थन किया था।

सूत्रों के अनुसार, यह भी बताया जा रहा है कि बीएनपी पारिबा ने कथित तौर पर ब्लैकरॉक के एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स को ब्रह्मभट्ट की कंपनियों को यह लोन दिलाने में सहायता की थी।

यह पूरा विवाद तब खुलकर सामने आया जब एचपीएस के एक कर्मचारी ने कई ईमेल पतों में अनियमितताएं पाईं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे कैरिऑक्स (Carriox) ग्राहकों से जुड़े थे।

आधिकारिक फाइलिंग में कथित तौर पर कहा गया है कि उधारदाताओं ने वैध टेलीकॉम कंपनियों की नकल करने के लिए डिज़ाइन किए गए ‘फर्जी डोमेन’ से आने वाले संदेशों की पहचान की। जब पहले के पत्राचार की समीक्षा की गई, तो एक समान पैटर्न सामने आया।

कहा जाता है कि शुरुआत में, ब्रह्मभट्ट ने एचपीएस की चिंताओं को यह कहकर खारिज कर दिया कि घबराने की कोई बात नहीं है। लेकिन इसके बाद, उन्होंने कथित तौर पर उनके कॉल्स का जवाब देना ही बंद कर दिया।

गांधीनगर से वैश्विक मंच तक का सफर

यह उस व्यक्ति के लिए एक बड़ा झटका है जिसने कभी गुजरात का नाम रौशन किया था। asiainc500.com को दिए एक पुराने इंटरव्यू में, उन्होंने अपनी गुजराती जड़ों के बारे में बात की थी, “गांधीनगर सिर्फ वह जगह नहीं है जहाँ मैं पैदा हुआ था – यह वह जगह है जहाँ मैं बना हूँ। मुझे धूल भरी गलियाँ, मंदिर की घंटियाँ, घर के बने खाने की महक और जीवन की वह सादगी याद है जिसने मुझे किताबों से कहीं बढ़कर मूल्य सिखाए।”

उन्होंने अपनी माँ को श्रेय देते हुए कहा था, “मेरी माँ, विशेष रूप से, मेरी पहली शिक्षक, दार्शनिक और मार्गदर्शक थीं। उन्होंने मुझे न केवल पाला-पोसा – उन्होंने मुझमें जिम्मेदारी, सहानुभूति और लचीलेपन की भावना भरी।”

ब्रह्मभट्ट ने याद किया था, “वह अक्सर कहती थीं, ‘बड़ा बनना है तो सबसे पहले अच्छा इंसान बनो।’ उनकी विनम्रता और नैतिक दिशा अभी भी वह नींव है जिस पर मैंने सब कुछ बनाया है।”

बड़े होते हुए, उन्होंने एक गुजराती पत्रिका में धीरूभाई अंबानी के बारे में पढ़ा। यमन से भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बनने तक की उनकी यात्रा ने ब्रह्मभट्ट पर गहरा और स्थायी प्रभाव डाला।

ब्रह्मभट्ट के नेतृत्व में, बंकाई ग्रुप अत्याधुनिक कनेक्टिविटी और अगली पीढ़ी के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन समाधान पेश कर रहा था। लेकिन आज, इसके मालिक अपने करियर की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं – अपनी और अपने विशाल कारोबार की प्रतिष्ठा को बचाना।

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