नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के माहौल में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से न्यूयॉर्क में एक महत्वपूर्ण बैठक की। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान हुई, जिसमें द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के कई मौजूदा मुद्दों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया।
यह बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की बातचीत है। अमेरिका ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने के कारण 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिससे भारत पर कुल अमेरिकी शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सेक्रेटरी रूबियो ने इस बात पर जोर दिया कि भारत, अमेरिका के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण साझेदार है। उन्होंने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कई अहम क्षेत्रों में भारत सरकार के साथ निरंतर जुड़ाव की सराहना की।
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर चिंता और व्हाइट हाउस की सफाई
जयशंकर और रूबियो की यह मुलाकात डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा H-1B वीज़ा शुल्क में भारी बढ़ोतरी के फैसले के कुछ ही दिनों बाद हुई है। प्रशासन ने H-1B वीज़ा के शुल्क में $100,000 (लगभग ₹90 लाख) की अप्रत्याशित वृद्धि कर दी थी, जिससे मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों में चिंता की लहर दौड़ गई थी।
हालांकि, 20 सितंबर को व्हाइट हाउस ने इस पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि $100,000 का यह शुल्क एकमुश्त है और इसे हर साल नहीं देना होगा। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा, “यह कोई वार्षिक शुल्क नहीं है। यह केवल याचिका के लिए एक बार लगने वाला शुल्क है।”
उन्होंने यह भी साफ किया कि जो मौजूदा H-1B वीज़ा धारक इस समय देश से बाहर हैं, उन्हें अमेरिका में दोबारा प्रवेश करने के लिए यह भारी-भरकम राशि नहीं चुकानी होगी।
व्यापार वार्ता को गति देने के प्रयास तेज
एक तरफ जहाँ जयशंकर अमेरिकी विदेश मंत्री से मिल रहे थे, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी पक्ष के साथ व्यापार वार्ता को तेज करने के लिए न्यूयॉर्क में बैठक कर रहा था।
गोयल ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर से मुलाकात की, जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच एक लाभकारी व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना है।
इस साल गोयल और ग्रीर के बीच यह तीसरी बैठक थी; इससे पहले मार्च और मई में भी दोनों नेताओं की मुलाकात हो चुकी थी। इन बैठकों का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हालिया सकारात्मक बातचीत से बने माहौल का लाभ उठाना है।
उच्च स्तरीय संवाद और समझौते की उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट के दो शीर्ष मंत्रियों की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की एक महत्वपूर्ण कोशिश है। हाल के दिनों में, भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों की आलोचना के कारण संबंधों में कुछ खटास आई थी।
हालांकि, व्यापार वार्ता, जो कुछ समय के लिए रुक गई थी, डोनाल्ड ट्रम्प के यह कहने के बाद फिर से शुरू हो गई कि उनकी टीम भारत के साथ बातचीत जारी रखे हुए है। इस महीने की शुरुआत में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के साथ एक व्यापार समझौते को लेकर आशा व्यक्त की थी, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह समझौता “भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम क्षमता को खोलेगा”।
दोनों देशों के बीच यह गर्मजोशी तब भी दिखी जब 16 सितंबर को राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके 75वें जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं देने के लिए फोन किया। उसी दिन, अमेरिकी मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच और उनके भारतीय समकक्ष राजेश अग्रवाल के बीच दिल्ली में द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा हुई थी।
व्यापार समझौते का लक्ष्य
इस साल फरवरी में, दोनों देशों के नेताओं ने अपने अधिकारियों को एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत करने का निर्देश दिया था। योजना के अनुसार, इस समझौते के पहले चरण को 2025 के अक्टूबर-नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। अब तक बातचीत के पांच दौर हो चुके हैं, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा $191 बिलियन से दोगुना से अधिक बढ़ाकर $500 बिलियन तक पहुंचाना है।
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने भी 18 सितंबर को एक सकारात्मक संकेत देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद का समाधान अगले दो महीनों के भीतर हो जाएगा।
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