अहमदाबाद: कहते हैं अगर इरादे मजबूत हों, तो शारीरिक चुनौतियां कभी सफलता के आड़े नहीं आतीं। 25 वर्षीय गणेश बरैया ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। मात्र 3 फीट कद और 20 किलो वजन वाले गणेश ने वह उपलब्धि हासिल की है, जिसे कई लोग असंभव मान रहे थे। अपने डॉक्टर बनने के अधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले गणेश बरैया ने गुरुवार को मेडिकल ऑफिसर के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग जॉइन कर ली है।
यह उपलब्धि गणेश के लिए एक लंबी और कठिन यात्रा का सुखद पड़ाव है। जन्म से ही ड्वार्फिज्म (बौनेपन) का शिकार होने के कारण उन्हें 72% लोकोमोटर डिसेबिलिटी है, लेकिन उन्होंने कभी अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने सपनों पर हावी नहीं होने दिया।
पहला सपना: परिवार के लिए पक्का घर
सफलता की इस सीढ़ी पर चढ़ने के बाद गणेश की पहली प्राथमिकता अपने परिवार को एक बेहतर जीवन देना है। भावनगर जिले के गोरखी गांव के रहने वाले गणेश एक किसान परिवार से आते हैं। वे अपने भाई-बहनों में आठवें नंबर पर हैं; उनकी सात बहनें और एक छोटा भाई है।
भावुक होकर गणेश बताते हैं, “मेरा परिवार आज भी एक कच्चे मकान में रहता है। मेरा सबसे बड़ा सपना उनके लिए सभी सुविधाओं वाला एक ईंट का पक्का घर बनाना है।” उन्होंने आगे बताया कि पैसे की कमी के कारण कई बार घर का निर्माण कार्य बीच में ही रोकना पड़ा था, लेकिन अब अपनी सैलरी से वे इस अधूरे काम को पूरा कर पाएंगे।
दोस्तों के कंधों पर चढ़कर सीखी सर्जरी
मेडिकल की पढ़ाई के दौरान गणेश के सामने कई अनोखी चुनौतियां आईं, लेकिन उनके जज्बे और साथियों के सहयोग ने सब आसान बना दिया। एनाटॉमी की क्लास के दौरान प्रोफेसर और साथी छात्र उनके लिए हमेशा आगे की सीट सुरक्षित रखते थे। वहीं, सर्जरी रोटेशन के दौरान, जब ऑपरेटिंग टेबल की ऊंचाई ज्यादा होती थी, तो उनके क्लासमेट्स उन्हें अपने कंधों पर उठा लेते थे ताकि वे सर्जरी की बारीकियों को देख और सीख सकें।
गणेश कृतज्ञता के साथ कहते हैं, “मेरे दोस्तों और प्रोफेसरों ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मेरा कद कभी भी मेरे सीखने की राह में रोड़ा न बने।”
मरीज पहले चौंकते हैं, फिर करते हैं भरोसा
भले ही गणेश की आवाज कोमल और बच्चों जैसी है, लेकिन उनकी बातों में एक डॉक्टर वाला गहरा आत्मविश्वास झलकता है। वे बताते हैं कि जब मरीज पहली बार उनसे मिलते हैं, तो उनकी प्रतिक्रिया थोड़ी अलग होती है।
वे स्वीकार करते हैं, “शुरुआत में, मेरे लुक्स को देखकर मरीज थोड़ा हैरान हो जाते हैं। लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि मैं किस संघर्ष और काबिलियत के साथ डॉक्टर बना हूं, तो वे मुझ पर पूरा भरोसा जताते हैं।”
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए डॉ. गणेश बरैया ने बताया कि वे आगे चलकर पीडियाट्रिक्स (बाल रोग), डर्मेटोलॉजी (त्वचा रोग) या रेडियोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करने की उम्मीद रखते हैं। डॉ. गणेश की यह कहानी साबित करती है कि कद से ज्यादा बड़ा इंसान का जिद्द और जुनून होता है।
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