नई दिल्ली: भारत के लगभग हर घर में नारियल तेल का इस्तेमाल बहुत आम है। खाने से लेकर त्वचा और बालों तक, इसे अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए अनमोल माना जाता है। लेकिन, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो ने उपभोक्ताओं के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस वीडियो ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वे जिस नारियल तेल पर भरोसा करते हैं, वह वाकई उतना ही शुद्ध है जितना कि लेबल पर दावा किया जाता है?
वायरल वीडियो ने खोली पोल?
X (पहले ट्विटर) पर तेजी से वायरल हो रहे इस वीडियो में, एक महिला एक ग्रोसरी स्टोर में नारियल तेल की एक बोतल पकड़े हुए दिखाई दे रही है। वह कैमरे को बोतल का अगला हिस्सा दिखाती है, जिस पर बड़े अक्षरों में “100% शुद्ध नारियल तेल” (With 100% pure coconut oil) लिखा हुआ है।
लेकिन असली कहानी तब शुरू होती है, जब वह बोतल को पलटकर उसकी सामग्री सूची (ingredient list) दिखाती है। सामग्री सूची में सिर्फ नारियल तेल ही नहीं, बल्कि “वनस्पति तेल” (vegetable oil) का भी उल्लेख होता है।
महिला वीडियो में सवाल उठाती है, “यह 100% शुद्ध नारियल तेल कैसे हुआ?” वह आगे कहती हैं, “ये हैं आपकी ब्रांड्स – पैकेजिंग फ्रंट ये होती है और जब आप इंग्रेडिएंट्स चेक करते हो तो कहानी बिलकुल बदल जाती है।”
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
यह वीडियो एक कैप्शन के साथ साझा किया गया था, जिसने इस बहस को और हवा दे दी। कैप्शन में लिखा था: “पैराशूट 100% शुद्ध नारियल तेल लेकिन……… क्या वह लेबल गलत पढ़ रही हैं? या ब्रांड के दावे में कोई तकनीकी सच्चाई है?”
इस वीडियो पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, लेकिन एक टिप्पणी ने सबका ध्यान खींचा।
शुद्ध तेल की लागत का गणित
श्री कृष्णा मिल्स कंपनी (Sri Krishna Mills Co.) नाम की एक नारियल तेल उत्पादन फैसिलिटी चलाने वाले एक व्यक्ति ने शुद्ध नारियल तेल बनाने की वास्तविक लागत का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनकी फैसिलिटी 110 साल से भी अधिक पुरानी है और वे एक सदी से अधिक समय से गुणवत्ता बनाए रखने पर गर्व करते हैं, लेकिन बड़े ब्रांडों के सामने बाजार में टिकना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने लागत का गणित समझाते हुए लिखा:
“वर्तमान में खोपरा (सूखा नारियल) की कीमत लगभग 240 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसका कन्वर्जन रेट (मोटे तौर पर) 65 प्रतिशत है – यानी 1000 किलोग्राम खोपरे से 650 लीटर शुद्ध नारियल तेल निकलता है।”
उन्होंने आगे हिसाब जोड़ा, “इस हिसाब से, प्रति लीटर की कीमत 370 रुपये बैठती है। इसमें अगर हम अपने सभी खर्च (बिक्री और मार्केटिंग को छोड़कर) जोड़ दें, तो यह 390-400 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाता है।”
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर कोई इससे कम कीमत पर तेल बेच रहा है, “तो आप समझ सकते हैं कि क्या हो रहा है,” जो सीधे तौर पर गुणवत्ता से समझौते की ओर इशारा करता है।
उपभोक्ताओं ने क्या कहा?
इस विश्लेषण पर कई अन्य यूजर्स ने भी अपनी राय रखी।
एक यूजर ने टिप्पणी की, “मुझे नारियल तेल उत्पादन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन मैं यहां बताए गए हर शब्द में दर्द महसूस कर सकता हूं। मुझे लगता है कि यह हर छोटे पैमाने के निर्माता की सच्चाई है।”
वहीं, एक अन्य यूजर ने सुझाव दिया, “आप सीधे उपभोक्ताओं (Direct to consumer) को क्यों नहीं बेचते? अपनी प्रक्रिया समझाएं और बताएं कि आप इन बड़े ब्रांडों से कैसे अलग हैं। मेरे जैसे बहुत से लोग हैं जो क्वालिटी प्रोडक्ट के लिए ज़्यादा कीमत चुकाने में खुशी महसूस करेंगे।”
यह वायरल वीडियो और उस पर हुई चर्चा यह दिखाती है कि उपभोक्ता अब केवल पैकेजिंग पर लिखे दावों पर नहीं, बल्कि सामग्री सूची को भी गंभीरता से देख रहे हैं।
यह भी पढ़ें-
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट: 8 की मौत, 20 घायल; जांच में IED और पुलवामा कनेक्शन का शक









