नई दिल्ली: दिल्ली लाल किला विस्फोट मामले की जांच में एक बेहद चौंकाने वाला और डरावना खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकियों की योजना सिर्फ एक धमाके तक सीमित नहीं थी। तबाही मचाने के लिए एक या दो नहीं, बल्कि पूरी 32 कारों को तैयार किया जा रहा था। इन कारों में मारुति सुजुकी ब्रेजा, स्विफ्ट डिजायर और फोर्ड इकोस्पोर्ट जैसी गाड़ियां शामिल हैं, जिन्हें विस्फोटक और बम प्लांट करने के लिए तैयार किया जा रहा था।
जांच में यह बात सामने आई है कि सोमवार शाम को जिस हुंडई i20 कार में विस्फोट हुआ, वह तो केवल एक बानगी भर थी। आतंकियों का असली मकसद 6 दिसंबर (जिस दिन अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद गिराई गई थी) को ‘बदले’ की कार्रवाई के तहत दिल्ली के छह अलग-अलग स्थानों पर सीरियल ब्लास्ट करना था।
पुरानी कारों का नेटवर्क और फरीदाबाद कनेक्शन
पुलिस के लिए इन कारों को ट्रैक करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही थी। आतंकियों ने जानबूझकर ऐसी चार कारों को चुना था जो काफी पुरानी थीं और कई बार बेची (re-sold) जा चुकी थीं, ताकि उनके असली मालिकों तक पहुंचना मुश्किल हो जाए। हालांकि, जांच एजेंसियों ने अब इन चारों कारों को बरामद कर लिया है।
सबसे अहम सुराग हरियाणा के फरीदाबाद से मिले हैं, जो अब इस आतंकी मॉड्यूल का मुख्य केंद्र या ‘एपिक सेंटर’ माना जा रहा है।
- मारुति ब्रेजा: इसे फरीदाबाद स्थित ‘अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर’ के कैंपस से बरामद किया गया है।
- फोर्ड इकोस्पोर्ट (DL10 CK 0458): यह कार बुधवार देर रात फरीदाबाद में लावारिस हालत में मिली। कार की पिछली सीट पर एक युवक सोता हुआ पाया गया, जिसकी पहचान अभी उजागर नहीं की गई है, लेकिन उसे हिरासत में ले लिया गया है।
- स्विफ्ट डिजायर: इसे सोमवार को ही जब्त कर लिया गया था, जिसमें से एक असॉल्ट राइफल और गोला-बारूद बरामद हुआ था।
आई-20 ब्लास्ट: 13 मौतें और आतंकी की गलती
लाल किले के पास हुए दर्दनाक हादसे में 13 लोगों की जान चली गई। जिस आई-20 कार का इस्तेमाल किया गया, उसमें हाई-ग्रेड विस्फोटक और अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल का घातक मिश्रण भरा हुआ था। शुरुआती जांच बताती है कि यह धमाका तय समय से पहले ही हो गया। इस गलती के पीछे आतंकियों में से एक, उमर मोहम्मद (उर्फ उमर-उन-नबी) था। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि डीएनए टेस्ट में मरने वाले की पहचान उमर के रूप में हुई है।
क्या था उस दिन का प्लान?
आई-20 कार सोमवार सुबह बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में दाखिल हुई और कुछ घंटों तक शहर में घूमती रही। आतंकियों का असली प्लान कार को लाल किले की पार्किंग के अंदर उड़ाने का था। लेकिन चूंकि सोमवार को लाल किला दर्शकों के लिए बंद रहता है, इसलिए उमर ने योजना बदल दी। उसने किले के प्रवेश द्वार के ठीक बाहर और मेट्रो स्टेशन के पास एक व्यस्त ट्रैफिक सिग्नल पर बम में विस्फोट कर दिया। सूत्रों का यह भी कहना है कि आतंकियों के बीच दिवाली (20 अक्टूबर) पर भी हमले को लेकर चर्चा हुई थी।
डॉक्टर बनकर रची गई साजिश: ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकवाद
इस पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। एनआईए को जांच में आतंकवादियों के काम करने का एक नया तरीका (Modus Operandi) मिला है। ये आतंकी स्थानीय समुदाय का भरोसा जीतने और शक से बचने के लिए ‘व्हाइट कॉलर पेशेवरों’, विशेषकर डॉक्टरों के रूप में अपनी पहचान बना रहे थे।
इस आतंकी सेल का संचालन पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया जा रहा था।
कैसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़?
यह पूरा नेटवर्क तब बेनकाब हुआ जब जम्मू-कश्मीर के नौगाम में एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया। फुटेज में आदिल अहमद राथर नाम का शख्स जैश आतंकी समूह की तारीफ वाले पोस्टर लगाते हुए कैद हो गया था। इसके कुछ दिनों बाद उसे यूपी के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया और फिर साजिश की परतें खुलती गईं।
माना जा रहा है कि अपने साथियों—आदिल अहमद राथर, मुजम्मिल शकील और शाहिना सईद (जो ब्रेजा कार चलाती थी)—की गिरफ्तारी के बाद उमर मोहम्मद घबरा गया था, जिसके चलते उसने जल्दबाजी में कदम उठाया। जांच में अल-फलाह अस्पताल (फरीदाबाद) और अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज से करीब 3,000 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री और असॉल्ट राइफलें बरामद हुई हैं, जिन्हें आतंकियों ने वहां जमा कर रखा था।
संस्थान ने झाड़ा पल्ला
इस आतंकी सेल के कई सदस्य अल-फलाह संस्थान में काम करते थे या उनसे जुड़े थे। हालांकि, अब संस्थान ने खुद को उनकी गतिविधियों से पूरी तरह अलग कर लिया है।
संस्थान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि एक जिम्मेदार संस्थान के रूप में हम राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़े हैं और देश के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।”
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