comScore गुजरात CID की बड़ी कार्रवाई: 200 करोड़ के साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़, दुबई तक जुड़े तार; 6 आरोपी गिरफ्तार - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

गुजरात CID की बड़ी कार्रवाई: 200 करोड़ के साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़, दुबई तक जुड़े तार; 6 आरोपी गिरफ्तार

| Updated: November 4, 2025 12:40

देश भर में 386 मामलों से जुड़े तार, फर्जी ट्रेडिंग फर्म की आड़ में पैसे को क्रिप्टो बनाकर भेजा जाता था दुबई; 6 गिरफ्तार

अहमदाबाद: गुजरात सीआईडी (क्राइम) और रेलवे के साइबर सेंटर ने एक संयुक्त अभियान में 200 करोड़ रुपये के विशाल साइबर अपराध रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के तार गुजरात से लेकर दुबई तक फैले हुए थे। अधिकारियों ने इसे भारत के सबसे संगठित साइबर-धोखाधड़ी सिंडिकेट में से एक बताया है।

इस मामले में अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह देश भर में लोगों से ठगी करने, चोरी के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने और फिर उसे हवाला व आंगड़िया नेटवर्क के जरिए विदेश भेजने का काम करता था।

कैसे हुआ रैकेट का पर्दाफाश?

गुजरात सीआईडी (क्राइम) और रेलवे के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने इस अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध सिंडिकेट को ध्वस्त किया है। यह गिरोह फर्जी ऑनलाइन योजनाओं और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी तरकीबों का इस्तेमाल कर पूरे भारत में पीड़ितों को अपना निशाना बनाता था।

जो शुरुआत में धोखाधड़ी की एक सामान्य जांच लग रही थी, वह जल्द ही एक विशाल जाल के रूप में सामने आई। इस जाल के तार गुजरात के छोटे शहरों से लेकर दुबई में बैठे हैंडलरों तक जुड़े हुए थे।

कौन हैं गिरफ्तार आरोपी?

ऑपरेशन के पहले चरण में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनकी पहचान इस प्रकार है:

  • महेश सोलंकी (मोरबी)
  • रूपेन भाटिया (मोरबी)
  • राकेश लानिया (लखतर, सुरेंद्रनगर)
  • राकेशकुमार डेकावाड़िया (लखतर, सुरेंद्रनगर)
  • नविया खंभालिया (सूरत)
  • पंकित कंथारिया (सूरत)

कैसे काम करता था यह गिरोह?

जांच अधिकारियों ने बताया कि यह गिरोह एक साथ कई तरह की धोखाधड़ी को अंजाम दे रहा था। वे लोगों को फर्जी लोन (ऋण) ऑफर, पार्ट-टाइम नौकरी के फर्जी विज्ञापन और ऊंचे रिटर्न वाले निवेश का झांसा देकर फंसाते थे।

अधिकारियों के अनुसार, पैसे की हेराफेरी का तरीका भी बेहद शातिर था:

  1. जमा: धोखाधड़ी से मिली रकम को पहले फर्जी या “म्यूल” (Mule) बैंक खातों में जमा किया जाता था।
  2. निकासी: इस रकम को मोरबी में निकाला जाता था।
  3. ट्रांसफर: पैसे को पारंपरिक आंगड़िया कूरियर नेटवर्क के जरिए सूरत भेजा जाता था।
  4. क्रिप्टो कन्वर्जन: सूरत में, इस कैश को क्रिप्टोकरेंसी, मुख्य रूप से यूएसडीटी (टीथर) में बदला जाता था।
  5. विदेशी रूट: अंत में, इसे क्रिप्टो वॉलेट और हवाला चैनलों के माध्यम से दुबई भेज दिया जाता था।

फर्जी फर्म की आड़ में गोरखधंधा

अपनी आपराधिक गतिविधियों पर पर्दा डालने के लिए, आरोपियों ने मार्केट यार्ड में एक स्थानीय इकाई के नाम पर एक फर्जी ट्रेडिंग फर्म (Bogus Trading Firm) भी पंजीकृत कराई थी।

इस दिखावे की आड़ में, उन्होंने कई म्यूल खाते खोले, जिनका इस्तेमाल चेक क्लीयरेंस, एटीएम निकासी और ऑनलाइन क्रिप्टो ट्रांसफर के लिए किया जाता था।

कुछ खाताधारक, जिन्हें इस पूरे ऑपरेशन के असली पैमाने की जानकारी नहीं थी, उन्हें इसके बदले प्रति माह 25,000 रुपये मिलते थे। वहीं, बिचौलिए हर 1 लाख रुपये के शोधन (Laundering) पर 650 रुपये का कमीशन लेते थे।

धोखाधड़ी का पैमाना

जब सीआईडी की टीमों ने जब्त किए गए मोबाइल फोन की जांच की, तो उन्हें 100 से अधिक बैंक खातों का विवरण मिला, जिनका इस्तेमाल पैसे को घुमाने के लिए किया जाता था। आगे के विश्लेषण से इस सिंडिकेट के तार देश भर के 386 साइबर अपराध मामलों से जुड़े पाए गए, जिनमें अकेले गुजरात के 29 मामले शामिल हैं।

अधिकारी का बयान

एएसपी संजय कुमार केशवाला ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह फर्जी फर्म उनकी धोखाधड़ी का केंद्र थी। उन्होंने कहा, “उन्होंने म्यूल बैंक खाते खोलने के एकमात्र उद्देश्य से एक ट्रेडिंग यूनिट पंजीकृत की थी। चोरी के पैसे को इन खातों के माध्यम से घुमाया जाता, फिर उसे नकद या क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर दुबई स्थित हैंडलरों को ट्रांसफर कर दिया जाता था।”

केशवाला ने पुष्टि की कि जांच अब सिंडिकेट के वैश्विक संपर्कों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “इस मामले में स्पष्ट रूप से विदेशी मास्टमाइंड की संलिप्तता और क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन शामिल हैं। हम दुबई कनेक्शन की गहन जांच कर रहे हैं और हर डिजिटल फुटप्रिंट को ट्रैक कर रहे हैं।”

जांच जारी, और गिरफ्तारियां संभव

सीआईडी ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड और बड़े पैमाने पर वित्तीय डेटा जब्त किया है। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह अभी सिर्फ शुरुआत है। जैसे-जैसे गुजरात के साइबर जासूस डिजिटल सुरागों का पीछा कर रहे हैं, इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें-

भारत की 16 विश्व कप ‘चैंपियन’: मिलिए उन सूरमाओं से जिन्होंने तोड़ीं बाधाएं और रचा इतिहास

अहमदाबाद विमान हादसा: अकेले जीवित बचे युवक ने बयां किया अपना दर्द, कहा- “भगवान ने मेरी ज़िंदगी बख्श दी, लेकिन…”

Your email address will not be published. Required fields are marked *