पणजी: गोवा में छुट्टियों का पीक सीजन शुरू होने वाला था, लेकिन उससे ठीक पहले उत्तर गोवा के अरपोरा (Arpora) इलाके से आई एक खबर ने पूरे तटीय राज्य को हिलाकर रख दिया है। ‘Birch By Romeo Lane’ नाइटक्लब, जो अपनी खूबसूरती और पार्टियों के लिए जाना जाता था, शनिवार की रात एक धधकते हुए अग्निकुंड में बदल गया। इस भीषण अग्निकांड में 25 लोगों की जान चली गई, जिनमें 20 स्टाफ मेंबर्स और 5 पर्यटक शामिल हैं।
यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही की एक लंबी कहानी है जिसने ‘फर्स्ट आइलैंड क्लब’ को मौत के जाल में बदल दिया।
साज-सज्जा ही बन गई बारूद
जांच में जो बातें सामने आई हैं, वे बेहद चौंकाने वाली हैं। क्लब की सजावट ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन साबित हुई। क्लब के इंटीरियर में सूखी घास, ताड़ के पत्ते, रैटन (बेंत) और बांस का भारी इस्तेमाल किया गया था, यहाँ तक कि छत भी इन्हीं ज्वलनशील चीजों से बनी थी। यह क्लब वास्तव में एक ‘टिंडरबॉक्स’ (बारूद के ढेर) जैसा था, जिसे बस एक चिंगारी की जरूरत थी।
क्लब में आने-जाने के लिए केवल एक ही रास्ता था, जो बेहद संकरा था। इस रास्ते पर भी ज्वलनशील पदार्थों से मेहराब (arches) बनाए गए थे, जिसने आग भड़कने पर निकलने का रास्ता और मुश्किल कर दिया।
वह ‘बॉलीवुड बैंगर नाइट’ और एक गलत फैसला
शनिवार की रात क्लब में ‘बॉलीवुड बैंगर नाइट’ का आयोजन किया गया था। डीजे, डांसर्स और संगीतकार माहौल जमा रहे थे। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक डांसर ‘महबूबा-महबूबा’ गाने पर थिरक रही थी और भीड़ उनका उत्साह बढ़ा रही थी।
माहौल को और रंगीन बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी (Electronic fireworks) का इस्तेमाल किया गया। यही वह पल था जब खुशियाँ चीखों में बदल गईं। आतिशबाजी की चिंगारी छत पर लगी सूखी सजावट तक पहुँच गई। विडंबना यह थी कि जब आग शुरू हुई, तो भीड़ को खतरे का अहसास नहीं हुआ। किसी ने डांसर की तारीफ करते हुए यहाँ तक कह दिया, “आग लगा दी आपने।” लेकिन चंद पलों में ही वह असली आग पूरे क्लब में फैल गई।
बचाव में देरी और सुरक्षा इंतजाम नदारद
हादसे के वक्त क्लब में कोई भी अलार्म नहीं बजा, न ही लोगों को शांति से बाहर निकलने की कोई घोषणा (Announcement) की गई। हैरानी की बात यह है कि 100 से ज्यादा लोगों की क्षमता वाले इस क्लब में न तो फायर अलार्म थे और न ही काम करने वाले अग्निशामक यंत्र (Fire extinguishers)। क्लब के पास फायर सेफ्टी क्लीयरेंस तक नहीं था।
राहत कार्य में भी भारी मुश्किलें आईं। क्लब का प्रवेश द्वार इतना संकरा था कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियां वहां तक पहुंच ही नहीं सकीं। दमकलकर्मियों को अपनी गाड़ियां क्लब से करीब 400 मीटर दूर खड़ी करनी पड़ीं, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में कीमती समय बर्बाद हुआ और शायद यही देरी कई जिंदगियों पर भारी पड़ गई।
बेसमेंट बना मौत का कुआं
आग लगते ही भगदड़ मच गई। शुरू में कुछ स्टाफ मेंबर्स ने लपटों के नीचे से लैपटॉप बचाने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही स्थिति बेकाबू हो गई। संगीतकार अपने वाद्ययंत्र छोड़कर भागने लगे।
अफरातफरी में कुछ पर्यटक और स्टाफ मेंबर्स बाहर निकलने के बजाय बेसमेंट में बनी किचन की तरफ भाग गए। जब तक उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वे वापस मुड़ने की कोशिश करते, तब तक ऊपर की पूरी मंजिल आग की लपटों में घिर चुकी थी और उनका रास्ता बंद हो चुका था। बेसमेंट में जहरीला धुआं भर गया और यह किचन एक ‘डेथ ट्रैप’ बन गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरने वालों में से अधिकांश की जान जलने से नहीं, बल्कि जहरीले धुएं से दम घुटने (Suffocation) के कारण गई।
मालिक फरार, पुलिस की कार्रवाई शुरू
इस घटना के दो दिन बाद भी पीड़ितों के परिवार सदमे में हैं। पुलिस ने क्लब के मालिकों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (culpable homicide not amounting to murder) और लापरवाही का मामला दर्ज किया है। मालिक फिलहाल फरार हैं और उनकी तलाश में गोवा पुलिस की एक टीम दिल्ली भेजी गई है।
वहीं, स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने क्लब के चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, लापरवाही बरतने वाले कई पंचायत अधिकारियों के खिलाफ भी कदम उठाए गए हैं।
गोवा का यह हादसा एक गंभीर चेतावनी है कि कैसे सुरक्षा नियमों की अनदेखी और दिखावे की सजावट एक हंसती-खेलती शाम को मातम में बदल सकती है।
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