वडोदरा/आणंद: गाभीरा पुल हादसे के 28 दिन बाद मंगलवार को आखिरकार वह टैंकर सुरक्षित निकाल लिया गया, जो 9 जुलाई को पुल ढहने के बाद मही नदी पर टूटी हुई स्लैब पर खतरनाक स्थिति में अटका हुआ था।
इस हादसे में मौत का आंकड़ा अब 22 पहुंच गया है। मंगलवार शाम को दिलीप पडियार, जिनका इलाज वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में चल रहा था, ने दम तोड़ दिया।
गौरतलब है कि यह पुल वडोदरा और आणंद जिलों की सीमा पर स्थित है। पुल ढहने के दौरान कई वाहन नीचे गिर गए थे, जिससे कई लोगों की जान गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। इन सबके बीच एक 12 टन वजनी टैंकर पुल की टूटी स्लैब पर फंसा रह गया था, जो कई दिनों से चिंता का विषय बना हुआ था।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के निर्देश पर शुक्रवार से टैंकर को हटाने का अभियान शुरू किया गया। इस काम के लिए पोरबंदर स्थित मरीन इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर (MERC) की 60 सदस्यीय टीम को मौके पर बुलाया गया।
आणंद जिला कलेक्टर प्रवीन चौधरी ने बताया, “यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। पुल की संरचनात्मक स्थिति बेहद खराब थी — वह किसी भी तरह का भार सहने की स्थिति में नहीं था और नीचे मही नदी बह रही थी। MERC ने विशेषज्ञ उपकरण जैसे न्युमेटिक रोलर बैग्स, हाइड्रॉलिक स्ट्रैंड जैक और विशेष क्षैतिज कैंटिलीवर की मदद से तकनीकी योजना बनाई।”
मंगलवार को सफल परीक्षण के बाद ऑपरेशन को अंतिम रूप दिया गया।
चौधरी ने बताया, “टैंकर के नीचे विशेष बैग्स लगाए गए, जिन्हें फुलाकर उसके अगले हिस्से को ऊपर उठाया गया। फिर उसे सावधानी से खींचकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया।”
उन्हें यह भी बताया कि यह पूरा ऑपरेशन करीब 900 मीटर की दूरी से मॉनिटर किया गया, क्योंकि स्थल पर जाना बेहद जोखिम भरा था।
सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि MERC ने यह पूरा ऑपरेशन बिना किसी शुल्क के किया।
चौधरी ने कहा, “उन्होंने प्रशासन से एक रुपया भी नहीं लिया। हम उनके इस परोपकारी कार्य के लिए आभारी हैं।”
MERC प्राइवेट लिमिटेड के मालिक केतन गज्जर ने बताया कि अंतिम चरण में टैंकर को निकालने का काम सिर्फ 30 मिनट में पूरा किया गया।
गज्जर ने कहा, “तकनीकी रूप से बहुत सी चुनौतियां थीं — जर्जर पुल, नीचे बहती नदी और टैंकर की खतरनाक स्थिति। लेकिन हमारी टीम ने विस्तृत योजना बनाकर काम किया। MERC हमेशा गुजरात और देशभर में किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहेगा।”
अब यह टैंकर उसके मालिक को सौंपा जाएगा।
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