भारतीय शेयर बाजार जहाँ एक ओर संघर्ष कर रहा है, वहीं सोने की कीमतों में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिली है। इस विरोधाभास ने सोने और सेंसेक्स के अनुपात को पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुँचा दिया है। यदि 2020 में महामारी के दौरान आई बाजार की संक्षिप्त गिरावट को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो यह मौजूदा स्तर पिछले कई सालों में सबसे ऊँचा है।
क्या कहते हैं आँकड़े?
शुक्रवार को जारी आँकड़ों के अनुसार, गोल्ड-सेंसेक्स अनुपात बढ़कर 1.4 पर पहुँच गया। यह 2014 की शुरुआत के बाद का सबसे ऊँचा स्तर है, जब यह 1.5 के आँकड़े को छू गया था। इसकी तुलना में, पिछले साल दिसंबर के अंत में यह अनुपात 0.97 और सितंबर 2021 में केवल 0.89 था।
पिछले 30 वर्षों के आँकड़ों पर नजर डालें तो इसका औसत अनुपात 1.04 रहा है। यह इस बात का संकेत है कि लंबी अवधि में सोना और इक्विटी बाजार आमतौर पर एक-दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं।
इतिहास का रुख
सोने और सेंसेक्स के बीच प्रदर्शन की यह दौड़ कोई नई नहीं है।
- 1998 से 2000 के बीच सेंसेक्स ने सोने पर भारी बढ़त बनाई।
- इसके बाद 2000 से 2003 तक शेयरों में गिरावट आई और सोने ने बाजी मार ली।
- 2003 से 2007 तक एक बार फिर शेयर बाजार ने बेहतर प्रदर्शन किया।
- 2008-09 की वैश्विक मंदी के दौरान जब शेयर बाजार गिरा, तो सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया।
- हाल के वर्षों में, 2012 से 2021 तक शेयरों में लगातार तेजी बनी रही, जबकि सोना लगभग स्थिर रहा।
लेकिन सितंबर 2021 से यह ट्रेंड पूरी तरह बदल गया है और सोना लगातार बाजी मार रहा है। यह लगातार चौथा साल है जब सोने ने सेंसेक्स को पछाड़ दिया है, जो पिछले तीन दशकों में सोने के लिए सबसे लंबी जीत की अवधि है।
पिछले चार सालों का प्रदर्शन
पिछले चार सालों में, घरेलू बाजार में 24 कैरेट सोने की कीमतों में 147 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। सितंबर 2021 में 10 ग्राम सोने का भाव जहाँ ₹45,600 था, वहीं इस बुधवार को यह ₹1,12,895 पर पहुँच गया।
इसके विपरीत, इसी अवधि में सेंसेक्स में केवल 37 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। चार साल पहले 59,126 पर कारोबार करने वाला सेंसेक्स गुरुवार को 81,159 पर बंद हुआ। इस बड़े अंतर के कारण गोल्ड-सेंसेक्स अनुपात 0.77 से बढ़कर 1.37 हो गया है, जो लगभग 80 प्रतिशत की छलांग है।
क्या इस बार बदलेगा ट्रेंड?
अतीत में, जब भी यह अनुपात बढ़ता था, तो यह संकेत माना जाता था कि शेयर बाजार का मूल्यांकन कम हो गया है और यह खरीदारी का एक सुनहरा अवसर है। लेकिन इस बार विशेषज्ञ जल्द किसी उलटफेर की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उनका मानना है कि सोना आगे भी बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेगा।
इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:
- शेयरों का महँगा मूल्यांकन: पहले जब यह अनुपात बढ़ता था, तो शेयर सस्ते हो जाते थे। उदाहरण के लिए, फरवरी 2009 में जब अनुपात 1.73 पर था, तब सेंसेक्स का P/B (प्राइस-टू-बुक) रेशियो 2.5 के निचले स्तर पर था। लेकिन इस बार, शेयरों का मूल्यांकन अपने 10 साल के उच्चतम स्तर के करीब बना हुआ है।
- केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद: विश्लेषकों का कहना है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोना बढ़ा रहे हैं। इससे बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध सोने की मात्रा कम हो रही है, जो इसकी कीमतों को मजबूती दे रहा है।
विशेषज्ञों ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे अपने बॉन्ड और इक्विटी पोर्टफोलियो को अप्रत्याशित जोखिमों से बचाने के लिए सोने और अन्य कमोडिटीज में भी निवेश पर विचार करें।
यह भी पढ़ें-
गुजरात: 28 साल की गुलामी के बाद घर वापसी, हाथ पर गुदा ‘राजू’ नाम ही है पहचान
गुजरात का विकास मॉडल: प्रगति या छलावा? यह है कुपोषण की भयावह हकीकत









