नई दिल्ली: पिछले कई हफ्तों से जारी एकतरफा तेजी के बाद शुक्रवार को कीमती धातुओं के बाजार का मिजाज अचानक बदल गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने और चांदी, दोनों की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई। बाजार में यह बड़ी गिरावट मुख्य रूप से मुनाफावसूली (Profit-Taking) की लहर के कारण आई।
यह बिकवाली ऐसे समय में आई है जब कुछ बाहरी बाजार कारकों ने अस्थायी रूप से भू-राजनीतिक और आर्थिक चिंताओं को कुछ हद तक कम कर दिया है, जिससे निवेशकों ने बढ़े हुए भाव पर अपना मुनाफा काटना बेहतर समझा।
कीमतों में कितनी बड़ी गिरावट आई?
MCX पर 24 कैरेट सोने की कीमतें, जो हाल ही में ₹1,32,294 प्रति 10 ग्राम के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं, शुक्रवार को लगभग 3 प्रतिशत लुढ़ककर ₹1,25,957 प्रति 10 ग्राम पर आ गईं।
चांदी में तो यह गिरावट और भी तेज थी। चांदी की कीमतें 8 प्रतिशत से अधिक टूट गईं, जिससे इसका भाव ₹1,70,415 प्रति किलोग्राम के स्तर से गिरकर ₹1,53,929 प्रति किलोग्राम पर आ गया।
विशेषज्ञों ने बताया ‘जरूरी सुधार’
बाजार विशेषज्ञों ने इस गिरावट को हाल के महीनों में आई असाधारण तेजी के बाद एक ‘स्वस्थ’ और ‘अपेक्षित’ सुधार (Healthy Correction) करार दिया है।
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा कि शुक्रवार की मूल्य गिरावट एक “जरूरी रणनीतिक कदम” (necessary tactical retreat) थी। उन्होंने इसे ऐतिहासिक रैली के बाद अल्पकालिक भावनाओं में बदलाव और स्वाभाविक मुनाफावसूली का परिणाम बताया।
उन्होंने इस अचानक गिरावट के पीछे के प्रमुख कारणों में से एक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन पर लगने वाले ऊंचे टैरिफ की धमकी पर अपनाए गए नरम रुख को बताया, जिससे वैश्विक तनाव को कम करने में मदद मिली।
क्या लंबी अवधि में भी मंदी रहेगी?
अजय बग्गा ने स्पष्ट किया कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है। उन्होंने कहा, “सोने और चांदी के लिए रणनीतिक मामला अभी भी बेहद मजबूत है। इसे वैश्विक डी-डॉलराइजेशन (De-dollarization), चांदी की आपूर्ति में लगातार कमी, केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार खरीदारी, और कम वास्तविक ब्याज दरों के साथ-साथ उच्च भू-राजनीतिक जोखिम जैसे कई संरचनात्मक कारकों का समर्थन प्राप्त है।”
उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे इस गिरावट को लंबी अवधि के लिए अपनी स्थिति बनाने या जोड़ने के अवसर के रूप में देखें।
बग्गा के अनुसार, चांदी का भविष्य सोने से भी ज्यादा मजबूत नजर आता है, क्योंकि यह कीमती धातु होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण औद्योगिक धातु (Industrial Metal) भी है।
उन्होंने कहा, “हालांकि, हालिया सट्टा और बाजार अव्यवस्था को देखते हुए, व्यापारियों को सतर्क रहना चाहिए। लेकिन औद्योगिक विकास के समर्थन से, लंबी अवधि का रुझान मजबूती से ऊपर की ओर बना हुआ है।”
क्या है MCX?
MCX का पूरा नाम ‘मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया’ है। यह भारत का पहला सूचीबद्ध इलेक्ट्रॉनिक कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज है, जहां सोने और चांदी जैसी कई कमोडिटी के वायदा (Futures) और ऑप्शंस (Options) अनुबंधों का ऑनलाइन कारोबार होता है। यह काफी हद तक BSE और NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंजों की तरह ही काम करता है, लेकिन इसका फोकस कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स पर होता है।
“बाजार ‘ओवरबॉट’ हो गया था”
बाजार पर इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए, केडिया कमोडिटीज के संस्थापक और निदेशक अजय केडिया ने कहा कि यह अचानक आई गिरावट उम्मीद के मुताबिक ही थी।
उन्होंने समझाया, “जिस तरह हमने पिछले दो महीनों में एकतरफा वृद्धि (parabolic rise) देखी, यह सुधार बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। अगस्त से अब तक, हमने नौ हफ्तों में सबसे बड़ी रैली देखी है – यह एकतरफा उछाल था।”
केडिया ने कहा कि मुनाफावसूली के अलावा, अमेरिका और चीन के बीच नियोजित बातचीत और अमेरिका व रूस के बीच शांति को लेकर हो रही चर्चाओं ने भी इस गिरावट में योगदान दिया।
उन्होंने जोर देकर कहा, “इन सभी घटनाक्रमों ने मिलकर गिरावट को बल दिया, और तकनीकी रूप से भी, बाजार ‘अत्यधिक ओवरबॉट’ (highly overbought) हो गया था, जिसने एक सुधार को जरूरी बना दिया था।”
क्या बाजार ने यू-टर्न ले लिया है?
हालांकि, अजय केडिया ने आगाह किया कि इस गिरावट का मतलब यह नहीं है कि बाजार ने पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया है।
उन्होंने कहा, “कोई नहीं जानता कि डोनाल्ड ट्रम्प कब क्या कदम उठा लें। अभी के लिए, यह आठ हफ्तों में आई पहली बड़ी गिरावट है। अगला हफ्ता बाजार की दिशा के लिए महत्वपूर्ण होगा।”
धनतेरस पर खरीदारी को लेकर उन्होंने कहा कि लोग पारंपरिक या औपचारिक उद्देश्यों के लिए सोना-चांदी खरीद सकते हैं, लेकिन जो लोग रिटर्न की तलाश में हैं, उनके लिए बाजार अभी भी अनिश्चित है।
केडिया ने कहा, “चांदी एक साल में दोगुनी होने के बावजूद एक ही दिन में 8 प्रतिशत गिर सकती है, इसलिए अभी भी एक और सुधार की गुंजाइश बाकी है।”
इस तेज गिरावट के बावजूद, दोनों विशेषज्ञ इस बात पर सहमत दिखे कि लंबी अवधि में कीमती धातुओं का भविष्य मजबूत बना हुआ है और यह मौजूदा गिरावट एक लंबी रैली के बाद सामान्य बाजार चक्र का ही एक हिस्सा है।
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