अहमदाबाद: राजकोट के उस शर्मनाक प्राइवेसी स्कैंडल को करीब 10 महीने बीत चुके हैं, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस घटना में एक गायनोकोलॉजी (स्त्री रोग) अस्पताल के हैक किए गए सीसीटीवी फुटेज की सैकड़ों क्लिप वायरल हो गई थीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम उससे कुछ सीख पाए? जवाब डराने वाला है, क्योंकि गुजरात और पूरा देश आज भी साइबर अपराधियों के निशाने पर है।
अमेरिका स्थित एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ की हालिया रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले गुजरात में 777 आईपी-आधारित (IP-based) कैमरे ऑनलाइन असुरक्षित पाए गए हैं। यह वही कमजोरी है जिसका फायदा उठाकर हैकर्स ने इस साल फरवरी में देश भर के महज 80 निजी सीसीटीवी कैमरा डैशबोर्ड से 50,000 निजी वीडियो क्लिप चुरा ली थीं। इन वीडियो को बाद में टेलीग्राम समूहों और पोर्न नेटवर्क पर बेचा गया था।
गुजरात: खतरे की घंटी
साइबर सुरक्षा ट्रैकर्स ने चेतावनी दी है कि गुजरात तो महज एक बानगी है। हकीकत यह है कि पूरे भारत में 21,444 कैमरे इसी तरह की कमजोरियों के साथ इंटरनेट पर मौजूद हैं, जो कभी भी हैक हो सकते हैं।
गुजरात के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति चिंताजनक है। राज्य में इंटरनेट पर दिखाई देने वाले 777 असुरक्षित आईपी कैमरों में से सबसे अधिक 399 कैमरे अहमदाबाद में हैं। इसके बाद सूरत (166), वडोदरा (87), राजकोट (33), भावनगर (24) और गांधीनगर (20) का नंबर आता है।
बेबी मॉनिटर और छोटे बिजनेस सबसे आसान शिकार
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह समस्या किसी एक शहर तक सीमित नहीं है। इन उपकरणों में बड़ी संख्या में बेबी मॉनिटर, घरेलू सीसीटीवी और छोटे व्यवसायों के सेटअप शामिल हैं। सैन जोस, कैलिफोर्निया स्थित ‘ऑफेंसिव सिक्योरिटी सर्टिफाइड प्रोफेशनल’ (OSCP) प्रमाणित सुरक्षा इंजीनियर और स्वतंत्र शोधकर्ता पॉल मारापेस (Paul Marrapese) ने अपनी रिसर्च में इसे एक राष्ट्रीय समस्या बताया है।
मारापेस कहते हैं, “2025 में, मैंने भारतीय आईपी (IP) एड्रेस से जुड़े कुल 21,444 उपकरणों को कम से कम एक बार ऑनलाइन रिकॉर्ड किया है, जो शोषण के इंतजार में हैं और हैकर्स के लिए खुले हैं।”
महानगरों की स्थिति और भी भयावह
आंकड़े बताते हैं कि राजकोट की घटना कोई एक बार होने वाला हादसा नहीं थी। देश के प्रमुख शहरों में हजारों डिवाइस खतरे की जद में हैं:
- दिल्ली: 2,914 असुरक्षित कैमरे
- मुंबई: 1,842
- बेंगलुरु: 1,205
- हैदराबाद: 1,100
- पुणे: 899
- चेन्नई: 823
- कोलकाता: 683
पॉल मारापेस का मानना है कि यह आंकड़ा दिखाता है कि कैसे सस्ते कैमरों में दिए गए ‘सुविधाजनक फीचर्स’ ने पूरे शहरों को सरल और स्वचालित (automated) हमलों के लिए खुला छोड़ दिया है। राजकोट प्रकरण इस बात का सबूत है कि कैसे अस्पताल के वार्ड, घर, सिनेमा हॉल और यहां तक कि बेबी मॉनिटर की गोपनीयता भंग की गई।
कमजोर पासवर्ड और ‘admin123’ की गलती
गुजरात सीआईडी (क्राइम) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “मुट्ठी भर हैक किए गए डैशबोर्ड ही पुनर्विक्रय (resale) के लिए हजारों क्लिप तैयार कर सकते हैं।”
हैकर्स के लिए रास्ता इसलिए आसान हो जाता है क्योंकि लोग अपनी डिजिटल सुरक्षा को लेकर लापरवाह हैं। कई डिवाइस, विशेष रूप से “नैनी कैम” (nanny cams) जो आसान रिमोट व्यूइंग का वादा करते हैं, बेहद कमजोर पासवर्ड के साथ आते हैं।
लोग अक्सर फैक्ट्री पासवर्ड जैसे “admin123” को बदलते नहीं हैं। इसके अलावा, कई आईपी कैमरा डिवाइस अनुमान लगाने योग्य यूआईडी (UID) पैटर्न का उपयोग करते हैं, जैसे “FFFF-123456-ABCDE”, जिसे हमलावर आसानी से स्कैन और क्रैक कर लेते हैं।
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