अहमदाबाद: शहर के कला प्रेमियों के लिए एक नायाब तोहफा इंतजार कर रहा है। शाहीबाग स्थित कस्तूरभाई लालभाई संग्रहालय में एक ऐसी प्रदर्शनी शुरू होने जा रही है, जो दर्शकों को 19वीं सदी के मध्य एशिया की सैर कराएगी। यह प्रदर्शनी विशेष रूप से बुखारा क्षेत्र की अद्भुत रचनात्मकता को दर्शाती है, जिसमें वहां के ‘सुजानी’ और ‘इकत’ वस्त्रों के बोल्ड डिजाइन, गहरे रंग और आकर्षक अमूर्त आकृतियां देखने को मिलेंगी।
सिल्क रूट की विरासत का दर्शन
उज्बेकिस्तान भौगोलिक रूप से भारत के करीब है और वहां के वस्त्रों पर भारतीय प्रभाव भी स्पष्ट है, इसके बावजूद ये खूबसूरत कलाकृतियां भारतीय दर्शकों के लिए अब तक काफी हद तक अनजान रही हैं। डेविड और मनदीप हाउसगो द्वारा वर्षों की मेहनत से तैयार किया गया यह कलेक्शन ‘सिल्क रूट’ की समृद्ध विरासत को जीवंत करता है।
इस प्रदर्शनी में लगभग 50 ऐसी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की जाएंगी, जिन पर मुगल भारत, फारस, चीन और तुर्की के ओटोमन साम्राज्य की कलात्मक शैलियों की छाप साफ दिखाई देती है।

क्या है प्रदर्शनी में खास?
यहाँ प्रदर्शित होने वाले ‘सुजानी’ हैंगिंग (सूती कपड़े पर रेशमी धागों की बारीक कढ़ाई) और अमीरों द्वारा पहने जाने वाले ‘इकत’ चपान (लबादे) देखने लायक हैं। इनमें प्राकृतिक रंगों से तैयार चमकदार नीले, लाल और पीले रंगों का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है।

इन वस्त्रों पर उकेरे गए फूलों के गुलदस्ते, आईरिस, अनार और खसखस (poppies) के डिजाइन ऐसे लगते हैं मानो रेगिस्तान के बीच किसी हरे-भरे बगीचे (नखलिस्तान) की सुंदरता को कैद कर लिया गया हो। ये डिजाइन आभूषणों, मिट्टी के बर्तनों और टाइल्स की प्राचीन परंपराओं से भी प्रेरित हैं।
‘शेड्स ऑफ इंडिया’ के चेयरमैन डेविड हाउसगो बताते हैं, “19वीं सदी में मध्य एशिया में जबरदस्त सांस्कृतिक विकास हुआ था, जिसमें वस्त्रों की प्रमुख भूमिका थी। हमें इस प्रदर्शनी को अहमदाबाद लाने की बेहद खुशी है। यह संग्रह मेरे कई वर्षों के जुनून का नतीजा है, जिसकी शुरुआत तब हुई थी जब मैं ईरान और अफगानिस्तान में एक पत्रकार के रूप में काम करता था। सुजानी, इकत और उस क्षेत्र के कालीनों की सुंदरता हमेशा से मेरा जुनून रही है।”

एक दुर्लभ अवसर
कस्तूरभाई लालभाई संग्रहालय की ट्रस्टी, श्रीमती जयश्री लालभाई ने इस मौके पर कहा, “हम बुखारा वस्त्रों की इस अद्वितीय प्रदर्शनी को प्रस्तुत करते हुए बेहद उत्साहित हैं। अहमदाबाद को पहली बार इतना समृद्ध और उत्कृष्ट संग्रह देखने का मौका मिलेगा। मैं सभी से आग्रह करती हूँ कि वे इसे देखने जरूर आएं, क्योंकि यह प्रदर्शनी सीमित समय के लिए ही यहाँ है। जब शहर में कुछ इतना शानदार आया हो, तो उसे देखने का मौका नहीं चूकना चाहिए।”
समय और स्थान
यह प्रदर्शनी उन लोगों के लिए एक आंखें खोलने वाला अनुभव होगी जो इस विरासत से अनजान थे। यह 9 नवंबर से 30 नवंबर, 2025 तक रोजाना सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कस्तूरभाई लालभाई संग्रहालय में खुली रहेगी। अधिक जानकारी के लिए +91 91040 60850 पर संपर्क किया जा सकता है।

संग्रहालय के बारे में
कस्तूरभाई लालभाई संग्रहालय अहमदाबाद के शाहीबाग इलाके में 1905 की एक औपनिवेशिक इमारत में स्थित है। यह संग्रहालय ऐतिहासिक कला के साथ-साथ व्यक्तिगत पसंद का भी एक अनूठा संतुलन पेश करता है और पारिवारिक घर की मूल भावना को बनाए रखता है।
यहाँ फारसी, मुगल, दक्कन, पहाड़ी और राजस्थानी शैलियों की पेंटिंग, तिब्बती थंगका, कंपनी स्कूल के चित्र और बंगाल स्कूल की आधुनिक कलाकृतियां मौजूद हैं।
पत्थर, धातु, लकड़ी और बिदरी की कलाकृतियां यहाँ एक हजार से अधिक वर्षों के इतिहास को समेटे हुए हैं। संग्रहालय परिसर में 1930 के दशक में बनी ‘क्लाउड बैटली हाउस’ इमारत भी है, जहाँ अस्थायी प्रदर्शनियां और युवा कलाकारों के कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए जगह बनाई गई है।
पुरानी इमारत की सुंदरता से छेड़छाड़ किए बिना, यहाँ एक अनोखी ग्लास गैलरी भी जोड़ी गई है। इसके अलावा, परिसर में 250 लोगों की क्षमता वाला एक छोटा एम्फीथिएटर भी है, जहाँ छोटे कार्यक्रम और संगीत संध्याएं आयोजित की जा सकती हैं।
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