नई दिल्ली — भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि बिहार में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के दौरान यदि किसी व्यक्ति को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए अयोग्य पाया जाता है, तो भी उसकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी।
चुनाव आयोग ने 88 पन्नों के अपने हलफनामे में बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले किए जा रहे इस पुनरीक्षण अभ्यास का जोरदार बचाव किया है। आयोग ने कहा है कि उसे मतदान के संवैधानिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए नागरिकता का प्रमाण मांगने का अधिकार है। “कोई भी संसदीय कानून चुनाव आयोग के इस अधिकार को समाप्त नहीं कर सकता,” आयोग ने कहा।
विपक्ष के आरोपों पर ECI की सफाई
विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को “नागरिकता जांच” करार देते हुए दावा किया था कि इससे बड़े पैमाने पर लोगों का नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी कि नागरिकता तय करने का अधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है। इसके बावजूद, अदालत ने SIR प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया लेकिन इसके समय को लेकर सवाल उठाए, क्योंकि कुछ ही महीनों में राज्य में चुनाव होने हैं।
आधार कार्ड को अकेले मान्य दस्तावेज नहीं माना जाएगा
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि सत्यापन के लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्यता दी जानी चाहिए। वर्तमान में चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को शामिल नहीं किया है।
इस पर चुनाव आयोग ने कहा, “आधार केवल पहचान का प्रमाण है, न कि अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता का प्रमाण।” हालांकि आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को अन्य दस्तावेजों के साथ पूरक दस्तावेज के रूप में उपयोग किया जा सकता है। “इसी कारण दस्तावेजों की सूची संकेतात्मक है, अंतिम नहीं,” हलफनामे में कहा गया।
अब तक 90% से अधिक मतदाताओं के फॉर्म प्राप्त
आयोग ने जानकारी दी कि 18 जुलाई तक बिहार के करीब 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 90.12% के फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं। मृत या स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं को हटाकर यह कवरेज 94.68% तक पहुंच गई है।
केवल 0.01% मतदाता ऐसे हैं जिन्हें BLO (बूथ लेवल अधिकारी) द्वारा कई बार प्रयास के बावजूद भी नहीं पाया जा सका। फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई निर्धारित है।
उद्देश्य: शुद्ध और सटीक मतदाता सूची
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अयोग्य व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो और कोई भी पात्र नागरिक इससे वंचित न रह जाए। आयोग ने अदालत में दायर याचिकाओं को “अविश्वसनीय मीडिया रिपोर्टों” पर आधारित बताते हुए भ्रामक करार दिया।
ECI ने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को दबा दिया, जिनमें यह भी शामिल है कि उनकी अपनी राजनीतिक पार्टियां इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग कर रही हैं।
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