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ट्रंप का ‘प्रतिशोध’ अभियान: 470 से ज्यादा निशाने पर, दूसरे कार्यकाल में विरोधियों पर कसता सरकारी शिकंजा

| Updated: November 29, 2025 13:22

ट्रंप का 'बदला' प्लान: दूसरे कार्यकाल में 470 से ज्यादा दुश्मन निशाने पर, सरकारी तंत्र में मची खलबली

अपने दूसरे कार्यकाल में, डोनाल्ड ट्रंप ने राजनीतिक विरोधियों को दंडित करने के अपने चुनावी वादे को शासन चलाने के एक मुख्य सिद्धांत में बदल दिया है। मार्च 2023 में एक रैली के दौरान जो बात केवल एक उत्तेजक नारे के रूप में शुरू हुई थी— “मैं आपका प्रतिशोध हूं (I am your retribution)”—अब वह कथित दुश्मनों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के एक व्यापक अभियान का रूप ले चुकी है। इस अभियान ने संघीय नीतियों, स्टाफिंग और कानून प्रवर्तन (Law Enforcement) के ढांचे को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।

एक विस्तृत विश्लेषण से इस अभियान के पैमाने का खुलासा हुआ है: जब से ट्रंप ने पदभार संभाला है, कम से कम 470 लोगों, संगठनों और संस्थानों को प्रतिशोध के लिए निशाना बनाया गया है।

यह औसत हर दिन एक से अधिक का है। कुछ को विशेष रूप से सजा के लिए चुना गया, जबकि अन्य कथित दुश्मनों के व्यापक सफाए (purges) की चपेट में आ गए। इस गिनती में विदेशी व्यक्ति, संस्थान या सरकारें शामिल नहीं हैं, और न ही इसमें उन संघीय कर्मचारियों को गिना गया है जिन्हें सामान्य छंटनी के तहत निकाला गया।

बदले की कार्रवाई के तीन प्रमुख रूप

विश्लेषण में पाया गया कि ट्रंप का यह प्रतिशोध अभियान व्यक्तिगत रंजिश और सांस्कृतिक व राजनीतिक वर्चस्व की चाह का मिश्रण है। प्रशासन ने उन अभियोजकों को बर्खास्त करने के लिए कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल किया जिन्होंने 2020 के चुनाव को पलटने की उनकी कोशिशों की जांच की थी। इसके अलावा, शत्रुतापूर्ण माने जाने वाले मीडिया संगठनों को दंडित करने और विरोधियों से जुड़ी कानूनी फर्मों पर जुर्माना लगाने जैसे कदम उठाए गए हैं।

यह प्रतिशोध मुख्य रूप से तीन अलग-अलग रूपों में सामने आया है:

  1. दंडात्मक कार्रवाई: यह सबसे आम रूप है, जिसमें बर्खास्तगी, निलंबन, जांच और सुरक्षा मंजूरी (security clearance) रद्द करना शामिल है।
  2. धमकियां: ट्रंप और उनके प्रशासन ने कम से कम 46 व्यक्तियों, व्यवसायों और अन्य संस्थाओं को जांच या दंड की धमकी दी। इसमें न्यूयॉर्क और शिकागो जैसे डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले शहरों के लिए संघीय फंड को रोकना शामिल था।
  3. जबरदस्ती (Coercion): कम से कम एक दर्जन मामलों में, लॉ फर्मों और विश्वविद्यालयों जैसे संगठनों ने प्रशासन की धमकियों—जैसे सुरक्षा मंजूरी रद्द करना या संघीय फंडिंग का नुकसान—का सामना करने के बाद अपनी विविधता नीतियों (diversity initiatives) को वापस लेने के लिए सरकार के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

व्हाइट हाउस और समर्थकों का पक्ष

ट्रंप के व्हाइट हाउस ने पिछले कार्यकाल की तुलना में कहीं अधिक आक्रामक रुख अपनाया है। विश्लेषण के अनुसार, व्हाइट हाउस ने कम से कम 36 आदेश और निर्देश जारी किए हैं, जिनके जरिए 100 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं को दंडात्मक कार्रवाई का निशाना बनाया गया।

हालांकि, व्हाइट हाउस इस विचार का खंडन करता है कि प्रशासन बदले की भावना से काम कर रहा है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने कहा, “यह पूरा लेख इस त्रुटिपूर्ण आधार पर आधारित है कि चुनावी जनादेश को लागू करना किसी तरह से ‘प्रतिशोध’ है। ऐसा नहीं है।” उन्होंने कहा कि सरकार में उन अधिकारियों के लिए कोई जगह नहीं है जो राष्ट्रपति के एजेंडे को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।

वहीं, ट्रंप के कट्टर समर्थक इन कदमों की सराहना कर रहे हैं। पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन ने कहा कि सरकारी शक्ति का उपयोग “बदला नहीं है” बल्कि यह उन लोगों की “जवाबदेही तय करने” की कोशिश है जिन्होंने ट्रंप के खिलाफ अनुचित जांच की थी।

निशाने पर कौन? नाम और तारीखें

प्रशासन ने उन अधिकारियों के खिलाफ आक्रामक कदम उठाए हैं जो ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान कथित कदाचार की जांच से जुड़े थे।

  • जेम्स कोमी: पूर्व एफबीआई (FBI) निदेशक जेम्स कोमी, जिन्होंने 2016 में ट्रंप के अभियान की जांच का नेतृत्व किया था, को 25 सितंबर को अभियोग (indictment) का सामना करना पड़ा। हालांकि, एक संघीय न्यायाधीश ने सोमवार को यह मामला खारिज कर दिया।
  • क्रिस क्रेब्स: ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान शीर्ष साइबर सुरक्षा अधिकारी रहे क्रेब्स की सुरक्षा मंजूरी अप्रैल में छीन ली गई और उनके कार्यकाल की संघीय जांच का आदेश दिया गया। क्रेब्स ने चुनाव में धांधली के दावों को खारिज किया था।
  • लियोन पेनेटा: पूर्व सीआईए (CIA) निदेशक लियोन पेनेटा और अन्य पूर्व अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी जनवरी में रद्द कर दी गई। उन्होंने 2020 में एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें हंटर बिडेन के लैपटॉप मामले में रूस का हाथ होने की आशंका जताई गई थी।

सिविल सेवा और एजेंसियों में डर का माहौल

बदले की यह आग सिविल सेवा (civil service) तक भी पहुंच गई है।

  • EPA (पर्यावरण संरक्षण एजेंसी): इस गर्मी में, प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों में कटौती का विरोध करने वाले खुले पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद 100 से अधिक कर्मचारियों को सवेतन छुट्टी (paid leave) पर भेज दिया गया। कम से कम 15 वरिष्ठ अधिकारियों को नौकरी से निकालने की चेतावनी दी गई।
  • FEMA: एजेंसी के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में कार्य कर चुके रिपब्लिकन कैमरून हैमिल्टन को मई में बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने कांग्रेस से कहा था कि वह एजेंसी को बंद करने के पक्ष में नहीं हैं, जो प्रशासन की राय के विपरीत था।
  • NIAID: राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग संस्थान की पूर्व प्रमुख डॉ. जीन माराजो को अक्टूबर में हटा दिया गया। उन्होंने इसे एक चेतावनी के रूप में वर्णित किया है।
  • FBI: डेविड माल्टिन्स्की नामक कर्मचारी ने आरोप लगाया कि उन्हें काम पर ‘प्राइड फ्लैग’ (Pride flag) लगाने के कारण निदेशक कश पटेल द्वारा निकाल दिया गया। कश पटेल ने अपनी पुस्तक “गवर्नमेंट गैंगस्टर्स” में 60 लोगों की एक सूची दी थी, जिन्हें उन्होंने “डीप स्टेट” का हिस्सा बताया था। इनमें से कम से कम 17 लोगों को किसी न किसी तरह के प्रतिशोध का सामना करना पड़ा है।

इतिहास से तुलना: निक्सन की यादें

राजनीतिक वैज्ञानिक और इतिहासकार ट्रंप के इस अभियान की तुलना पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के दौर से करते हैं। निक्सन के पास भी 500 से अधिक दुश्मनों की एक सूची थी, लेकिन उनका अभियान गुप्त था। इसके विपरीत, ट्रंप का प्रतिशोध अभियान खुलेआम और सार्वजनिक है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के प्रोफेसर डारोन एसेमोग्लू का कहना है, “मुख्य उद्देश्य सत्ता का केंद्रीकरण और सत्ता पर किसी भी तरह के अंकुश को नष्ट करना है। प्रतिशोध तो बस एक उपकरण है।”

हालांकि, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह अभियान कहां तक जाएगा। निक्सन को वॉटरगेट स्कैंडल और अपनी ही पार्टी के दबाव के कारण इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में ट्रंप के सामने वैसी चुनौतियां नजर नहीं आतीं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिकी राजनीति में प्रतिशोध के सामान्यीकरण (normalization) की ओर एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

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