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अहमदाबाद: आशियाने के सपने हुए चकनाचूर, गोदरेज और सिद्धि ग्रुप के विवाद में फंसी 1100 परिवारों की करोड़ों की गाढ़ी कमाई

| Updated: November 24, 2025 13:52

दिसंबर 2025 में मिलना था पजेशन, अब खोदी जा रही है जमीन; रेरा (RERA) ने भेजा नोटिस, जानें कहां फंसे 233 करोड़ रुपये

अहमदाबाद: अपने सपनों का घर खरीदने की चाहत में अहमदाबाद के 1,100 से अधिक परिवार आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। शहर के मशहूर रियल एस्टेट डेवलपर्स गोदरेज (Godrej) और श्री सिद्धि ग्रुप (Shree Siddhi Group) के बीच चल रहे आपसी विवाद के कारण सैकड़ों लोगों की जिंदगी भर की जमा-पूंजी अधर में लटक गई है।

गोता (Gota) इलाके में स्थित ‘गोदरेज सेलेस्ट’ (Godrej Celeste) हाउसिंग स्कीम में घर बुक कराने वाले निवेशकों को उम्मीद थी कि दिसंबर 2025 तक उन्हें अपने फ्लैट्स की चाबियां मिल जाएंगी। लेकिन अफसोस की बात यह है कि जिस जमीन पर गगनचुंबी इमारत खड़ी होनी चाहिए थी, वहां आज निर्माण के नाम पर कुछ भी नहीं है।

करोड़ों रुपये फंसे, जमीन पर निर्माण शून्य

रिपोर्ट्स के मुताबिक, होम बायर्स ने इस प्रोजेक्ट में औसतन 20 लाख रुपये का निवेश किया है। कई परिवारों ने 15 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक डेवलपर्स को चुका दिए हैं। एक आंकड़े के अनुसार, इस विवाद में आम जनता के करीब 233 करोड़ रुपये फंस चुके हैं।

ऑनलाइन विज्ञापनों और ब्रोशर में बड़े-बड़े दावे किए गए थे कि दिसंबर 2025 तक फ्लैट्स का पजेशन दे दिया जाएगा। लेकिन रेरा (RERA) को सौंपी गई रिपोर्ट हकीकत बयां कर रही है। पहले जहां प्रोजेक्ट का 48 प्रतिशत काम पूरा दिखाया गया था, वहीं अब यह आंकड़ा गिरकर महज 13 प्रतिशत रह गया है। निवेशकों को अब यह डर सता रहा है कि कहीं इस स्कीम का हाल भी गिफ्ट सिटी (GIFT City) की कुछ अन्य अटकी हुई परियोजनाओं जैसा न हो जाए।

बनाई और फिर गिरा दी इमारत

अगस्त 2022 में जब ‘गोदरेज सेलेस्ट’ को लॉन्च किया गया था, तब निवेशकों को वर्ल्ड-क्लास हाउसिंग का भरोसा दिलाया गया था। लेकिन अक्टूबर 2023 के बाद से ही प्रोजेक्ट का काम पूरी तरह ठप पड़ा है। स्थिति तब और अजीब हो गई जब 2022 से 2023 के बीच बनाई गई तीन मंजिलों को मार्च 2025 में ढहा दिया गया।

जब हैरान निवेशकों ने इसका कारण पूछा, तो गोदरेज के अधिकारियों ने दलील दी कि निर्माण की गुणवत्ता (Quality) खराब थी, इसलिए इसे गिराकर उन्नत तकनीक (Advanced Technology) से दोबारा बनाया जाएगा। इस स्पष्टीकरण को आठ महीने बीत चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। दूसरी ओर, सिद्धि ग्रुप के डायरेक्टर मुकेश पटेल ने केवल इतना आश्वासन दिया है कि काम जल्द शुरू होगा।

डेवलपर्स के बीच ‘आरोप-प्रत्यारोप’ का खेल

प्रोजेक्ट में हो रही देरी का मुख्य कारण सिद्धि ग्रुप और उसके भागीदारों के बीच का विवाद बताया जा रहा है। गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि निर्माण और विकास की पूरी जिम्मेदारी श्री सिद्धि ग्रुप की है।

गोदरेज का कहना है कि प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही बैंक खातों और ग्राहकों से मिली राशि पर सिद्धि ग्रुप का ही नियंत्रण रहा है। अब गोदरेज ने रेरा से आधिकारिक अनुरोध किया है कि प्रोजेक्ट उन्हें सौंप दिया जाए ताकि निर्माण कार्य को तेजी से पूरा किया जा सके।

किश्तें जा रही हैं, लेकिन घर गायब है

निवेशकों का दर्द उनकी बातों में साफ झलकता है। एक निवेशक, वशिष्ठभाई ने बताया कि स्कीम लॉन्च करते समय अधिक राशि का भुगतान करने पर 7.5 प्रतिशत ब्याज देने का वादा किया गया था। उन्होंने खुद इस उम्मीद में 25 लाख रुपये लगाए थे, जबकि कुछ लोगों ने 30 से 35 लाख रुपये तक निवेश किए हैं।

एक अन्य निवेशक, मयूर सिंह गोहिल ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा, “2022 में जब स्कीम शुरू हुई थी, तो डिस्काउंट के चलते मैंने 55 लाख रुपये में 3 बीएचके (3 BHK) बुक किया था। पहले कहा गया कि मजदूर त्योहार पर गए हैं, फिर 2024 में मेल आया कि हम कंस्ट्रक्शन क्वालिटी सुधारने के लिए तोड़फोड़ कर रहे हैं। इसके बाद काम शुरू ही नहीं हुआ।”

मयूर आगे बताते हैं, “सिद्धि ग्रुप कहता है कि आपने हमें देखकर फ्लैट नहीं लिया था, और गोदरेज कहता है कि उनके हाथ बंधे हैं। हम उस फ्लैट के लिए किश्तें भर रहे हैं जो अस्तित्व में ही नहीं है।”

कानूनी कार्रवाई की तैयारी

मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व आईएएस और रेरा सदस्य एम.ए. गांधी ने पुष्टि की है कि ‘गोदरेज सेलेस्ट’ स्कीम के खिलाफ शिकायत मिली है। गोदरेज और सिद्धि ग्रुप, दोनों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे समय पर पेश नहीं हुए। अब उनके वकील पेश हो रहे हैं और मामले की सुनवाई चल रही है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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