अहमदाबाद: दिल की सेहत से जुड़ा यह डेटा आपके दिल की धड़कनें बढ़ा सकता है, और यह अच्छे संकेत नहीं हैं। गुजरात में cardiac emergencies के मामलों में भारी इजाफा हुआ है।
आंकड़ों पर गौर करें तो, 2018 में, EMRI 108 emergency services ने पूरे 365 दिनों में गुजरात में कुल 51,315 cardiac emergencies को अटेंड किया था, यानी रोजाना औसतन 141 मामले।
आठ साल बाद, यानी 2025 में, 25 सितंबर तक ही ऐसे emergency cases की संख्या बढ़कर 62,044 हो चुकी है, जो प्रतिदिन औसतन 232 मामले बैठते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सेवा द्वारा संभाले गए मामलों में यह 65% की alarming बढ़ोतरी है।
अहमदाबाद शहर के लिए यह आंकड़ा और भी चौंकाने वाला है। EMRI 108 के आंकड़ों के अनुसार, शहर में मामलों में 71% की बढ़ोतरी हुई है — 2018 में प्रतिदिन 38 मामले थे, जो 2025 में बढ़कर 65 हो गए हैं।
Cardiovascular स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 29 सितंबर को मनाए जाने वाले ‘World Heart Day’ के मौके पर यह चिंताजनक डेटा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस वर्ष की थीम, ‘Don’t Miss a Beat’, जल्द हस्तक्षेप (early intervention) और निवारक उपाय (preventive measures) अपनाने पर जोर देती है।
युवाओं में बढ़ता खतरा
emergencies के आयु-वार विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले आठ वर्षों में ऐसे emergency मामलों में 40 वर्ष तक की आयु के मरीजों का हिस्सा 28% से 33% रहा है।
यह आंकड़ा 2019 में सबसे अधिक था — 33%, यानी हर तीन में से एक मामला। 2020 में यह 27.8% था। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक ऐसे मरीजों की हिस्सेदारी कुल cardiac emergencies का लगभग 30% है।
EMRI के विशेषज्ञों का कहना है कि मामलों की कुल बढ़ोतरी के अलावा, इस संख्या को improved awareness (बेहतर जागरूकता) के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए, खासकर 2023 के बाद, जब अचानक होने वाली कई मौतों के मामले दर्ज किए गए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अब मामलों का बड़ा हिस्सा छोटे केंद्रों से आ रहा है और अपेक्षाकृत शुरुआती चरण में, जैसे सीने में दर्द या बेचैनी महसूस होने के बाद।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि गुजरात में emergency सेवाओं की शुरुआत के बाद से एक साल में दर्ज किए गए मामलों की सबसे अधिक संख्या 2024 में 72,586 थी।
जीवनशैली (Lifestyle) और तनाव (Stress) मुख्य कारण
वरिष्ठ interventional cardiologist डॉ. समीर दानी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में, cardiovascular diseases में, खासकर युवाओं के बीच, चिह्नित वृद्धि हुई है।
वह कहते हैं, “शुरुआत की उम्र लगभग एक दशक आगे बढ़ गई है, जिसका मुख्य कारण जीवनशैली से जुड़े कारक हैं। अब ध्यान केवल जोखिम कारकों की पहचान करने और उनसे बचने पर ही नहीं है, बल्कि कम उम्र से ही प्रतिरोधक क्षमता (resilience) विकसित करने पर भी है, ताकि भविष्य में होने वाली कोई cardiac घटना कम damaging हो।
एक और प्रमुख कारक तनाव है। अक्सर, बाहर से healthy दिखने वाले लोग भी acute myocardial infarction (दिल का दौरा) के साथ आते हैं।”
UN Mehta Institute of Cardiology and Research Centre (UNMICRC) में cardiology के प्रोफेसर डॉ. जयल शाह इसमें जोड़ते हैं कि जहां दक्षिण एशियाई आबादी cardiac समस्याओं के लिए अधिक प्रवण है, वहीं यह उछाल multi-factorial (बहु-कारकीय) मुद्दा है, जिसमें अधिकांश रोगियों में hypertension (उच्च रक्तचाप) और diabetes (मधुमेह) जैसी स्थितियों का मौजूद होना भी शामिल है।
वह कहते हैं, “एक दशक पहले की तुलना में, हम अधिक बाहर का खाना खा रहे हैं और अधिक गतिहीन जीवनशैली (sedentary lifestyle) जी रहे हैं। इस प्रकार, जब हम युवा मरीजों के दिल को देखते हैं, तो वे अक्सर अपनी biological age (जैविक आयु) की तुलना में parameters में कहीं अधिक older (वृद्ध) दिखते हैं।”
विशेषज्ञों ने इस तथ्य की ओर भी इशारा किया कि Census of India द्वारा हाल ही में जारी किए गए Registration System (SRS) डेटा (भारत में जन्म और मृत्यु पर) ने 2023 में non-communicable diseases (NCDs) के बीच cardiovascular disease को मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बताया था।
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