गांधीनगर: गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित स्वामीनारायण मंदिर वासना संस्था (SMVS) में हाल ही में एक भव्य और प्रेरणादायक समारोह देखने को मिला। यहाँ सांसारिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर 7 युवाओं ने साधु बनने के लिए दीक्षा ग्रहण की।
आमतौर पर जैन धर्म और स्वामीनारायण संप्रदाय में वैराग्य धारण कर साधु बनने की परंपरा रही है, लेकिन यह आयोजन खास रहा क्योंकि दीक्षा लेने वाले ये युवा उच्च शिक्षित हैं। इनमें चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA), एमबीए (MBA) और आईटी इंजीनियर जैसे पेशेवर शामिल हैं, जिन्होंने अपने चमकते करियर को अलविदा कह दिया है।
इकलौती संतान और करोड़ों की संपत्ति का त्याग
दीक्षा लेने वाले इन 7 युवाओं में से 3 अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। इनमें से एक युवा मुंबई के एक बेहद प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है, जिसकी कुल संपत्ति 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है। दौलत और विलासिता का जीवन होने के बावजूद, इन युवाओं ने अध्यात्म की कठिन राह चुनी है।
5 साल का कठोर प्रशिक्षण
साधु बनने का यह फैसला अचानक नहीं लिया गया। इन सभी युवाओं ने SMVS प्रशिक्षु केंद्र में पाँच वर्षों तक गहन आध्यात्मिक अध्ययन पूरा किया है। इस दौरान उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें “मैं कौन हूँ?” जैसे आत्म-खोज के प्रश्नों से लेकर 15 दिनों तक अखंड मौन साधना जैसी कठिन तपस्या शामिल थी।
“साधु का जीवन लग्जरी से बेहतर”
दीक्षा लेने वाले दासत्व भगत ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “मेरा परिवार आर्थिक रूप से बहुत संपन्न है। मेरे पिता का करीब 1200 करोड़ रुपये का कारोबार है। मैं 21 साल की उम्र तक अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ा था, लेकिन मुझे अनुभव हुआ कि लग्जरी जीवन की तुलना में एक साधु का जीवन कहीं अधिक श्रेष्ठ है।”
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