मुंबई: बीते पांच वर्षों में जहां युवा सेलिब्रिटीज़ के बीच अचानक दिल के दौरे की घटनाएं सामने आई हैं, वहीं भारत में दिल की दवाओं की बिक्री में भी 50% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह ट्रेंड देश में बढ़ते हृदय रोगों के बोझ को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
हृदय संबंधी दवाएं बनीं सबसे ज्यादा बिकने वाली मेडिसिन
लिपिड-लोअरिंग ड्रग्स, हार्ट फेलियर की दवाएं और एंटी-एंजाइनल ट्रीटमेंट जैसी हृदय संबंधी दवाएं अब पेट की बीमारियों, संक्रमण या मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों की दवाओं से कहीं ज्यादा बिक रही हैं।
Pharmarack की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, जो 17 प्रमुख भारतीय फार्मा कंपनियों की बिक्री को ट्रैक करती है (जो कि देश के फार्मा सेक्टर का आधा हिस्सा हैं), कार्डियक दवाओं की बिक्री जून 2021 में ₹1,761 करोड़ थी, जो जून 2025 में बढ़कर ₹2,645 करोड़ हो गई। इस क्षेत्र में औसतन 10.7% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।
बढ़ते मामलों के पीछे क्या हैं वजहें?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं—हृदय रोगों के प्रति बढ़ती जागरूकता, हाई ब्लड प्रेशर को मापने के नए पैरामीटर, और देश में बुजुर्ग आबादी में इज़ाफा।
मुंबई के केईएम अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय महाजन ने कहा, “हृदय रोगों में बढ़ोतरी तो हो ही रही है, लेकिन इसके साथ-साथ जांच सुविधाएं और इलाज की पहुंच भी पहले से बेहतर हुई है।”
जे.जे. अस्पताल के कार्डियोवैस्कुलर और थोरैसिक सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सूरज नागरे के अनुसार, “कुछ साल पहले तक 130-140 mmHg ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन माना जाता था, लेकिन अब 120 से ऊपर का रीडिंग भी हाई बीपी की श्रेणी में आ गया है।”
अब सिर्फ कोलेस्ट्रॉल की दवाएं नहीं, बढ़ी है अन्य कार्डियक दवाओं की मांग
आज हृदय देखभाल सिर्फ कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली स्टैटिन दवाओं तक सीमित नहीं है। अनियमित धड़कन, एंजाइना और हार्ट फेलियर से जुड़ी दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है।
वरिष्ठ हृदय सर्जन डॉ. रमाकांत पांडा ने बताया, “हृदय संबंधी दवाएं आपस में जुड़ी होती हैं क्योंकि ये विभिन्न लेकिन संबंधित बीमारियों को लक्षित करती हैं। जैसे, बीपी की दवाएं धमनियों और दिल पर पड़ने वाले दबाव को कम करती हैं, स्टैटिन कोलेस्ट्रॉल घटाकर ब्लॉकेज को रोकती हैं, और एंटी-एंजाइनल दवाएं दिल की मांसपेशियों तक खून का प्रवाह बढ़ाकर सीने के दर्द में राहत देती हैं। कई बार इन सभी दवाओं को एक साथ दिया जाता है।”
युवाओं और सेलिब्रिटीज़ में हार्ट अटैक की घटनाएं क्यों बढ़ीं?
हाल के वर्षों में कई आम लोगों, सेलिब्रिटीज़ और फिटनेस प्रेमियों की हृदयगति रुकने से मौत ने चिंता बढ़ा दी है। लेकिन डॉक्टर इस पर स्पष्ट कहते हैं कि इसके पीछे एक से अधिक कारण होते हैं।
केईएम अस्पताल के डॉ. चरण लांजेवार ने कहा, “ज्यादातर मामलों में कोई एक कारण नहीं होता। ये बहु-कारक स्थितियां होती हैं जिनमें जीवनशैली, तनाव और खाने-पीने की आदतें बड़ी भूमिका निभाती हैं।”
बढ़ती उम्र, बढ़ता हृदय जोखिम
भारत की बुजुर्ग होती आबादी भी हृदय रोगों के मामलों में इज़ाफे की एक बड़ी वजह है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अक्षय मेहता कहते हैं, “देश में जीवन प्रत्याशा बढ़ी है और इसके साथ बुजुर्गों की संख्या भी। यही वजह है कि हम हृदय रोगों के ज्यादा मामले देख रहे हैं। हालांकि अब हमारे पास बेहतर डायग्नोस्टिक टूल्स भी हैं जिससे जल्दी पहचान और इलाज संभव हो पा रहा है।”
63% मौतें नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज से, जिनमें 27% हृदय रोगों से
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल मौतों में से 63% नॉन-कम्युनिकेबल डिज़ीज़ (NCDs) की वजह से होती हैं, जिनमें अकेले हृदय रोग 27% का हिस्सा रखते हैं।
देश में इस ‘साइलेंट एपिडेमिक’ से निपटने के लिए समय पर जांच, जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी हो गया है।
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